Shaitan Bacchche ki Kahani | शैतान बच्चा सुधर गया | हिंदी कहानी

Shaitan Bacchche ki Kahani: किसी शहर में राजू नाम का लड़का रहता था। वह 10 साल का था। उसे बाहर का खाना खाने की बुरी लत थी। उसे घर का बना खाना बिल्कुल भी पसंद नही था।

एक दिन राजू जब स्कूल से घर आया। उसने मां से खाने को मांगा, “मां खाने मैं दाल,चावल बना कर रखी थी। पर राजू को चिप्स और कोल्ड ड्रिंक पीनी थी।

शैतान बच्चे की कहानी

मां ने उसे बहुत समझाया की वह घर का बना खाना खा ले, पर राजू नहीं मांना। राजू मां से जिद्द कर पैसे ले लिया। वह बाजार जाकर चिप्स और कोल्ड ड्रिंक ले कर आया और वहीं खाया।

रात को मां ने खाने में रोटी और गोभी की सब्जी बनाई। फिर से राजू के नखरे शुरू हो गए। वह कहने लगा कि उसे रोटी-सब्जी नहीं खानी हैं। उसे पिज्जा या बर्गर खाना है। उसके पिताजी ने बोला कल ही रात को तुम पिज्जा खाए हो। रोज-रोज बाहर का खाना खाने से तुम बीमार हो जाओगें।

पिताजी ने प्यार से समझाने की बहुत कोशिश की पर राजू नहीं मान रहा था। राजू के पिताजी को गुस्सा आने लगा। पिताजी आदेश दिया कि राजू को पूरा खाना खत्म करने के बाद थाली से उठना है।

राजू अब चुपचाप अपनी थाली लेकर बैठा रहा। मां और पिताजी के नजरों से बचा कर उसने पास में रखे फूलदान में रोटी-सब्जी डाल दिया।

मां और पिताजी को लगा कि राजू ने खाना खा लिया। उसके बाद उसकी मां ने राजू के पिताजी को बताया की वह सुबह से खानो नहीं खाया था।
सुबह स्कूल जो लंच लेकर गया। वह घर वापस ले आया था और दोपहर को भी उसने चिप्स और कोल्ड ड्रिंक्स ही खाया था।

राजू के पिता ने उसकी मां को बोला एक ग्लास दूध लाओ। मैं उसे अभी पिलाकर आता हूं। राजू के पिताजी जब राजू के कमरे में गए तो राजू वहां नहीं था। वह बाथरूम था। राजू के पिता ने राजू के आवाज लगा कर बोले जल्दी से आओ और दूध समाप्त करो करो।

राजू ने अंदर से ही बोला कि आप रख दो मैं पी लूगां। राजू के पिताजी राजू के कमरे मैं दूध का ग्लास रख कर चले गए। राजू जब बाहर आया तो दूध खिड़की से बाहर फेक दिया तभी खिड़की के नीचे से खाना खाने के बाद उसके पिताजी टहलने जा रहे थे। संयोग से राजू द्वारा फेका सारा दूध उनके उपर ही आ गिरा था।

राजू के पिताजी नाराज और गुस्से में उसके कमरे मैं जा रहे थे। उसकी मां ने उन्हें रोक दिया और बोला जो काम वो छिपाकर कर रहा है। उसे मत टोको कल हम स्कूल चल कर उसकी टीचर से इस बारे मैं बात करते है।

तभी उसकी मां की नजर फूलदान पर पड़ती है। यह देखो फूलदान में रोटी-सब्जी भी डाल रखा है। तभी राजू के पिताजी बोलते है। अब तो चलाना ही होगा कल हम चलते है। इसके स्कूल जाने के बाद हम भी स्कूल चलते है।

रोज की तरह राजू बिना कुछ खाए घर से स्कूल चला गया। उसके पिताजी और मां भी उसके पीछे-पीछे निकले। उन दोनों ने रास्ते मैं देखा कि राजू एक दूकान में गया और वहां से बिस्कुट और चिप्स ले लिया और खाते हुए जाने लगा।

उसके माता-पिता राजू के टीचर के पास फिर गए और राजू की बातें बताई। उसकी टीचर ने बोला कि यह तो चिंता का विषय है, तभी राजू आजकल खेल और पढ़ाई में भी पीछे हो गया।

वह इन दिनों चिड़चिड़ा भी हो गया है। राजू के पिताजी ने बोला आप ही बताइए हमें क्या करना है? राजू की टीचर ने बोला मैं कुछ करती हूं। कल उसके जन्मदिन पर मैं भी आपके घर आती हूं। राजू ने सब को जन्मदिन पर अपने घर बुलाया है।

राजू की मां बोली बिल्कुल आप भी आइए। जन्मदिन पर राजू की पसंद की सभी चीजें मंगवाई गई। सारे दोस्त और उसकी टीचर भी आई। उस दिन राजू को खाने, पीने की पूरी आजादी मिली हुई थी।

उसकी टीचर ने राजू को गिफ्ट में एक पौधा दिया और उसे संभालकर रखने को कहा। टीचर ने कहा कि वह पोधा भी राजू की ही तरह प्यारा है। राजू को पौधा बहुत पसंद आया। पार्टी खत्म होने के बाद राजू अपने पौधे को अपने साथ कमरे मैं ले गया।

अगली सुबह राजू ने मां से पौधे में डालने के लिए पानी माँगा। उसकी टीचर के सुझाव के अनुसार राजू की माँ ने राजू से बोला कि पौधे में पानी क्यों, कोल्ड ड्रिंक डालो। तुम्हें भी तो वही पसंद है। राजू ने उदास होकर बोला मेरा पौधा खराब हो जाएगा।

मां ने बोला जब तुम कोल्ड ड्रिंक पीकर ठीक हो तो पौधा कैसे खराब हो सकता है? तुम्हें जैसे इस पौधे की फिक्र हैं। वैसे ही हमें भी तुम्हारी फ़िक्र है पर तुम तो मेरी बात बिल्कुल भी नहीं मानते। कुछ देर मां की तरफ देखता रहा उसके बाद राजू ने पौधे में कोल्ड ड्रिंक डाल दिया और स्कूल चला गया।

शाम को जब उसके पिताजी घर आए तो राजू उदास बैठा था। उसके पिताजी उसकी उदासी की वजह पूछा तो उसने अपना पौधा दिखाया और बोला यह एक दिन मैं ही ऐसा हो गया।

तो उसके पिताजी ने बोला इसे खाद की जरूरत है। तो राजू ने पिताजी से खाद लाने को बोला। पिताजी ने बोला तुम चिप्स और बिस्कुट और अपनी बेकार की चीजें तो खूद ही लाते हो।

अब तुम इतना बडे़ हो चूके हो, शायद अब तुम्हें मेरी क्या जरूरत रही। राजू को अपनी गलती का एहसास हुआ। राजू ने मां और पिताजी को एक साथ बिठाकर आज तक जो भी गलती की सारी बातें बताई और अपनी गलती की मांफी भी मांगा। उसने वादा किया की वह घर का बना हुआ खाना रोज खाएगा।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है। आप अपने बच्चे को जितना भी प्यार करों पर उसकी सेहत के साथ कभी समझौता मत करों। प्यार से बच्चे को समझाओं तो वह जरूर समझेगें।

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