Short Story in Hindi with Moral | शॉर्ट स्टोरी इन हिंदी विथ मोरल

आज हम आपके लिए Short Story in Hindi with Moral लेकर आये हैं। जिसके पढ़ने से न केवल आपका ज्ञानवर्धन होगा बल्कि आपको जीवन के लिए बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

Short Story in Hindi with Moral | शॉर्ट स्टोरी इन हिंदी विथ मोरल

हम Short Story in Hindi with Moral | शॉर्ट स्टोरी इन हिंदी विथ मोरल के सीरीज में आइये पढ़ना शुरू करते हैं-

नेकी के बदले नेकी। Short Story in Hindi

एक मधुमक्खी थी। वह एक दिन उड़ती हुई तालाब के ऊपर से जा रही थी, तभी अचानक वह तालाब के पानी में गिर गई। मधुमक्खी के पंख पानी में गिरने से गीले हो गए। अब वह उड़ नहीं सकती थी। उसे लगा अब उसकी मौत पक्की है।

वही तालाब के किनारे एक पेड़ पर एक कबूतर बैठा था। उसने मधुमक्खी को पानी में डूबते हुए देखा।

कबूतर ने मधुमक्खी की जान बचाने के लिए जल्दी में पेड़ से एक पत्ती तोड़ा और उसे अपनी चोंच में दबाकर तालाब के पानी में ले गया, जहां मधुमक्खी डूब रही थी। उस पत्ते को कबूतर ने मधुमक्खी के पास गिरा दिया।

मधुमक्खी पत्ते को देखकर उसकी ओर बढ़ने लगी और पत्ते पर धीरे-धीरे कर के चढ़ गई। थोड़ी देर में उसके पंख सूख गए। उसने कबूतर को धन्यवाद दिया, फिर वह उड़ कर दूर चली गई।

कुछ दिनों के बाद कबूतर एक पेेड़ की डाल पर आंख मूंद कर सो रहा था। तभी एक शिकारी की नजर उस कबूतर पर पड़ी। शिकारी ने तुरन्त अपने तीर से कबूतर के उपर निशाना साधने लगा।

मधुमक्खी कहीं से घूमते हुए उस पेड़ के पास आ गयी। उसने शिकारी को कबूतर के उपर निशाना साधते देख लिया। मधुमक्खी ने शिकारी के हाथ पर डंक मार दिया। जिससे शिकारी दर्द से चीखने लगा। उसकी चीख सुनकर कबूतर जाग उठा। मधुमक्खी ने इस प्रकार कबूतर की जान बचा ली।

घोड़े की आजादी। मजेदार स्टोरी इन हिंदी

कई वर्ष पहले की बात हैं। घोड़े पहले दूसरे जंगली जानवरों की तरह ही जंगलों में रहा करते थे। दूसरे जानवरों की तरह उनका भी शिकार होता था।

एक बार जंगल से एक घोड़ा एक किसान के पास आया और कहने लगा, भाई मेरी मदद करो। जंगल में एक बाघ आ गया है। वह मुझे मार डालना चाहता है।

किसान को घोड़े पर तरस आ गया।

किसान ने थोड़ी देर अपने मन में कुछ विचार किया, उसके बाद उसने घोड़े से कहा, अरे मित्र चिंता मत करो! वह बाघ जंगल के बाहर तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। बाघ से तुम्हारी रक्षा में करूंगा। मगर इसके बदले तुम्हें मेरा कहा मानना होगा।

घोड़ा बीना कुछ सोचे-समझे किसान की सारी बातें मानने को तैयार हो गया।

तुम जो कहोंगें, मैं सब करूंगा, कृपया करके तुम मेरी जान उस बाघ से बचा लो।

किसान ने उसी वक्त घोड़े के गले में रस्सी डाली और अपने साथ उसे घर ले गया।

किसान घोड़े को अपने घर के आंगन में एक खुटे से बांध देता है, और उसे कहता हैं अब तुम एकदम सुरक्षित हो।

किसान घोड़े से कहता है तुम अकेले घर से बाहर नहीं जाना, जब मैं तुम्हें अपने साथ बाहर ले जाउंगा तो मैं तुम्हारी पीठ पर सवार रहूंगा। मैं तुम्हारे साथ हमेशा रहूंगा, तो बाघ तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा।

किसान की बात सुनकर घोड़ा खुश हो जाता हैं।

घोड़ा किसान से कहता है- जब तुम मुझें अपने घर के आंगन में रखोगें तो क्या मुझें खाने को भी मिलेगा?

किसान बोलता हैं- बिल्कुल मिलेगा, मैं तुम्हें ताजी घास और चने खिलाया करूंगा।

किसान की बात सुनकर घोड़ा और भी ज्यादा खुश हो जाता हैं- वह सोचने लगता है मुझें बिना जंगल में भटके एक ही जगह खाने को मिलेगा तो मैं धन्य हो गया।

अगले ही दिन किसान घोड़े पर सवारी करनी शुरू कर दी। गले में लगाम और पीठ पर काठी भी सवार कर दी।
सुबह उसे हरी-हरी ताजी घास और शाम को खुब सारे चने मिलने लगे, पुरा दिन उसके पास एक बड़े से गमले में पीने को पानी मिलता रहता था।

इस नए जीवन को पाकर घोड़ा अपने आपको धन्य समझने लगा।

मगर कुछ ही दिनों में घोड़े को लगने लगा कि मैं यह कहां आकर फंस गया। उसने मन ही मन सोचा कि मैं यहां सुरक्षीत जरूर हूं, पर स्वतंत्र नहीं, मैंने सुरक्षा प्राप्त की, पर अपनी आजादी गंवा दी।

यह तो बहुत बुरा सौदा हुआ। पर अब मैं मजबूर हूं। बिना सोचे-समझे मैंने शिकार के डर की वजह से किसान को वादा कर दिया और खुद अपने गले में रस्सी बंधवा लीं।

काश! मैं उस दिन इतना डरा ना होता और साहस कर लेता तो आज में आजाद होता और अपने जीवन की बाग-डोर मेरे पास होती। मैं गुलाम न होता और उस दिन से आज तक घोड़ा इंसानों का गुलाम हैं।

शेर बिल्ली की कहानी | short story in hindi with moral for class 3

सालों पहले एक जंगल में एक बड़ी होशियार बिल्ली रहती थी। उस बिल्ली का नाम नील था।
हर कोई उससे ज्ञान प्राप्त करना चाहता था। जंगल के सारे जानवर उस बिल्ली को मौसी कहकर पुकारते थे। कुछ जानवर उस बिल्ली मौसी से पढ़ने के लिए भी जाते थे।

एक दिन बिल्ली मौसी के पास एक शेर आया। उसने कहा, “मुझे भी आपसे शिक्षा चाहिए। मैं आपका छात्र बनकर आपसे सबकुछ सीखना चाहता हूँ, ताकि मुझे अपने जीवन में आगे कोई दिक्कत ना हो।”

बिल्ली शेर की बात पहले तो सुनती रही, कुछ देर सोचने के बाद बिल्ली बोली, “ठीक है, तुम कल से शिक्षा के लिए आ जाना।”

अगले ही दिन से शेर रोजाना सुबह-सुबह बिल्ली मौसी के यहाँ पढ़ने के लिए आने लगा।
बिल्ली एक महीने में बीतने के बाद शेर से कहती है- “अब तुम मुझसे सब कुछ सीख चुके हो। तुम्हें कल से शिक्षा लेने के लिए आने की जरूरत नहीं है। तुम मेरे द्वारा दी गई शिक्षा की मदद से अपने जीवन को आसानी से जंगल में जी सकते हो।”
शेर ने बिल्ली से पूछा, “आप सच कह रही हैं, मुझे अब सब कुछ आ गया है, क्या?”
बिल्ली ने जवाब दिया, “हाँ, मैं जो कुछ भी जानती थी, मैंने सब कुछ तुम्हें सीखा दिया है और तुम उसे अच्छी तरह सीख चूके हो।

शेर बिल्ली की बात सुन कर जोर से दहाड़ते हुए कहा, “चलो फिर क्यों ना आज तुम्हारी दी गई विद्या को तुम पर ही आजमा कर देख लिया जाए। इससे मुझे पता चल जाएगा कि मुझे कितना ज्ञान मिला है।”
बिल्ली शेर की बात सुन डर के मारे सहम जाती है, फिर बिल्ली मौसी ने कहा, “बेवकूफ, मैं तुम्हारी गुरु हूँ। मैंने तुम्हें शिक्षा दी है, तुम इस तरह मेरे ऊपर प्रहार नहीं कर सकते हो।”

शेर ने बिल्ली की एक न सुनी और उस पर झपट ने के लिए उसकी ओर दौड़ पड़ा।
बिल्ली अपनी जान बचाने के लिए तेजी से दौड़ने लगी। दौड़ते-दौड़ते वह पेड़ पर चढ़ गई।

बिल्ली को पेड़ पर चढ़ा हुआ देखकर शेर पेड़ के नीचे खड़ा हो जाता है और बिल्ली से कहता है, “तुमने मुझे पेड़ पर चढ़ना नहीं सिखाया। तुमने मुझे पूरा ज्ञान नहीं दिया?

पेड़ पर चढ़ने के बाद बिल्ली राहत की साँस लेते हुए शेर को जवाब देती है, “मुझे तुम पर पहले दिन से ही विश्वास नहीं था।
मैं जानती थी कि तुम मुझसे सीखने के लिए तो आए हो, लेकिन मेरे ही जीवन के लिए आफत बन सकते हो। यही कारण है कि मैंने तुम्हें पेड़ पर चढ़ना नहीं सिखाया। अगर मैंने तुम्हें यह ज्ञान भी दिया होता, तो तुम आज मुझे मार डालते।”

बिल्ली गुस्से में बोली, तुम आज के बाद मेरे सामने कभी मत आना। मेरी नजरों से दूर हो जाओ।

बिल्ली की बात सुनकर शेर को भी गुस्सा आया, लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, क्योंकि बिल्ली पेड़ पर थी। गुस्से को मन में लेकर शेर वहाँ से दहाड़ते हुए चला गया।
इस कहानी से यह सीख मिलती हैं कि किसी पर भी आँखें मूँदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। जीवन में हर किसी से सतर्क रहने पर ही आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

लालची बंदर

एक गांव में अचानक कहीं से एक शरारती बंदर आ जाता हैं। वह कुछ ही दिनों में उस गांव में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का जीना बदहाल कर देता हैं। वह बंदर हर दिन गांव के लोगों का कुछ ना कुछ नुकसान कर दिया करता था।

वह मौका मिलते ही लोगों के घरों में घुस कर खाने-पीने का सामान लेकर भाग जाता, तो कभी छतों पर सूख रहे कपड़े फाड़ देता।
जब लोग उसे डरते या घर से भगाने की कोशिस करते तो वह बंदर उन्हें काट भी लिया करता था।

गांव वाले उस बंदर से दुखी हो गए थे। एक दिन गांव में एक सभा बुलाई गई। उसमें उस बंदर को पकड़ने कर गांव के बाहर छोड़ने की तमाम कोशिशों पर बातें हुई।

तभी गांव के एक व्यक्ति ने कहा, “क्यों ना किसी मदारी वालें को अपने गांव बुलाया जाए और उसे कुछ पैसे दे कर इस बंदर को पकड़ अपने साथ ले जाने को कहा जाए?”

सभी गांव वालों को यह सलाह काफी पसंद आई, सभी ने उसे मदारी वालें को बुलाने की अनुमती दे दी।

अगले ही दिन उस व्सक्ति ने एक मदारी वाले को अपने गांव में बुलवाया और उसे उस बंदर की सारी बातें बताई।

मदारी उस बंदर को पकड़ अपने साथ ले जाने को तैयार हो गया पर उसके लिए उसने गांव वालो से काफी मोटी रकम मांगी।
गांव वालें उस बंदर से इतना परेशान थे की सभी ने मदारी वाले को मुंह मांगी रकम देने को तैयार हो गए।

मदारी अपने साथ दो-चार मिट्ठी का मटका लेकर आया था। उस मटके में कुछ चने भी थे। उसने उस मटके को गांव में इघर-उघर रख दिया, जिस रास्ते से बंदर आया जाया करता था।

मदारी वाले ने गांव के लोगों को अपने-अपने घरों के अंदर जाने को कहा और नजर उस मटके पर रखने को जिसमें चने रखें थे।
थोड़ी देर के बाद एक व्यक्ति मदारी वालें के पास भागा-भागा आया और बताया बंदर उस कोने वाले मटके के पास बैठा है।

मदारी दबे पांव उस मटके के पास गया और बंदर के गले में एक मोटी रस्सी डाल कर उसके दोनों पैरों में भी रस्सी डाल दी। बंदर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। बंदर का एक हाथ पहले से मटके में फंसा हुआ था।

लोगों ने मदारी से पूछा- चनों में ऐसा क्या जादू था जो बंदर इतनी आसानी से तुम्हारी जाल में फंस गया।

मदारी ने बताया- चना बंदरों को बहुत प्रिय होते हैं, मगर मैंने छोटे मुंह वाले घड़े इसलिए रखें थे कि बंदर का हाथ आसानी से उसमें चला जाए और जब वह चनों की मुट्ठी भरकर हाथ बाहर निकाले तो उसका हाथ फंस जाए।
बन्दर चनों का लालच ना छोड़ पाने के कारण ही पकड़ा गया।

इस प्रकार मदारी ने उस बंदर को बड़े आराम से पकड़ अपने साथ शहर लेकर चला गया।

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