आज हम (Hindi Story for Kids) (हिंदी स्टोरी फॉर किड्स), बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ (Short Moral Stories in Hindi) शेयर करने जा रहे हैं। यह न केवल बच्चों के लिए लाभदायक होगी बल्कि माता-पिता, शिक्षक, दादा-दादी भी पढ़ सकते हैं। जिससे वो अपने बच्चों को इस कहानी को सुनाकर अच्छी शिक्षा दे सकें।
Hindi Story for Kids | हिंदी स्टोरी फॉर किड्स
हम अपने इस पोस्ट में बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ (Hindi Story for Kids) पढ़ेंगे। जिससे न केवल हमारा मनोरंजन होंगे बल्कि जिससे हमें अच्छी सीख भी मिलेगी।
शेर की दादागिरी। हिंदी स्टोरी फॉर किड्स इन हिंदी
एक जंगल में एक शेर, सियार, लोमड़ी और गीदड़ चार मित्र रहते थे। शेर उनका लीडर था। वे जंगल में जिधर भी निकल जाते, तबाही मचा देते थे। सीधे-सादे जानवरों को सताते किसी के साथ मार-पीट करते किसी का घर तोड़ देते। कोई बड़ा और ताकतवर जानवर उन्हें मिल जाता, तो शेर को उल्टा-सीधा भड़काकर उनमें झगड़ा करवा देते और खुद तमाशा देखते।
एक दिन चारों जंगल में जा रहे थे तो लोमड़ी की नजर एक ऊंट पर पड़ी। उसे देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। उसने सियार को इशारा किया, सियार ने गीदड़ को। इन तीनों में सलाह बनते ही शेर को भड़का दिया- महाराज! कितना बेअदब ऊंट है। आपको देखकर प्रणाम तक नहीं किया।
शेर कुछ मोटी बुद्धि का था। उनके भड़काते ही वह ऊंट पर झपट पड़ा। ऊंट बेचारा अभी शेर से अपना कसूर पूछता कि उस मंदबुद्धि पे पलक झपकते ही उसकी गरदन मरोड़ दी। सियार, लोमड़ी, गीदड़ बहुत खुश हुए। लोमड़ी बोली- बहुत ठीक सजा दी, अब इसके चार हिस्से होने चाहिए।
खबरदार शेर गुर्राते हुए बोला- इस पर सिर्फ मेरा हक है। सियार बोला- मगर कैसे महाराज! हम चारों तो अच्छे मित्र है तो इसके चार टुकड़े होने चाहिए। वैसे भी हम आपकी प्रजा है। शेर ने गुस्से से बोला- मुर्खों इसका आधा भाग मेरा है, क्योंकि मैं जंगल का राजा हूं। बाकी बचे आधे में से फिर आधा मेरा है।
लोमड़ बोली- ठीक है महाराज हम समझ गए। इस ऊंट पर आपका अकेले का ही अधिकार है।
वो तीनों एक तरफ चुपचाप बैठ गए, शेर को अकेला दावत उड़ाते देखते रहे, इस इंतजार में की कुछ तो वह उनके लिए छोड़ेगा। वे समझ गए थे कि अब हर शिकार में से आधा शेर का हो जाएगा। इसलिए कहा गया है कि ताकतवर दोस्त कभी भी नजर फेर सकता है। दोस्ती अपनी हैसियत के अनुसार करनी चाहिए।
अपरिचित से भय। Best Hindi Story for Kids
एक गीदड़ का बच्चा अकेले ही जंगल में घूम रहा था। अचानक उसे एक भयंकर गर्जन सुनाई दी। वह बच्चा आवाज सुनकर कांप उठा। आज से पहले उसने इतनी तेज गजना नहीं सुनी थी।
उसने अपने माता-पिता से शेर और बाघ के बारे में सुन तो रखा था कि वो देखने में कैसे और उनकी गर्जनें की आवाज कैसी होती है, पर उसने उन्हें अभी तक देखा नहीं था।
वह पास की झाड़ी में छिपकर बैठ गया और गर्जने वाले जानवर का इन्तजार करने लगा। वह आज उन्हें देखना चाहता था।
उसे पता था कि बाध के शरीर पर धारियां होती हैं तथा चीते के शरीर पर धब्बे होते हैं, शेर की गरदन पर घने बाल होते हैं। हाथी का शरीर पहाड़ जैसा होता हैं और लम्बी नाक होती है।
उन्हें गर्जना फिर से सुनाई दी। इस बार यह आवाज काफी करीब था। गीदड़ के बच्चें का कलेजा कांप उठा। उसका मन किया की वह वहां से भाग जाए। पर आज वह उस गर्जनें वालें को देखना भी चाहता था। भय से कांपता हुआ झाडी में छिपा बैठा रहा।
कुछ समय बाद शेर वहां से गुजरा। उसकी आंखें बड़ी-बड़ी, शक्तिशाली शरीर और जबड़े देखकर गीदड़ का बच्चा अधमरा-सा हो गया। पर वह खुश भी था कि आज उसने शेर को अपनी आंखों से देखा था।
कुछ समय बाद उस गीदड़ के बच्चें ने फिर से शेर को नदी के रास्ते जाते देखा। डर तो उसे आज भी लगा, परन्तु बहुत कम और जब उसने शेर को देखा तो सोचा आज मैं इनसे बात कर के ही रहूंगा। वह भी नदी के रास्ते दोड़ता चला गया। वह शेर के पास जाकर बोला- प्रणाम महाराज, मैं आपका तुच्छ सेवक गीदड़ हूं।
शेर ने देखा गीदड़ का बच्चा हैं तो उसने भी उसकी ओर मित्रभाव से उसके नमस्कार का उत्तर देकर आगे चला गया। गीदड़ का बच्चा के आज पांव जमीन पर ना थे, वह खुश होकर नाचने लगा। क्योंकि आज उसने शेर से बात जो की थी।
किसी ने सच ही कहा कि शुरू में अपरिचित से भय लगता हैं, किन्तु जब व्यक्ति उसकी असलियत जान लेता है तो उसका भय भी चला जाता है।
दुष्टों की संगति। हिंदी स्टोरी फॉर किड्स
एक गांव में एक किसान रहता था। उसका नाम राजू था। राजू अपने घर में कमाने वाला एक ही व्यक्ति था।
उसके परिवार में राजू के अलावा उसके बुढ़े माता-पिता, उसकी पत्नी एक बेटा था राजू ने अपने पास एक कुत्ता भी पाल रखा था। जिसका नाम टोनी था। टोनी हमेशा अपने मालिक के साथ रहता था।
राजू अपने परिवार का पालन-पोषन खेती कर जो अनाज उपजता उसी को बाजार में बेचकर अपना परिवार चला रहा था।
राजू हमेशा अपने परिवार को खुश रखने के लिए कड़ी मेहनत करता था।
राजू कुछ दिनों से बहुत परेशान था क्योंकि उसके खेत में रोज कहीं से कौओं का एक विशाल झुंड आ जाता और उसकी फसल तहस-नहस कर देता।
राजू अपने खेतों में कपड़े का पुतले खड़े किए, किन्तु कौंए उसके धोखे में नहीं आए। उन्होंने उन पुतलों को भी तहस-नहस कर डाला। टोनी भी उन कौओं को अकेले नहीं भगा पर रहा था।
जब राजू बेहद दुःखी हो गया तो उसने अपने खेत में बहुत बड़ी जाल बिछा दिया। जाल के ऊपर उसने खुब सारा अनाज के दाने बिखेर दिए।
कौओं की नजर जब दानें पर पड़ी, तो बिना कुछ सोचे-समझे, वे सभी दानों पर टूट पड़े। दाने चुगने के लिए कौआ जैसे ही जमींन पर उतरे, सब के सब जाल में फंस गए।
राजू जाल में फंसे कौओं को देखकर बहुत खुश हुआ और बोला आज तुमलोग मेरे चंगुल में फंसे हो दुष्टों! अब मैं तुमलोगों में से किसी को भी जिंदा नहीं छोडूंगा।
तभी राजू को एक करूण आवाज कौओं की झुंड से सुनाई दी, “मुझे छोड़ दो मुझें जाने दो”। उसे सुनकर राजू को बहुत आश्चर्य हुआ। उसने ध्यान से जाल में देखा तो उसकी नजर सभी कौओं के बीच एक कबूतर पर पड़ी।
राजू ने कबूतर से कहा कि अरे इस टोली में तुम शामिल कैसे हो गए? पर मैं तुम्हें भी छोड़ने वाला नहीं हूं। क्योंकि तुम बुरे लोगों की संगति करता हैं तो तुम्हें बुरे लोगों की संगति का फल भोगना ही पड़ेगा।
इतना कहते ही राजू ने अपने टोनी को सब पर हमला करने का इशारा कर दिया।
टोनी भी दौड़ते हुए आया और उन सभी पक्षियों पर टूट पड़ा। एक-एक कर उसने सभी का काम तमाम कर दिया।
एकता में बल है (Hindi Story for Kids)
एक गाँव में राम नाम के एक मुखिया थे। आसपास के गाँव में भी उनकी बड़ा प्रतिष्ठा थी। बड़े ही मौज के साथ उनका समय बीत रहा था। मगर एक बात से वह हमेशा परेशान रहते थे। वह यह कि उनके पाँच बेटे थे और सभी आपस में लड़ते झगड़ते रहते थे। राम सोचते थे कि यदि इनकी यही आदत रही तो मेरी कमाई हुई प्रतिष्ठा को खो देंगे। साथ ही कोई भी बेइज्जत करता रहेगा।
आखिर सोचते-सोचते राम को एक तरकीब सूझी। एक दिन उसने पाँचों लड़कों को अपने पास बुलाया। जब सब आ गए तो पतली-पतली लकड़ियों का बना हुआ एक गट्ठर उन्होंने उनके सामने रखकर कहा- ’’तुममें से जो लकड़ियों के इस गट्ठर को एक साथ तोड़ देगा, उसे मैं सबसे अधिक संपत्ति दूँगा।’’
पाँचो लड़के एक साथ तैयार हो गए। सभी यह कह रहे थे पहले मै तोडूँगा क्योंकि सबको लग रहा था कि कहीं मेरी बारी आ पाऐगी की नहीं। राम ने आदेश दिया कि सबसे छोटा भाई पहले तोड़ेगा फिर अससे बड़ा फिर उससे बड़ा।
सबने खूब मेहनत कि पर पाँचों भाई में कोई भी नही तोड़ पाया, फिर राम ने पाँचों लड़को को एक-एक लकड़ी दी और कहा- ’’अब अपनी-अपनी लकड़ी तोड़ दो।’’
सबने आसानी से अपनी लकड़ी तोड़ दी। तब राम ने पाँचों बेटों से कहा देखा तुम लोगों ने ?
जब तक ये इकट्ठी बंधी थीं, तुममें से कोई इसे नहीं तोड़ पाया। अब अलग-अलग हो गई तो तुम सब ने इन्हें बड़ी आसानी से तोड़ दिया। यह कहकर राम ने पाँचों बेटों की ओर देखा और कहा- ’’मै ठीक कह रहा हूँ न ?’’
अब तुम्हारी समझ में आ जाना चाहिए कि यदि तुम आपस में मिल कर रहोंगे तो कोई भी तुम से लड़ने के लिए नही सोचेगा और यदि तुम से कोई लड़ता भी है तो वो जीत नहीं सकता जब तक तुम पाँचों मिल कर रहोगें।
यह बात पाँचों पुत्र के समझ में आ गई की एकता में हि बल है। इस शिक्षा के लिए सबने अपने पिता का शुक्रिया अदा किया।
श्रम और रोटी (Hindi Story for Kids) बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ
गुरू नानक जी श्रम और ईमानदारी पर बहुत अधिक बाते लोगों को बताया तथा समझाया करते थे। वे प्रायः लोगों को यही समझाते थे कि मेहनम करो और काम-काज और व्यवहार में ईमानदरी बरतो।
एक बार गुरू नानक जी उपदेश देने के लिए एक गाँव में गए। जब उनका उपदेश समाप्त हो गया तो उन्हें दो व्यक्तियों ने अपने घर भोजन करने के लिए कहा। उनमें एक जमींदार था और दूसरा लोहार। भला एक साथ नानक जी दोनों घरों में कैसे जा सकते थे ?
अतः थोड़ी देर कुछ सोचने के बाद गुरू नानक जी ने दोनों व्यक्ति को भोजन वही ले आने को कहा जहाँ वे ठहरे हुए थे। जमींदार के धर से अच्छे-अच्छे पकवान आए। पर लोहार के घर से मक्के की रोटी और नमक आया।
नानक जी ने दोनों के भोजन को देखा और मक्के की रोटी को नमक से खाने लगे। यह बात जमींदार को अच्छी नही लगी। उसने नानक जी से कहा आपने अच्छे-अच्छे भोजन छोर कर लोहार की लाई मक्के की रोटी क्यों खाई ?
नानक जी ने इस बात का कोई उत्तर नही दिया। उन्होंने एक हाथ में पूरी और दूसरे हाथ में मक्के की रोटी का एक टूकड़ा लिया। उन्होंने पूड़ी को मुट्ठी में रखकर दबाया तो रक्त की बूँदे टपक पड़ीं। लेकिन जब इसी प्रकार रोटी को दबाया तो उसके भीतर से दूध की बूँदे गिरीं। यह देखकर लोगों को बहुत ही आश्चर्य हुआ।
जमींदार और लोहार के भी आश्चर्य की सीमा न रही।
नानक जी ने फिर सबको समझाया- ’’जमींदार की पूड़ी से खून की बूँदे इसलिए टपकीं क्यों कि वह दूसरों के श्रम को चूसकर बनाई गई है। लोहार की रोटी से दूध की बूंदें इसलिए गिरीं क्यों कि वह मेहनत और ईमानदारी से पैदा किए गए अन्न से बनाई गई है।’’
मेहनत और ईमानदारी के फल को साक्षात देखकर सब लोग हैरान रह गए और गुरू नानक जी के चरणों में गिर पड़े। गुरू नानक जी ने सबकों यह संदेश दिया कि वे श्रम करें और काम-काज में ईमानदारी में काम लें।
राजा चन्द्रसेन और नवयुवक सूरज की कहानी
समुद्र किनारे बसे नगर आम्रलिपि के राजा चन्द्रसेन के पास सूरज नाम का एक युवक नौकरी मांगने आता है। मगर चन्द्रसेन के सिपाही सूरज को उनके पास जाने नहीं देते है। सूरज हमेशा इसी ताक में रहता है कि किसी तरह राजा से मिला जाए।
एक दिन राजा की सवारी महल से निकल कर कहीं जा रही होती है। गर्मी अधिक होने के कारण राजा चन्द्रसेन को बहुत तेज प्यास लग जाती है। बहुत खोजने पर भी उन्हें पानी नहीं मिलता, ऐसा लगता है मानो प्यास से उनकी जान ही निकल जायेगी!
तभी उन्हें रास्ते में खड़ा एक युवक दिखता है। वह कोई और नही सूरज ही रहता है, जो जानबूझ कर पहले से राजा के रास्ते पर मौजूद रहता है। उसे देख राजा उससे पानी मांगते हैं। सूरज फौरन राजा की प्यास बुझा देता है और साथ ही खाने के लिए उन्हें फल देता है। चन्द्रसेन सूरज से प्रसन्न हो पूछते हैं कि वह उनके लिए क्या कर सकते हैं?
सूरज मौका देख अपने लिए नौकरी मांग लेता है। राजा चन्द्रसेन उसे काम दे देते हैं, और कहते हैं कि वो उसका उपकार याद रखेंगे।
सूरज धीरे-धीरे राजा का करीबी बन जाता है। एक दिन राजा उससे कहते है कि हमारे नगर में काफी बेरोजगारी है और पास में एक टापू काफी हरा भरा है। अगर उस टापू पर जा कर खोज की जाए तो हो सकता है हमारे नगर के लोगो के लिए वहां कोई काम निकल आये।
सूरज तुरंत खोजबीन करने का बीड़ा उठा लेता है और राजा चन्द्रसेन से एक नाव और कुछ सहयोगी अपने साथ लेकर समंदर में टापू की और निकल पड़ता है। टापू के पास पहुँचते ही सूरज को एक झंडा पानी में तैरता नजर आता है। उसे देख सूरज तुरंत हिम्मत कर के पड़ताल करने के लिए पानी में कूद पड़ता है।
सूरज अचानक खुद को टापू की जमीन पर पाता है। जहां एक सुंदर लड़की संगीत सुन रही होती है। वह उस टापू की राजकुमारी होती है।
सूरज उसे अपना परिचय देता है और राजकुमारी सूरज को भोजन करने का प्रस्ताव देती है और खाने से पहले एक पानी के छोटे तालाब में स्नान करने को कहती है।
सूरज जैसे ही पानी में नहाने जाता है। वह खुद कों आम्रलिपि के महल में राजा चन्द्र सेन के पास पाता है। और इस चमत्कार को देख चन्द्रसेन भी चकित रह जाते हैं। चन्द्रसेन खुद इस रहस्यमय जगह पर जाने का फैसला कर लेते है और वहाँ जा कर उस टापू को जीत भी लेते हैं। उस टापू की राजकुमारी विजेता चन्द्रसेन को उस टापू का राजा घोषित करती हैं।
जीत की खुशी में राजा चन्द्रसेन उस राजकुमारी से सूरज का विवाह कराने का आदेश दे देते हैं और उस क्षेत्र की रक्षा और प्रतिनिधित्व का भार सूरज को सौप देते हैं। इस तरह चन्द्रसेन सूरज के उपकार का बदला चुकाते हैं।
आपको इन कहानियों (Hindi Story for Kids | बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ | Short Moral Stories in Hindi) से क्या शिक्षा मिली। कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताइयेगा। इसके साथी ही इसको अपने जीवन में ढालने का प्रयत्न्न कीजिये। जिससे की आपका जीवन सुखमय हो सके.
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