आज हम अपने इस पोस्ट में बच्चों के लिए चार बेस्ट हिंदी कहानी (Hindi Kahani for kids) शेयर करने जा रहे हैं. जिससे उनको कुछ सीखने को मिलेगा। जिससे जीवन में आने वाले कठिनाइयों का सामना करने का रास्ता तो मिलता ही हैं. इसके साथ ही काफी मोटिवेशन भी मिलेगा।
Hindi Kahani for kids | बच्चों के लिए चार बेस्ट हिंदी कहानी
हम यहाँ आपके लिए माँ की सीख, भाग्य फले तो सब फले, वरदान एक इच्छाए तीन, झूठा कलंक बच्चों के लिए चार बेस्ट हिंदी कहानी (Hindi Kahani for kids) पढ़ते हैं-
माँ की सीख | hindi kahani with moral
किसी शहर में एक धनी मनुष्य था। उसके यहाँ बहुत से नौकर-चाकर काम करते थे। एक महिला भी उसके यहाँ घर की साफ-सफाई का काम करने आती थी। वह महिला बहुत गरीब थी लेकिन स्वभाव की बहुत अच्छी थी।
एक दिन वह महिला बीमार हो गई और काम करने नहीं आ सकी तो उसने अपनी जगह अपने बेटे को भेज दिया।
बेटे ने भी मन लगाकर साफ-सफाई की। जब बह सब चीजों को झाड़-पोछकर रख रहा था तो उसे एक घड़ी दिखाई दी। घड़ी सोने की थी और उस पर हीरे जड़े हुए थे।
बालक के मन में लालच आ गया। उसे घड़ी पहनेन का बहुत मन था। लेकिन गरीबी के कारण उसकी माँ उसके लिए घड़ी नहीं खरीद सकती थी। घड़ी को देखकर सोचने लगा… काश मेरे पास ऐसी घड़ी होती!
उस बालक का ईमान डोलने लगा। फलस्वरूप उसके घड़ी चुराने का विचार बना लिया और घड़ी अपने नेकर की जेब में रख ली।
झटपट काम निपटा कर वह अपने घर जाने लगा।
वह वहाँ से चलने ही वाला था कि उसे माँ की कही हुई बात याद आ गई। उसकी माँ ने एक दिन कहा था- बेटा! झूठ बोलना चोरी करना – ये दो पाप सबसे बड़े हैं। इनसे सदा बचना। इनसे बचे रहोगे तो तुम्हारा कभी अपमान नहीं होगा। चोरी करोगे और झूठ बोलोगे तो पुलिस पकड़ ले जाएगा। अपराधी सिद्ध हो जाने पर दंड मिलेगा। और जेल में जाकर पत्थर फोड़ने पड़ेगें। दंड की अवधि पूरी करके आओगे तो कोई तुम पर विश्वास नहीं करेगा।
माँ ने यह भी कहा था— ’’बेटा! हमें ईश्वर दिखाई नहीं पड़ता लेकिन ईश्वर हमें देखता रहता है हर समय हमारा अच्छा या बूरा काम सब उसकी निगरानी में रहता है।’’
यह सब सोचकर बालक पछताने लगा। घड़ी उसने जहाँ से उठाई थी, वहीं रख दी और बाहर चला गया। घर का मालिक यह सब देख रहा था वह अत्यंत सज्जन और दयावान था। बालक के मन की बात मालिक ने समझ ली थी।
बीमार के कारण वह महिला अगले दिन भी काम पर नहीं आई। उसका बेटा ही सफ़ाई करने आया।
जब वह बालक काम करने जाने लगा तो घर के मालिक ने कहा–’’कल से तुम्हीं काम करने आया करो। तुम्हारी माँ बूढ़ी हो गई है। अब उसे आराम की आवश्यकता है।’’
इसके बाद मालिक ने अपनी जेब से हाथ की एक घड़ी निकाली। घड़ी लड़के को देते हुए बोला–’’यह घड़ी मै तुम्हारे लाया हूँ। इसे हाथ पर बाँधा करो। इससे तुम्हें समय का ज्ञान होता रहेगा और तुम ठीक आईम पर आया और जाया करोगें।
घड़ी लेने में बालक हिचकिचा रहा था। मालिक ने कहा– हिचकिचाओ मत, डरो मत। घड़ी का मूल्य तुम्हारे वेतन से नहीं काटूँगा।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है कि ’’ईमादारी और सदाचार, आदर और प्यार प्रदान करते है।‘‘
भाग्य फले तो सब फले | moral stories in hindi for class 10
किसी गांव में एक ज्योतिषी रहता था उसका नाम जमुना था । वह पढ़ा.लिखा बिल्कुल भी नहीं था और ना हि उसे ज्योतिषी कि हि कोई ज्ञान थी। पर ज्योतिषी के बारे में उसे थोड़ी जानकारी थी जिसका उसे काफी अभिमान था इस अभिमान के कारण ही उसका गुजर-बसर हो रही थी।
एक दिन वह अपने गांव से दूसरे गांव जा रहा था। रास्ते में उसे एक खेत में दो सफेद बैल दिखाई दिए वह काफी सुन्दर और मजबूत दिख रहा था। यह बात अब उसके मन में बैठ गई कि शायद ये बैल किसी और का है और वह किसी और कि खेत की फसल खराब कर रहा है।
अब जिस गांव में ज्योतिषी को जाना था, वह वहां एक किसान के घर ठहरा था उसी गांव का एक किसान के दो बैल खो गए थे। उसे पता चला कि एक किसान के घर ज्योतिषी आए हैं। वह किसान भागा हुआ आया और ज्योतिषी जी मेरे दो सफेद बैल खो गए हैं। तनिक अपनी ज्योतिषी विद्या से बताइए कि वे किस दिशा में गए हैं।
ज्योतिषी मन ही मन मुस्कुराया और अपनी झूठ-मूठ में उंगलियों पर कुछ गणना की, आंखें बंद कर कुछ सोचने का नाटक किया। उसके बाद बोला भैया तुम्हारे बैल पश्चिम दिशा में एक हरे भरे खेत में चरते हुए दिखेगें। तुम जाकर तुरन्त उसे लेकर आ जाओं।
किसान और कुछ गांव वाले ज्योतिषी के बताए दिशा में गए तो उन्हेें वहां बैल खेत में चरते हुए ही मिला तो पुरे गांव में ज्योतिषी का गुणगान होने लगा। किसान ने ज्योतिषी की खुब आवभगत किया और काफी दक्षिणा भी दिया।
जिस किसान के यहां ज्योतिषी ठहरे थे, उसने ज्योतिषी की ज्ञान की परिक्षा लेनी चाहि क्यों कि किसान को मालूम था कि वह उसी दिशा से आया है जिस दिशा में बैल मिली थी।
किसान ने ज्योतिषी जी से पूछा यदि आपको ज्योतिषी का ज्ञान है तो बताओं कि हमारे घर में आज कितनी रोटी बनी है। ज्योतिषी ने पहले हि टोकरी में रोटियां रखते किसान की स्त्री को देख लिया था। कुछ काम तो उन्हें था नहीं, इसलिए वक्त काटने के लिए ऐसे ही उन रोटियों को गिनती कर लिया था।
किसान के प्रश्न करते हि ज्योतिषी ने बोला कि आपके घर आज अठारह रोटी बनी है।
किसान ने पता किया तो यह बात सच निकली। अब तो ज्योतिषी की प्रसिद्धि खूब बढ़ गई। पूरे गांव में यह बात फैल गई और अब क्या था ज्योतिषी के पास बहुत ग्राहक आने लगे।
इसी बीच राजा की रानी का बहुमूल्य हार खो गया। जिन ज्योतिषी का यश फैला हुआ था, राजा ने उन्हें बुलवाया।
राजा ने ज्योतिषी से कहा मेरी रानी का बहुमूल्य हार खो गया है। अपनी ज्योतिषी विद्या से बताइए तो, रानी का हार कौन ले गया है और वह कहां है? हार मिल गया तो आपकों बहुत सारा इनाम दूंगा।
जमुना महराज सोच में पड़ गए। परेशान भी हुए। राजा ने ज्योतिषी से फिर कहां आज रात आप यही रूके और पूरी रात सोच विचार कर आप मुझे सुबह बताईए कि रानी का हार किस दिशा में और किस के पास है, पर ध्यान रहे कि अगर आप की बात गलत निकली तो तुम्हें कोल्हू में पिसवा दूंगा।
रात को भोजन कर जमुना जब बिस्तर पर लेट गए। कल सुबह क्या होगा जमुना पूरी रात यहीं सोच डर में बिता रहे थे और खुद से बाते कर रहे थे क्यों कि निंद उनकी आंखों से उड़ गई थी, नींदिया तूझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा। निंदिया रानी कि एक दासी का भी नाम था। उसी ने रानी का हार भी चूराया था। जब ज्योतिषी के मुंह से रात को दासी ने अपनी नाम सुना तो एकदम सनन रह गई। उसे लगा कि ज्योतिषी को पता चल गया है कि हार मैंने चूराया है।
चोर के आरोप से बचने के लिए दासी ज्योतिषी जी के पास पहुंची और विनयपूर्वक बोली महराज ये लिजिए यह खोया हुआ हार। आप मेरा नाम मत लेना ज्योतिषी जी को मन मांगी जैसे मुराद मिल गई। मन हि मन खुश हुआ और निंदियां से बोला तुम इस हार को रानी के पलंग के निचे रख दो।
निंदिया ने ज्योतिषी जमुना की आज्ञा का पालन किया।
सुबहः जब दरवार लगी तो राजा ने ज्योतिषी से पूछा कि रानी का हार कहां मिलेगा। फिर ज्योतिषी ने अपनी उंगलियों पर कुछ गिनती कि और बताया कि रानी का हार उनके महल में ही, उनके पलंग के नीचे थोड़ा घ्यान से ढुंढ़ोें रानी का हार कोई नहीं चूराया है।
ढूंढा गया तो हार रानी के पलंग के नीचे हि मिला राजा बहूत खुश हुए और ज्योतिषी जमुना को बहुुत सारा ईनाम भी दिया।
वरदान एक इच्छाए तीन | shikshaprad kahani in hindi with moral
एक नगर में एक राजा रहता था। वह मां काली का भक्त था और प्रतिदिन शाम को मां काली के मंदिर जाया करता था। वहां जाकर वह दिपक जलाकर लौट जाता था।
उसी नगर में एक चोर रहता था। वह भी शाम को प्रतिदिन मां काली के मंदिर जाया करता था। और काली मां के दर्शन करता था और कुछ देर मंदिर में रूक कर वापस लौट जाता था।
चोर काली मां के दर्शन करने के बाद उस बुझे हुए दिपक को दूबारा जला देता था। फिर वह हाथ जोड़कर काली मां से प्रार्थना करता था।
रोज की इस आराधना से काली मां चोर पर बहुत प्रसन्न हो गई। काली मां ने चोर से कहां तुम्हारी सेवा से मै बहुत प्रसन्न हूं। तुम कोई एक वरदान मुझसे मांग लो।
चोर हाथ जोड़कर बोला ’’मां मै कम पढ़ालिखा हूं, अतः विचार कर मै कल वरदान मांग लूंगा।‘’
चोर मंदिर से सीधा अपने घर आया। सबसे पहले उसने सारी बातें अपने पिता जी को बताया और कहां कि मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मै काली मां से क्या वरदान मांगू?
पिता ने कहां बेटा उन से ना घन मांग लो । हम बहुत गरीब हैं। धन मिल जाने से हमारी गरीबी दूर हो जाएगी। चोर घर के अंदर गया तो उसकी मां मिली। मां से भी चोर ने वही बात कहीं जो पिता से कहीं थी। वह बोला बताओं मां क्या वरदान मांगू?
मां बोली बेटा। उनसे मेरे लिए आंखें मांग लो जिससे में दूनियां को देख सकूँ।
इसके बाद चोर अपनी पत्नी के पास गया जो रसोईघर में खाना बना रही थी। उससे भी चोर ने पूंछा क्या मांगू?
पत्नी ने बोला आप काली मां से एक बेटा मांग लो जिससे मेरी गोद भर जाए।
तीनों की बात सुनकर चोर परेशान हो गया। वरदान केवल एक मांगना हैै। अब मैं पिताजी के लिए धन मांगता हूं तो मां और पत्नी नाराज होंगी। यदि मां के लिए मांग लू तो पिताजी और पत्नी नाराज होगी। यदि पत्नी की बात मानता हूं तो पिताजी और मां अप्रसन्न हो जाएगें। वरदान एक और इच्छा तीन।
चोर बहुत चतुर था। उसने तीनों की इच्छा पूरी करने का सोच लिया। अगले दिन जब वह काली मां के मंदिर पहुंचा और काली मां को पुकारा तो काली मां प्रकट हो गयी।
चोर माता, पिता और पत्नी में से किसी को भी अप्रसन्न नहीं करना चाहता था। उसने काली मां से कहां कि वरदान दे दो कि मेरी मां को एक पोता मिल जाए जिसे वह सोने.चांदी के पालने में अपनी आंखों से झूलता हुआ देख सके।
काली मां ’एवमस्तु’ कहकर अंतधार्न हो गई।
इस प्रकार चोर ने अपनी चतुराई से तीनों की इच्छाएं पूरी कर दी थी।
झूठा कलंक | शार्ट मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी विथ मोरल
गंगा नदी हमारे देश की पवित्र नदीयों में से एक माना जाता है। गंगा नदी के किनारे एक गांव बसा हुआ था जिसका नाम कुसुमपुरा था।
एक दिन अनेक तीर्थों में से भ्रमण करता एक तपस्वी उस गांव में आ गया। वहां गंगा नदी के किनारे का स्थान उसके मन को भा गया तो वह वहीं आश्रम बनाकर रहने लगा। वहीं गंगा के किनारे उस तपस्वी ने एक छोटा मंदिर भी बना लिया तथा प्रातः और सायं को भगवान की पूजा और आरती करने लगा।
उस तपस्वी का नाम हरस्वामीं था।
हरस्वामी के आश्रम में बहुत से लोग इक्ठे हो जाते थे और वहां हरि.चर्चा होने लगती थी। अतः धीरे-धीरे हरस्वामी का यश चारों ओर फैलने लगा।
उसी गांव में एक पूजारी पहले से उपस्थित था वह हरस्वामी की बढ़ती हुई कीर्ति देखकर उससे ईष्र्या करने लगा। एक दिन हरस्वामी भिक्षा मांगने नगर में गया तो वह पूजारी नगर के लोगों को यह बोल कर भड़काने लगा था। आश्रम में एक ढोंगी महात्मा आ गया।
हरस्वामी बड़ा कपटी है। यह नर-मांस खाता है। इसने कुसुमपुरा में बहुत से बच्चों को खा लिया है।
एक पाखंडी ब्राहमण है। धीरे-धीरे यह बात पूरे नगर में फैल गई। नगरवासियों को विश्वास हो गया कि हरस्वामी बच्चों को खा जाता है। अतः उन्होंने अपने बच्चों को घर से बाहर निकलने से रोक दिया।
बत यहीं समाप्त नहीं हुई। नगरवासियों ने स्वामी को वहां से भगा देने का निर्णय कर लिया। उन्होंने अपने दूत के द्वारा हरस्वामी को भिजवाया।
छूत हरस्वामी के पास पहुंचा और सारी कहानी सुनाकर नगरवासियों का संदेश सुना दिया कि आप दस नगर से चले जाएं।
छूत की पूरी बात सुनी तो हरस्वामी हक्का-बक्का रह गया। उसे दुख भी बहुत हुआ। लेकिन वह उस बात को बर्दास्त नही ंकर सका और वह नगर में चला गया।
नगरवासियों के पास जाकर हरस्वामी ने कहा, “आपका संदेश मुझे मिल गया है। पर मेरा आप लोगों से निवेदन है कि मेरे नगर छोड़़ने से पूर्व खोज करके बता दें कि किस बच्चे को मैंने खा लिया है।”
खोज कर के देखा गया तो पता चला कि नगर में सब लोगों के बच्चे सकुशल हैं। लोगों को विश्वास हो गया कि हरस्वामी ने किसी भी बच्चे को न तो खाया और नगर के किसी को कोई नुकसान पहुंचाया है। व्यर्थ ही उसकी निंदा की जा रही थी।
नगरवासियों को अपनी भूल ज्ञात हुई तो उन्होंने हरस्वामी से क्षमा मांगी और लोगों ने कहां अब आप यहीं रहें, नगर छोड़कर न जाएं।
नगरवासियों के रोकने पर हरस्वामी वहां नहीं रूका, उस नगर को छोड़कर चला गया। उसने कहां जहां झूठा कलंक लगाएं, वहां रहना उचित नहीं है।
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