Rudra Aur Shakal ki Fight | रूद्रा और शाकाल की फाइट की कहानी

आज हम आपको Rudra Aur Shakal ki Fight की कहानी सुनाने जा रहे हैं. जिससे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

Rudra Aur Shakal ki Fight

किसी शहर में रूद्रा नाम का लड़का रहता था। वह आठ साल का था। उसके माता-पिता नहीं थे। रूद्रा अपने दादाजी के साथ रहता था। रूद्रा के दो प्रिय मित्र थे। जिनका नाम नायरा और नींक था।

रूद्रा के दादा जी एक मसहुर जादूगर थे। दादा जी रूद्रा को जादू नहीं सीखाना चाहते थे। क्योंकि अभी वह बहुत छोटा था। पर रूद्रा दादा जी को किसी ना किसी तरीके से जादू सीखाने को मना ही लिया करता था।

रूद्रा के साथ-साथ उसके दोनों दोस्त भी दादाजी से जादू सीखा करते थे। पर दादाजी ने बच्चों से बोल रखा था की जादू का प्रयोग सीर्फ और सीर्फ किसी मजबूर और बेसहारा लोगों की मदद के लिए किया करें।

रूद्रा के घर में एक रसोईया था जिसका नाम रंगीला था। दादा जी जब रूद्रा को जादू सीखाया करते तो रंगीला भी उन्हें देख-देख कर सीखता रहता था और मंत्र याद करता रहता था।

रंगीला अपनी जादू का उपयोग अपने रसोई बनाते वक्त और घर की साफ-सफाई में किया करता था। दादाजी रंगीला को इस बात की साबासी दिया करते थे।

एक दिन शाकाल नाम का बीस वर्ष का एक युवक रूद्रा के घर दादाजी से मीलने आता है। रूद्रा के दादाजी उस वक्त घर पर मौजूद नहीं थे। और रूद्रा भी स्कूल गया हुआ था।

रंगीला उसे घर के अंदर बैठने को बोलता है, और दादाजी आते ही होगें इन्तजार करने के लिए उसे कहता है। थोड़ी देर बाद दादाजी घर आ जाते हैं। शाकाल को दादाजी घर में देख उससे पूछते है। वह कौन हैं और वह क्यों आया है।

शाकाल दादाजी को बताता है। की वह एक अनपढ़ और बेसहारा लड़का है। वह दादाजी का नाम बहुत सुन रखा था की वह बहुत अच्छे जादूगर है और गरीब लोगों की मदद भी करते हैं।

शाकाल बोलता हैं उसे भी उनकी तरह एक बड़ा जादूगर बनना है। इसलिए वह उनके पास आया हैं उनसे जादू सीखना चाहता है।
दादाजी शाकाल की बाते सुनकर दुवीधा में पर जाते हैं। उन्हें समझ में नहीं आता की शाकाल को जादू न सीखने के लिए मना कैसे
करें।

दादाजी सोचते हैं की में शाकाल को जानता भी नहीं हूँ। इसने अगर जादू सीखाने के बाद उसका उपयोग गलत कामों में किया तो ?
दादाजी ने शाकाल को बोला वह उसे नहीं सीखा सकते क्यूं की जादू एक दिन में कोई नहीं सीख सकता उसके लिए वक्त चाहिए।

शाकाल दादाजी को अपनी बातों में उलझा लेता है और वह बोलता हैं की यही उनके साथ रह कर सीख लूंगा। रंगीला के साथ रसोई में रह लूंगा, दादाजी। आप मुझे अपना जादू सीखा दिजिए।

शाकाल को दादाजी इन्कार नहीं कर पाते और उसे जादू सीखाने के लिए राजी हो जाते है। रूद्रा जब स्कूल से वापस आता है तो रंगीला सारी बाते रूद्रा को बताता है और बोलता है।

यह शाकाल मुझे ठिक नहीं लग रहा है दादाजी को अपनी बातों में उलझा कर उन्हें राजी करबाया है। रूद्रा रंगीला की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता है उसे लगता है रंगीला को अपना कमरा शाकाल के साथ बाटंना पड़ रहा है इसलिए रंगीला ऐसा बोल रहा है।

अगली सुबह से ही शाकाल दादाजी से जादू सीखने लगता है। दादाजी शाकाल से खुश हो जाते हैं क्यूकि उसे एक बार में ही मंत्र याद हो जाते थे।

रंगीला को शाकाल पर और ज्यादा शक होने लगा वह अनपढ़ है फिर भी एक बार में उसे दादाजी का जादूई मंत्र कैसे याद हो जाता है।
शाम को रूद्रा के घर पर उसके दोनों दोस्त आए नींक और नायरा तो रंगीला ने उसे शाकाल की सारी बातें बताई।

उन दानों को रंगीला की बातों पर यकिन हो जाता हैं। नींक और नायरा रंगीला को हमेशा अपनी दोनों आंखें और खान खुली रखने को बोलते है।

रंगीला बोलता हैं। शाकाल जरूर दादाजी के घर कुछ और मकसद से आया हैं। इस पर नजर रखनी होगीं। कुछ दिनों के बाद शाकाल को दादाजी मनुष्य का दिमांग पढ़ने और चेहरा पढ़ने की जादूई मंत्र सीखाते है और बालते हैं इसका प्रयोग तुम ज्यादा मत करना।

शाकाल को यहीं जादूई मंत्र तो दादाजी से सीखनी थी उसके बाद तो दादाजी का दिमांग पढ़ कर वह बाकी का जादूई मंत्र खूद ही सीख लेता।
शाकाल मन-ही-मन में बहुत खुश होता है। अगली सुबह जब रूद्रा स्कूल जाता है। और रंगीला भी रसोई का सामान लेने बाजार चला जाता है।

शाकाल घर पर किसी को ना देखकर दादाजी को बंदी बना लेता है। घर के चारों तरफ जादूई दिवार भी खड़ी कर देता है।
दादाजी पूछते है आखीर तुम्हें क्या चाहिए तुम ऐसा क्यों कर रहे हो?

शाकाल उन्हें बताता है वह खूद भी जादूगर है पर उनके कारण उसका नाम नही हो पा रहा हैं।

दादाजी जब तक आप इस दूनिया में रहोगें तो लोग मुझे जानेगें ही नहीं और मैं आपके मरने का इन्तजार नहीं कर सकता।
उन्हें वह मारने आया था और इसी वजह से उनका जादू भी सीख लिया।

शाकाल ने दादाजी को बोला की जब आप लोगों का दिमांग पढ़ सकते है। तो आपको मेरे बारे में मालूम क्यों नहीं चला ?

दादाजी ने बोला मुझे सब मालूम हैं तभी मैंने जो भी जादू तुम्हें सीखाया अगले दिन तुम्हारे दिमांग से सब गायब भी कर देता था।
शाकाल ने दादाजी को बोला कुछ गायब नहीं हुआ मुझे आपका सीखाया एक-एक मंत्र याद है।

फिर शाकाल दादा जी का सिखाया मंत्र याद करने की बहुत कोेशिश करता है पर उसे कुछ याद नहीं आता नाराज होकर शाकाल दादाजी को अपने जादूई मंत्र से बेड़ियों में जकर लेता हैं।

तभी रंगीला बाजार से वापस आ जाता है। पर घर के चारों ओर जादूई दिवार होने के कारण वह घर में नहीं जा पाता।
रंगीला रूद्रा के स्कूल जाता है और उसे घर के अन्दर नही जा पाने वाली बात बताता है।

रूद्रा के साथ उसके दोनों दोस्त भी घर की ओर चल पड़ते है। पर वह सब भी घर के अंदर नहीं जा पाते।

फिर चारों एक साथ मंत्र पढ़ जादूई दिवार तोड़कर घर के अंदर जाते है। तो देखते है शाकाल दादाजी को जादूई बड़ीयों से जकड़ रखा है।
शाकाल और रूद्रा का आमना-सामना जादूई ताकतों के साथ होता हैं।

शाकाल को रूद्रा अपनी जादूई शक्तियों से हरा देता है। और दादाजी को भी बेड़ीयों आजाद करा देता हैं।

शाकाल अपनी गलती की मांफी दादाजी से मांगता है। दादाजी उसे मांफ कर देते हैं। और शाकाल अपने शहर वापस चला जाता है।

दादाजी रूद्रा को जादू सीखाने के लिए मान जाते है और उसे यह वादा लेते है की वह जादू का प्रयोग दूसरों की मदद के लिए करेगा। अपने फायदे के लिए कभी नहीं रूद्रा भी दादाजी को विश्वास दिलाता है। वह जादू का इस्तिमाल दूसरों की भलाई के लिए ही करेंगा।

इस कहानि से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी अनजान व्यक्ति पर विवास नहीं करना चाहिए।

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