Shahar ki Zindagi Behal: एक शहर के एक बैंक में एक मैनेजर के पद पर काम करने वाला एक व्यक्ति अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था। वह रोज सुबह काम पर निकल जाते और देर शाम को घर लौटते।
वह इस शहर में नया-नया ही आया था। वह अपने काम में इतना व्यस्त रहता कि अपने बच्चों को भी टाईम नहीं दे पाता था। वही इलाके के कुछ चोरों को मालूम चला की बैंक का मैनेजर उनके इलाके मै रहने आया हैं। चोरो ने मैनेजर के घर में चोरी करने का सोचा।
चोरी करने के दो-चार दिन पहले से ही चोर मैनेजर के घर के आस-पास चक्कर लगाने लगे और उनकी पत्नी और बच्चों पर भी नजर रखने लगें। उनकी पत्नी शाम के वक्त अपने दोनों बच्चों को पास के हि पार्क में रोज लेकर जाया करती थी।
चोरों को ये टाईम ठिक लगा क्यों की उस वक्त उनके घर पर कोई नहीं होता था। मगर उनके घर के बाहर उस टाईम काफी लोग रहते थे।
एक दिन चोरों ने एक अजीब सी चीज देखी। मैनेजर साहब जब शाम को घर लौटते है तो घर के अंदर जाने से पहले बागीचे में लगे आम के पेड़ के पास जाकर खड़े हो गए।
उसके बाद वह अपने बैग में से एक-एक करके कुछ निकालते हैं। और पेड़ में कहीं डाल दिया करते हैं। मैनेजर की पीठ चोरों की तरफ थी इसलिए वे ठीक से चोर देख नहीं पाए कि आखिर मैनेजर ने क्या निकाला और कहाँ रखा।
खैर! इतना देख लेना ही चोरों के लिए काफी था। चोरों ने सोचा कि जरूर मैनेजर ने वहां कोई कीमती चीज या पैसे छुपाये होंगे।
मैनेजर जब घर मैं चला गया तो चोर रात और अंधेरा होने का इंजतार करने लगे। जब आंधी रात हो गई चोर को पुरी तरह तसल्ली हो गई की मैनेेजर और उसके परिवार के बाकी सदस्य सो गए होगें।
और उसके घर के आस-पास के लोग भी सो चुके तो सभी चोर बिना आवाज किये। चुपके से मैनेजर के घर की बाउंड्री कूद कर, सभी चोर उसके बगीचे में उस आम के पेड़ के पास चले गए।
बिना समय गँवाए वे आम के पेड़ के आस-पास मैनेजर की रखी हुई चीज को ढुढ़ना शुरू कर दिए। मैनेजर ने क्या छिपाई है। वह चीज चोर ढूँढने लगे।
चोर हैरान थे, बहुत खोजने पर भी उन्हें वहां कुछ नजर नहीं आया। आखिर मैनेजर ने किस चतुराई से चीजें छूपाई हैं कि इतने देर ढुढ़ने पर भी चोरों को नहीं मिल। चोर थक हार के वहां से चले गए। अगले दिन वे फिर छिपकर मैनेजर के ऑफिस से लौटने का इंतजार करने लगे।
रोज की तरह मैनेजर ने आज भी घर देर से लौटे। आज भी वे घर के अन्दर जाने से पहले उसी आम के पेड़ के पास गए और अपने बैग से कुछ निकाल कर वहां रख दी।
एक बार फिर चोर सबके सो जाने का इंतजार कर उस पेड़ के पास गया। और जी-जान से बहुत खोज करने लगे। पर आज भी उनके हाथ कुछ नहीं लगा।
अब चोरों को मैनेजर वहां पेड़ के निचे क्या रखता हैं। इससे ज्यादा जानने की यह इच्छा थी। को वह चीजों को छिपता किस तरह है कि इतना ढूँढने पर भी वो नहीं मिलतीं।
अपनी इसी इच्छा को जानने के लिए वे रविवार की सुबह शरीफों की तरह तैयार हो कर मैनेजर के घर उससे मिलने पहुंचे। उसमें से एक चोर ने बोला, “ सर, देखिये बुरा मत मानियेगा।
दरअसल हम लोग चोर हैं! हम लोग कई दिनों से आपके मकान में चोरी करने का प्लान बना रहे थे। लेकिन जब एक दिन हमने देखा कि आप ऑफिस से लौट कर आम के पेड़ में कुछ छुपा रहे हैं। तो हमंे लगा कि बस काम हो गया। हम आपकी छुपायी हुई चीज लेकर भाग जाते।
पर पिछली कितनी रातों से हम सभी सोये नहीं और सारी कोशिशें करके देख लीं कि आप ऐसा क्या वहां छिपाते हो जो हमें मिल हि नहीं रहा हैं। इस पेड़ का रहस्य बता दें!”
उनकी बात सुनकर मैनेजर साहब जोर-जोर से हँसे और बोले, “अरे भाई! मैं वहां कुछ नहीं छिपाता!”
चोरों ने फिर कहां झुठ मत बोलो हमने रोज शाम को आपको अपने बैग से कुछ तो निकाल कर वहां पेड़ के पास रखते है। हुए अपनी आंखों से देखा है।
मैनेजर गंभीर होते हुए बोले, “मैं एक बैंक में जॉब हूँ। वो भी मैनेजर की मेरे काम में इतना काम का प्रेशर होता है, इतनी स्ट्रेस होती है कि तुम लोग उसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते!
रोज किसी नाराज कस्टमर के ताने सहने पड़ते हैं। रोज जब तक सारा काम खत्म ना हो जाए बैंक का घर नहीं आ सकता हूं, चाहे बिमार ही मैं क्यों हूं, या मेरे घर पर ही कोई बिमार क्यों ना हो। पहले काम देखना होता हैं। उसके बाद अपना परिवार देखना होता हैं।
इसलिए जब मैं शाम को घर लौटता हूं तो अपने बच्चों और परिवार पर इन आॅफिस और बाहर की तमाम चीजों की समस्या को बाहर हि छोड़कर आना चाहता हूं। तभी में घर में आने से पहले मैं इन्हें एक-एक करके इस आम के पेड़ पर टांग देता हूँ।
सभी चोर अब मैनेजर की परेशानी और उनके बगीचे का उस पेड़ का रहस्य समझ चुके थे।
सभी चोर, चोरी करने में तो कामयाब नहीं हुए लेकिन आज एक बड़ी सीख लेकर मैनेजर के घर लौट रहे थे!
दोस्तों, ना जाने क्यों इंसान अपनी खुद की जिन्दगी आॅफीस और कम्पनीयों के नाम ही करते जा रहा है। पहले के लोगों के पास इतनी सुख-सुविधाओं भी नहीं होती थी पर वह खुश रहते थे। आज सब कुछ होने पर भी हम एक दूसरे को टाईम नहीं दे पाते हैं। जो जिंदगी आज हम जी रहे है मालूम है। हम उन्हें ज्यादा खुशी नही दे पाते तो हमें अपने आॅफिस के काम का अपनी स्ट्रेस का असर अपने परिवार पे ना पड़ने देना।
यह भी पढ़ें-