Hindi short story for kids | छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां

हमारे जीवन में किस्से-कहानियों (Hindi Story) का बड़ा ही महत्व है। यह न केवल हमारे खालीपन को भरता हैं बल्कि इससे काफी सीख भी मिलती है। हमें अपने बच्चों को इन कहानियों के माध्यम से अच्छी सीख देनी चाहिए। आज हम छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां (Hindi short story for kids) लेकर आये हैं. जिसको आप उनको पढ़कर जरूर सुनाएँ। जिससे उनका न केवल मनोरंजन होगा बल्कि बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

Hindi short story for kids | छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां

हमारे इस पेज पर आपको बच्चों के लिए प्रेरणादायक कहानियों का सीरीज मिलेगा। जिसमें आपको top 10 moral stories in hindi, moral stories for childrens in hindi pdf, story in hindi for kids, short moral stories in hindi for class 1, moral stories in hindi for class 3, famous hindi short stories, moral stories in hindi for class 5 इत्यादि शामिल है। आइये हम एक-एक कर इसको पढ़ते हैं-

जंगल के राजा का सबसे छोटा दोस्त।

एक समय की बात है। जंगल में काफी दिनों के बाद वर्षा हो रही थी। सभी जानवर वर्षा के मजे ले रहे थे। पर एक चूहा पानी के कारण परेशान था। उसके रहने वाली सभी जगह में पानी भर जाने के कारण वह जंगल में छूपने की जगह ढुढ़ रहा था।

शेर खान भी अपने गुफा के बाहर वर्षा में आंखे बंद कर बैठा पानी के मजे ले रहा था।

चूहे ने देखा की शेर राजा की आंखें बंद है। तो उसने सोचा मैं चुपके से उसकी गुफा में चला जाता हूँ और गुफा के किसी बिल में चुपचाप कही रह लूंगा। यह सोचकर जब वह शेर राजा के पास से गुफा के अंदर जाने ही वाला था कि शेर ने अचानक अपनी आंखे खोली। उसने देखा एक चुहा उसके पास ही चला आ रहा है। यह देखकर शेर बोला अरे वाह आज शिकार खुद ही चल कर मेरे पास आ रहा है।

शेर की आवाज सुनकर चुहा डर गया और डरते-डरते बोला शेर राजा आप मुझे मत खाओ मुझे खाने से आपका पेट भी नहीं भरेगा और आप की भूख भी बढ़ जाएगी।

शेर ने सोचा बोल तो यह सच ही रहा है। इसे खाने से तो मेरा कुछ नहीं होने वाला क्यों ना इस चुहे को थोड़ा डरा ही दूँ ।

शेर ने चुहे को कहां मैं तुम्हें कैसे छोड़ दूँ जंगल में सारे जानवर क्या सोचेगें की शिकार खुद चल कर शेर के पास गया और उसने उसे जाने दिया मेरी बदनामी कराओंगें क्या जंगल में?

चुहे ने शेर को कहा मैं छोटा जरूर हूँ पर मैं आपका यह एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूँगा आप को कभी भी मेरी जरूरत होगी तो मैं आपका साथ हमेशा एक सच्चे मित्र की तरह दुंगा।

शेर को भी चुहे पर दया आ गई उसने चुहे को जाने दिया।

एक दिन चुहा ने शेर की दहाड़ने की आवाज सुना और सारे जानवर जंगल में इधर-उधर भाग रहे थे।

चुहे ने भागते हुए भालू से पूछा, भालू भईया आप लोग ऐसे क्यों भाग रहे हो जंगल में कुछ हुआ है क्या?

भालू ने चुहे को भागते हुए ही जवाब दिया जंगल में शिकारी आया हुआ है और शिकारी ने शेर को अपनी जाल में फंसा भी लिया है। शेर की दहाड़ ने की आवाज नही आ रही है क्या तुम्हारे कानों में।

भालू ने चूहे को कहा तुम भी कहीं छूप जाओ जंगल में अफरा-तफरी मची है कहीं तुम पर कोई जानवर गलती से ना चढ़ जाए।

चूहा ने सोचा मुझे शेर राजा को बचाना होगा यह सोचकर वह शेर की तरफ बढ़ने लगा। रास्ते में चूहे को खरगोश ने देखा तो उसे रोकना चाहा की उधर मत जाव खतरा हैं पर चूहे ने खरगोश की बात नहीं मानी और वह भागता हुआ शेर की तरफ बढ़ता जा रहा था।

चूहा जब शेर के पास पहुंचा तो देखा शेर एक पेड़ से लटक रहे जाल में फंसा हुआ है और जाल काफी ऊंची जगह पर है।

जाल काटने के लिए चूहे को पेड़ पर चढ़ना पड़ा उसके बाद वह अपनी छोटी और तेज दाँतों से जाल काटने लगा। चूहे को जाल काटता देख शेर खुश हो गया।

चूहे ने जल्दी ही जाल काट कर शेर को जाल से बाहर निकाल दिया। शेर ने चूहे को धन्यवाद दिया और दोनों एक अच्छे मित्र बन गए।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है। दोस्ती के लिए सच्चे दोस्त की जरूरत होती है। छोटा हो या बड़ा यह एहमियत नहीं रखता ।

पुजारी का चुनाव | hindi short stories for class 1

बहुत वर्ष पुरानी बात है उस समय एक बहुत हि विशाल और भव्य मंदिर हुआ करता था। वहाँ प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग उस मंदिर में भगवान के दर्शन और पुजा प्रार्थना करने आया करते थे।

उस मंदिर का जो प्रधान पुजारी हुआ करता था उस की उम्र काफी ज्यादा थी और वह बिमार भी रहने लगा था एक दिन अचानक उसकी मृत्यु हो जाती है।

मंदिर के पुजारी का पद फिर खाली हो जाता है। उस पद की पूर्ति के लिए महंत ने विज्ञापन दे दिया। विज्ञापन में कहां जाता है। ’’इस महिने की पन्द्रह तारीख को मंदिर के प्रधान पुजारी का चुनाव होगा जो स्वयं को इस का योग्य समझते हैं, वे पंद्रह तारीख को मंदिर में उपस्थित होकर साक्षात्मक में सम्मिलित हों। साक्षात्मक प्रातः दस बजे तक चलेगा।’’

प्रधानपुजारी का पद बड़ा प्रतिष्ठित था। मंदिर में आय भी बहुत होती थी, अतः पंद्रह तारिख को बहुत से ब्राह्मण मंदिर के लिए चल पड़े।

मंदिर पहाड़ी के उपर बहुत हि विशाल बना हुआ था। वहाँ तक पहुँचने के लिए केवल एक ही रास्ता था।
उस रास्ते में बहुत से काँटे और कंकड़-पत्थर पड़े थे। किसी प्रकार काँटों और कंकड़-पत्थरों से बचती हुई ब्राह्मणों की भीड़ मंदिर की ओर चली जा रही थी।

सब ब्राह्मण पहुँच गए। महंत ने सबकों आदरपूर्वक बैठाया। सबसे अनेकों प्रकार के प्रश्न भी पूछे गए जो पूजा संबंधी कार्य के लिए आवश्यक थे। दस बजते-बजते साक्षात्मक कर प्ररीक्षा पूरी हो गई।

जब सब लोग उठने लगे तो एक नवयुवक ब्राह्मण वहाँ आया उसके कपड़े फटे हुए थे और वह पसीने से भिगा हुआ था। देखने में लग रहा था कि वह निर्धन ब्राह्मण है।

जब उस युवक ने आकर महंत का अभिवादन किया तो महंत ने कहा-’’तुम्हें आने में देर हो गई।।’’

’’मैं लानता हूँ। मैं केवल भगवान के दर्शन करके लौट जाउँगा।।’’ नवयुवक ने विनम्र स्वर में बिना झिझके कहा। महंत उसकी दशा और विनर्मता देखकर दयार्द्र हो गए। उन्होंने पूछा-’’तुम जल्दी क्यों नहीं आए?’’

’’ नवयुवक ब्राह्मण ने बोला घर से तो मैं जल्दी ही चला था पर रास्ते में बहुत सारे काँटे और कंकड़-पत्थर पड़े हुए थे उन काँटे और कंकड़-पत्थर पर यात्रियों को चलने में कष्ट होता होगा, यह सोचकर मैं उन्हें हटाने लगा रहा। इसलिए देर हो गई’’।

महंत ने प्रश्न किया- ’’पूजा करना जानते हो?’’

युवक बोला-’’भगवाना को स्नान करवाना,उन पर चंदन और पुष्प् चढ़ा देना, धूप-दीप जला देना तथा भोग सामने रखकर परदा गिरा देना और शंख बजाना जो जानता हूँ।’’

’’और मंत्र? महंत ने पूछा’’

युवक ने उदास होकर कहा- ’’मैं नहीं जानता कि भगवान से नहाने और खाने के लिए कहने को कुछ मंत्र भी हाते हैं।’

उसकी यह बात सुनकर अन्य प्रत्याशी हँसने लगे कि यह मुर्ख भी पुजारी बनने आया हैं। महंत ने युवक ब्राह्मण से कहा-’’पुजारी तो तुम्हें चुन लिया गया। मंत्र मुझसे सीख लेना मैं तुम्हें सिखा दूँगा। भगवान ने मुझे स्वप्न में कहा है कि तुम्हें मनुष्य चाहिए।’’

’’हम मनुष्य नहीं है क्या?’’ महंत ने निर्णय पर अप्रसन्न होकर अन्य ब्राह्मण बोले। उन्होंने कहा-इतने पढ़े-लिखे विद्वानों के रहते महंत एक ऐसे मुर्ख को प्रधान पुजारी बना दें जो मंत्र भी न जानता हो, यह यहाँं उपस्थित ब्राह्मणों का अपमान हैं।

महंत ने ब्राह्मणों को संबोधित करते हुए कहा-’’अपने स्वार्थ की बात तो पशु भी जानते हैं। बहुत से पशु अधिक चतुर भी होते हैं। पर वास्तव मे तो मनुष्य वहीं है जो दूसरों के सुख-दुख का ध्यान रखता है। जो दूसरों को सुख पहुँचाने के लिए अपने स्वार्थ और सुख त्याग कर देता हैं।’’

ब्राह्मण बहुत लज्जित हुए उनके मस्तक लज्जा से झुक गए। वे धीरे-धीरे उठे और भगवान और महंत जी को प्रणाम बोलकर मंदिर से बाहर निकल पहाड़ी के से नीचे उतरने लगें।

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चिंकी की रेलगाड़ी यात्रा | famous hindi short stories

एक समय की बात है। एक शहर में चिंकी नाम की बहुत प्यारी लड़की रहती थी।

चिंकी कक्षा तीसरी कक्षा में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी की तस्वीर देखी तो उसे अपनी रेल यात्रा याद आ गई। जो कुछ दिन पहले उसने पापा व मम्मी के साथ रेलगाड़ी में की थी।

चिंकी ने चॉक उठाई और फिर क्या था, उसने अपने घर के दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ गया, दूसरा डब्बा जुड़ गया, जुड़ते व जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए।

जब चॉक खत्म हो गया चिंकी उठी उसने देखा घर के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी।

फिर क्या हुआ व रेलगाड़ी दिल्ली गई, मुंबई गई, अमेरिका गई, नानी के घर गई, और दादाजी के घर भी गई।

चिंकी खेल रहीं थी तभी उसके पापा ने उसे घर की दीवार पर पेंटिंग करते देखा और साथ-साथ उसके मनोवल को भी देखा की कितने टाईम पहले वो रेलगाड़ी से गई थी और उसने बहुत ही सुंदर पेंटिंग बनाई है।

उसके साथ उसके पापा भी खेलने लगें और चिंकी बहुत खुश हुई। आज उसके साथ उसके पापा भी पेटिंग करने लगें ताकी चिंकी और खुश हो जाए।

अगर आप अपने बच्चों के साथ खेलते हैं तो वो बच्चों को कभी किसी और मित्र की आवश्यकता नहीं पड़ती।

सोनू व मोनू को मिली शाबाशी।

सोनू व मोनू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते एवम् साथ में पढ़ाई करते थे। कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे।

एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां उन्होंने देखा की एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे।
बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी। वे दोनों बच्चे अकेले थे।

बिल्ली के बच्चे रो रहीं थी। उन्हें शायद भूख भी लगी हुई थी। इसलिए खूब रो रहे थी। सोनू व मोनू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी तो उन्हें लगा की उनकी मदद करनी चाहिए और उन्होंने अपने घर से दादाजी को बुला कर लाए।

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक-एक कटोरी दूध पिलाई।
अब बिल्ली के बच्चें की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे।

इसे देखकर सोनू व मोनू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने सोनू व मोनू को शाबाशी दी।

रानी की सोच | Top 10 moral stories in hindi

बहुत समय पहले एक बहुत सुन्दर वन में बहुत सारी चींटी एक साथ झुन्ड में रहा करती थी। उसमें एक चीटीं का नाम रानी था। जो अपने दल से भटक गयी थी।

घर का रास्ता नहीं मिलने के कारण, वह काफी देर से परेशान हो रही थी। रानी के घर वाले एक झुन्ड बना कर सीधा रास्ता तय कर कहीं जा रहे थे।

तभी जोर की हवा चली, सभी बिखर गए। रानी भी अपने परिवार से दूर हो गई। काफी समय बाद जब हवा चलनी बन्द हुई तो वह अपने घर का रास्ता ढूंढने लगी और अपने परिवार को भी ढूंढने में परेशान थी। काफी देर ईघर-उघर भटकने के बाद उसे जोर से भूख और प्यास भी लगी हुई थी।

रानी जोर से रोती हुई जा रही थी। रास्ते में उसे एक गिरी हुई टॉफी मिल गई। रानी के भाग्य खुल गए। उसे भूख लग रही थी और खाने को टॉफी मिल गया था। रानी ने जी भर के टॉफी खाया अब उसका पेट भर गया।

जैसे हि रानी ने टॉफी खाया उसे एक दम से अपने घर जाने का रास्ता दिख गया वह बहोत खुश हुई। रानी ने सोचा क्यों ना इसे घर ले चलूँ, घर वाले भी खाएंगे।

टॉफी काफी बड़ी थी, रानी उठाने की कोशिश करती और गिर जाती। रानी ने हिम्मत नहीं हारी। वह दोनों हाथ और मुंह से टॉफी को मजबूती से पकड़ लेती है ।

घसीटते -घसीटते वह अपने घर पहुंच गई। उसके मम्मी व पापा और भाई व बहनों ने देखा तो वह भी दौड़कर आ गए। टॉफी उठाकर अपने घर के अंदर ले गए।

लक्ष्य कितना भी बड़ा हो निरंतर संघर्ष करने से अवश्य प्राप्त होता है।

कछुआ की मूर्खता | Story in hindi for kids

एक नदी में विकाश नाम का एक कछुआ रहा करता था। कछुआ के पास एक मजबूत कवच होता है। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान उसकी कवच के कारण बची थी।

एक बार उसी नदी में एक भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विकाश पर पड़ गया था। फिर भी विकाश को कुछ नहीं हुआ। उसकी जान उसकी कवच ने बचाली थी।

विकाश उससे काफी खुश हुआ? क्योंकि उसकी जान बार-बार बच रही थी। यह कवच विकाश को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की कोई जरूरत नहीं है।

विकास ने अगले ही दिन कवच को नदी में छोड़कर नदी के आसपास घूमने लगा। अचानक हिरण का एक झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी।

उन हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लगी , वह रोने लगा। आज उसने अपना कवच नहीं पहना था। जिसके कारण काफी चोट लग रही थी।

विकाश रोता-रोता वापस तालाब में गया और कवच को पहन लिया। कम से कम कवच से जान तो बचती है।

प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।

गोरैया चिड़िया | बेडटाइम स्टोरी फॉर किड्स इन हिंदी

पंक्षी में सबसे प्यारी बच्चों को भांति प्यारी गोरैया चिड़िया जिसका नाम चुनमुन है। यह सबके घर में प्यार से रहती है। जो दाना-पानी देता है, उसके घर से खाती और अपने बच्चों के लिए भी ले जाती और अपने बच्चों के साथ मस्ती से रहती है। कूलर के पीछे ही चुनमुन का घोंसला है। उसके तीन बच्चे है, यह अभी उड़ना नहीं जानते।

चुनमुन के बच्चें चुनमुन से उड़ना सिखाने के लिए तंग कर दिया। चुनमुन कहती अभी थोड़ी और बड़ी हो जाओ तब सिखाएंगे। बच्चे दिनभर चीं.चीं.चीं.चीं करके चुनमुन को परेशान करते।

एक दिन चुनमुन ने सोचा आज बच्चों को उड़ना सिखा ही दूँ।

अपने दोनों हाथों में उठाकर चुनमुच एक बच्चें को अपने साथ आसमान में ले गई और फिर उसे छोड़ दिया, वह बच्चा धीरे-धीरे उड़ रही थी। इसी तरह तीनों बच्चों को आसमान में ले जाकर छोड़कर उन्हें उड़ना सीखा रही थी। जब बच्चे गिरने लगते चुनमुन उन्हें अपने पीठ पर बीठा लेती। फिर उड़ने के लिए कहती।

ऐसा करते करते चुनमुन के बच्चे आसमान में उड़ने लगे थे। चुनमुन ने काफी समय बाद बच्चों को घर चलने के लिए कहा।
सब मां के पीछे-पीछे घर लौट आए।

इसलिए कहा गया है कि अभ्यास किसी भी कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

संत और बिच्छु | स्टोरी इन हिंदी फॉर चाइल्ड

एक दिन की बात है बरसात का दिन था और वर्षा भी बहुत तेज हो रही थी। एक संत भी वर्षा में भीगें अपने घर की ओर जा रहे थे। तभी उनकी नजर एक बिच्छू पर पड़ती है। वह बिच्छू नाले में तेजी से बहता जा रहा था।

स्ंत ने बिच्छू की जान बचाने की सोची। उन्होंने अपने हाथ से बिच्छू को पकड़ कर बाहर निकाला। बिच्छू अपने स्वभाव के कारण संत को डंक मार दिया। जिसके बाद डंक मारते ही संत के हाथों से बिच्छू छूट कर फिर से नाले में गिर गया। संत ने बिच्छू को फिर अपने हाथ से निकाला। बिच्छू ने फिर से संत को डंक मारा।

ऐसा दो-तीन बार और हुआ। पास ही वैद्यराज का घर था। वह संत को देख रहे थे। वैद्यराज भी बरसात में दौड़ते हुए आए। उन्होंने बिच्छू को एक डंडे के सहारे दूर फेंक दिया।

वैद्यराज ने कहा वह आप जानते हैं कि बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है। फिर भी आपने उसको अपने हाथ से बचाया। आप ऐसा क्यों कर रहे थे ? संत ने कहा वह अपना स्वभाव नहीं बदल सकता तो, मैं अपना स्वभाव कैसे बदल लूं !

सिख: विषम परिस्थितियों में भी अपने स्वभाव को नहीं बदलना चाहिए।

दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं | बेस्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी pdf | short story in hindi for class 10

किसी गांव के बाहर पीपल बहुत बड़ा वृक्ष था। यह वृक्ष 200 साल से भी अधिक पुराना था। गांव के लोग उस वृक्ष के नीचे नहीं जाते थे।
उस वृक्ष पर के वहां एक भयंकर विषधर सांप रहा करता था।

कई बार उसने चारा खाती रही बकरियों को काट लिया था। गांव के लोगों में उसका डर था। एक दिन उस गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।

लोगों ने उस सांप का इलाज करने को कहा। रामकृष्ण परमहंस उस वृक्ष के नीचे गए और सांप को बुलाया। सांप क्रोध में परमहंस जी के सामने आंख खड़ा हुआ।

सांप को जीवन का ज्ञान देकर परमहंस वहां से चले गए।  सांप अब शांत स्वभाव का हो गया। वह किसी को काटना नहीं था।

गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।

एक दिन जब रामकृष्ण परमहंस उस गांव में दुबारा लौट कर आए। उन्होंने देखा बच्चे पीपल के पेड़ के नीचे खेल रहे हैं।
वह सांप को परेशान कर रहे थे। सांप कुछ नहीं कर रहा है।

ऐसा करता देख उन्होंने बच्चों को डांट कर भगाया , और सांप को अपने साथ ले गए।

संत की संगति में दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।

हाथी राजा और चींटी रानी की कहानी | वेरी शॉर्ट स्टोरी इन हिंदी

एक जंगल में चींटियों का एक झुंड रहा करता था। एक दिन की बात है। सारी झुंड की चीटियॉं मिलकर काफी देर से दाने इकट्ठा कर रही थी। उस झुंड में चीटियों की एक रानी भी थी। वह भी सभी के साथ मिलकर दानें इकट्ठा करने में मदद कर रही थी। नदी के किनारे एक पेड़ पर चिटियां दाने लेकर कतार से चढ़ रही थी।

उसी जंगल में एक शैतान हाथी रहता था। वह सभी जानवरों को परेशान करता था। उसकी नजर जैसे ही चिटियों की कतार पर पड़ती हैं। वह हाथी नदी में जाकर अपनी सूंड में पानी भर चिटियों की कतार पर डाल देता है। चिटियों की कतार टूट जाती है और सभी चिटियां पानी में बहने लगती है। यह देख कर हाथी बहुत खुश होता है।

चिटियों की रानी को हाथी पर गुस्सा आता है। वह हाथी के पास गई जाकर बोली यह जंगल सभी जानवरों का है। यहां छोटे जानवर हो या बड़े सभी को मिलकर रहना चाहिए।

हमें आपस में एक दूसरे को नुकसान नही पहुंचाना चाहिए। हम एक दूसरे की मदद कर इस जंगल में प्यार से भी रह सकते है।

हाथी चिटीं की बात सुन कर उस पर जोड़ों से हसं पड़ा और बोला तुम मेरी मदद करोगी, क्या मदद करोगी वह भी बता दो, चींटी रानी तुम इतनी छोटी हो तुम पहले अपनी मदद तो खुद कर लो वहीं काफी है। यह बोल कर हाथी वहां से मुस्कुराते हुए चला गया।

एक दिन चिटियां जंगल में आपस में खेल रही थी। तभी हाथी की आवाज सुनाई पड़ी। उसकी आवाज में बहुत पीड़ा थी। हाथी की आवाज जिस तरफ से आ रही थी चिटियों को लेकर चींटी रानी उसी दिशा में चल पड़ी।

थोड़ी दूर जाने के बाद उसने देखा की हाथी एक जाल में फंसा पड़ा है और जोर-जोर से चिल्ला रहा है। चींटी रानी उस के पास गई और बोली तुम परेशान मत हो मैं अभी अपने मित्र चूहे को बुला कर लाती हूं। वह तुम्हारा जाल काट तुम्हें यहां से निकाल देगा।

हाथी उस की बात सुनने के बाद भी शांत नहीं हो रहा था। उसे लगा की चूहा उसकी मदद को नहीं आएगा। क्योंकि हाथी अक्सर चूहे की बिल को बंद कर दिया करता था। जंगल में कही भी चूहे को देखता तो अपने पैरों से कूचल दिया करता था।

चींटी रानी चूहे के पास गई और हाथी की हालत के बारे में बताई और बोली उसे तुम्हारी मदद की जरूरत है। तुम हाथी की जाल काट दो।
चूहे ने हाथी की मदद करने से इंनकार कर दिया। उसने बोला अच्छा ही है इस हाथी को शिकारी को ले जाने दो, इसने जंगल के सभी जानवरों के नाक में दम कर रखा है।

चींटी रानी ने फिर चूहे को समझाते हुए बोला जंगल में हम सभी को एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। दोस्त नहीं तो शिकारी एक-एक कर सभी जानवरों को यहां से अपने साथ ले जाएगा। उसके बाद हमारा जंगल भी काट कर खत्म कर देगा। चूहे को चींटी रानी की बात समझ में आ गयी और वह हाथी की मदद करने को राजी हो गया।

हाथी की मदद के लिए चूहे ने अपने साथ और भी चूहे को मदद को चलने के लिए बोला। सभी चींटी रानी के साथ हाथी की मदद के लिए चल पड़े।

चींटी रानी अपने मित्र चूहे के साथ हाथी के पास पहुंच कर बोली अब तुम थोड़ी देर में आजाद हो जाओंगें। तुम परेशान मत हो।

हाथी ने बोला जल्दी करो चूहा भाई शिकारी गाड़ी लेकर आता ही होगा। चींटी रानी बोली आने दो शिकारी को उसे तो मैं देख लूंगी।
चूहे जाल काटने लगे। जाल अभी पुरी तरह कटा भी नहीं था कि शिकारी गाड़ी लेकर वहां हाथी को अपने साथ ले जाने को पहुंच गया।
शिकारी को देखते ही चींटी रानी अपने सभी साथी चिटियों के साथ शिकारी और उसके ड्राईवर पर हमला कर दी।

चिटियां जब उन दोनों को काटने लगी तो, वहां से दोनों भाग गए। इधर चूहे ने जाल काट दिया और हाथी को आजाद कर दिया। उस जाल से, निकलते ही हाथी ने चिटियों और चूहे से अपनी गलती की क्षमा मांगी। जाल से छुड़ाने के लिए दोनों को धन्यवाद बोला। उसके बाद हाथी बदल गया जंगल में किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाने लगा।

किसी भी जानवर को मुसीबत में देखता तो उसकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहता और चींटी और चूहे से उसकी मित्रता जंगल में सबसे अधिक थी।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है। जानवर छोटा हो या बड़ा सबसे सबको एक दूसरे कि कभी ना कभी मदद लेनी ही पड़ती है। इसलिए कभी भी किसी को बिना कोई वजह का नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। हमें सबके साथ मिलकर रहना चाहिए क्योंकि “एकता में ही बल है”।

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