Hindi Kahani Acchi Si | हिंदी कहानी अच्छी सी | नमक कितना जरूरी है?

Hindi Kahani Acchi Si | हिंदी कहानी अच्छी सी | नमक कितना जरूरी है: बहुत पुरानी बात है, एक राजा थे, जिनकी तीन राजकुमारी थी। राजा ने तीनों राजकुमारी को शिक्षा लेने के लिए गुरू के पास गुरुकुल में भेजा था।

तीनों राजकुमारी कई वर्षों तक जंगल में अपने महलों से दूर रहकर अपने राज्य वापस आई थी।

राजकुमारी के महल वापस आने की खुशी में राजा ने बहुत बड़ी दावत आयोजन करवाई।

राजा ने अपनी तीनों राजकुमारी को दावत के दौरान राज्यसभा में उपस्थित रहने को कहा था।

दावत शुरू हुई तो राजा ने अपने महामंत्री से कहा — मंत्रीजी, क्या आप राजकुमारी से कुछ सवाल करना चाहेगें, हमें भी तो मालूम हो हमारी राजकुमारी हमसे दूर होकर गुरू से क्या शिक्षा पा कर वापस आई है?

महाराज की बात सुनते ही मंत्री जी ने कहा- अवश्य महाराज। मैं इन तीनों राजकुमारी से एक ही सवाल करना चाहुंगा? आपका प्यार तो हमें मालूम है कि आप इन तीनों राजकुमारी को एक बराबर प्यार करते है, पर हम सभी सभा में उपस्थित यहीं जानना चाहेगें की तीनों राजकुमारी आप से कितना प्यार करते हैं?

बड़ी राजकुमारी ने तुरंत उत्तर दिया- हम महाराज को इतना प्यार करते है जितना सूर्य इस धरती से करती है।
राजकुमारी का उत्तर सुनकर सभा में उपस्थित लोग खुश हो गए।

दूसरी राजकुमारी ने कहा- मैं महाराज को इतना प्यार करती हूं जितना महाराज अपनी प्रजा से करते हैं।
सभी लोग यह उत्तर सुनकर भी प्रसन्न हो गए।

तीसरी राजकुमारी ने उत्तर दिया- मैं महाराज को इतना प्यार करती हूं जितना लोग खाने में नमक से करते हैं।

तीसरी राजकुमारी के उत्तर से सभा में उपस्थित सभी लोग हंसने लगें।

मंत्री चुपचाप राजकुमारी की उत्तर पर विचार कर रहा था। तभी महाराज की गुस्से भरी आवाज मंत्री के कानों में पड़ी।

मंत्रीजी अभी तुरंत आप कुछ सिपाहीयों के साथ जंगल की ओर प्रस्थान करें। राजकुमारी को यह कह कर जंगल में छोड़ आने को कहा कि अभी राजकुमारी की शिक्षा अधुरी लग रही हैं।

राजकुमारी अपने पिता के मुंह से यह सुनकर दंग रह गई, उन्होंने सोचा था कि महाराज मेरे उत्तर से प्रसन्न होगें पर उन्होंने तो मुझें दंड दे दिया।

राजकुमारी अपनी आंखों में आंसु लिए महल से बाहर आई तो उन्हें मंत्रीजी ने एक घोड़े पर बैठने को कहा। राजकुमारी घोड़े पर चढ़कर बैठ गई तो मंत्री जी के साथ दो सिपाही और अपने-अपने घोड़े पर चढ़कर जंगल की ओर रवाना हो गए।

राज्य से बाहर निकल कर मंत्री ने राजकुमारी से कहा- आपका उत्तर तो सबसे सर्वश्रेष्ठ था पर आपको सजा क्यों मिली में तय नहीं कर पा रहा हूं।

राजकुमारी ने उत्तर दिया- मैं महाराज पर नाराज नहीं हूं दुनियां का दस्तुर यहीं है। आप लोगों के विचार से हट कर कुछ करते या कहते हो दुनियां उसे समझ नहीं पाती इस वजह से अब मुझें सजा मिल गई।

मंत्री ने राजकुमारी से कहा- आप परेशान ना हो, मैं अभी महल जाकर महाराज को बताता हूं। और मैं अभी आपके साथ यहां दो सिपाहियों को छोड़कर जाता हूं यह बोलकर मंत्री महल की ओर रवाना हो जाते है।

मंत्री जी महल पहुंचकर सबसे पहले रसोई घर में जाते है और बिना नमक का पकवान बनने को रसोईयां से कहते है। उस पकवान को एक थाल में लगवाकर दरबार में उपस्थित हो जाते है।

उस थाल को महाराज के पास पेश किया जाता है, थाल में तरह-तरह के पकवान देखकर महाराज कुछ समझ नहीं पाते।

महाराज मंत्री से पुछते है क्या है यह सब?

राजकुमारी को आप जंगल छोड़ जाए?

मंत्री ने उत्तर दिया- जी महाराज! और साथ ही आप के लिए यह भोजन है आप इसे चखें और बताएं कि कैसा बना है।

महाराज खाना खाते ही समझ जाते है कि मंत्री ने यह थाल क्यों बनवाया है। महाराज को अपनी राजकुमारी की कही बात याद आती है जितना खाने में नमक जरूरी है उतना वह प्यार करती है। महाराज के आंखों से आंसु आ जाता है वह तुरंत मंत्री जी के साथ जंगल में राजकुमारी के पास पहुंचकर उनसे अपनी गलती की मांफी मांगते है और राजकुमारी को अपने साथ महल ले कर लौट जाते है।

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