Shiksha Prad Kahani in Hindi: यह बात बहुत पुरानी है। बाली महाद्वीप में एक दैत्याकार प्राणी रहता था। उसका नाम कोबो इबो था। पहाड़-सा कद, उसमें हजार हाथियों की ताकत थी।
कोबो इबो को सब जानते थे मगर यह कोई नहीं जानता कि वह आया कहां से? बाली द्वीप के लिए कोबो इबो सब कुछ था। वह अगर खुश हो तो मिनटों में इमारत बना दे और अगर गुस्से में हो तो मिनटों में सब कुछ मिटा दें।
कोबो इबो लोगों के लिए सुंदर भवन, मंदिर बनाए, धर्मशाला, कुएं बनाए। दिन हो, रात हो,बरसात हो, लोगों की मदद के लिए वह सदा तैयार रहता था। बदले में उसे बस एक ही चीज की चाहता होती भरपेट भोजन। शुरू-शुरू में लोगों को कोबो इबो की भरपेट खाना मांगने की शर्त नहीं अखरी उस वक्त लोगों के पास काफी अन्न था। हर व्यक्ति का गोदाम चावलों से भरा था।
लेकिन जल्दी ही उनके गोदाम खाली हो गए क्योंकि कोबो इबो जब खाने बैठता तो हजारों लोगों का खाना एक बार में ही खा लेता था।
लोग इस कारण जब तक एकदम जरूरी कोई काम नहीं होता उससे नहीं करवाते।
गांव के लोगों का गोदाम भी खाली हो रहे थे, और लोगों के पास कोबो इबो से करबाने वाला कोई काम भी नहीं बचा था। बिना कोई काम के कारण कोबो इबो को खाने के लाले पड़ गए।
वह लोगों के पास जाकर काम मांग रहा था। पर कोई काम जो कोबो इबो कर सके ऐसा अब उस गांव में नहीं बचा। वह लोगों के घर जाकर खाना मांगना शुरू कर दिया। कुछ दिन तो पुरे गांव वाले मिलकर उसे भोजन करवाते रहे।
एक दिन गांव वालों ने सोचा ऐसा कब तक चलेगा। अगर हम ऐसे हि कोबो इबो को भोजन करवाते रहेगें। तो हमें कुछ दिनों में खाने के लाले पड़ जाएगें।
फिर पूरे गांव वालों ने मिलकर सोचा अब हम कोबो इबो को भोजन नहीं देगें। भोजन ना मिलने के कारण वो शायद यहां से चला जाए।
कोबो इबो पूरे गांव में घुम-घुमकर खाना मांगता रहा पर किसी ने भी उसे खाने को नहीं दिया। कोबो इबो पूरे दो दिन भूखा रहा पर तीसरे दिन उसका गुस्सा देखने लायक था।
घर तोड़ डाले, मंदिर तोड़ डाली जो भी उसके रास्ते आ रहा था। वह सब को मारने लगा, उन्हें अपने पैरों के निचे कुचलने लगा ऐसी तबाही मचाई की लोग डरने-घबराने लगे।
रात को जब कोबो इबो सो गया तो सबने मिलकर सभा बुलाई एक बुजुर्ग ने कहा, ‘हम उसे ताकत से नहीं जीत सकते इसलिए कोई तरकीब सोचनी होगी।’ सब ने समर्थन किया। काफी विचार विमर्श के बाद आखिर एक तरकीब निकल कर सामने आई।
अगले ही दिन सब मिलकर कोबो इबो के पास गए और अनुरोध किया, हम चाहते हैं कि तुम इतना कुआं खोदने जिससे हम सबके खेत में सींच सकें बदले मे ंहम तुम्हें भरपेट खाना खिलाएंगें।
कोबो इबो न तुरंत राजी हो गया और बताई हुई जगह पर कुआं खोदने में जुट गया। इधर कोबो इबो कुआं खोद रहा था, उधर लोग ढेरों चूना ला-ला कर कुएं के पास जमा कर रहे थे।
कोबो इबो जब कुआं काफी गहरा खोद चूका तो गांव के लोगों ने उपर से चूना गिराना शुरू कर दिया, और पानी भी चूने में पानी मिलकर भाप भी उठने लगी। कोबो इबो की हालत खराब हो उठी।
वह चिल्लाया, कोबो इबो को कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था वह बाहर निकलना चाहा पर निकल नहीं पाया क्योंकि पानी में जमते चूने के कीचड़ में उसके पैर फंस गए थे।
इसतरह लोगों ने कोबो इबो से मुक्ति मिली। उसने लोगों की मदद तो बहुत की थी इसलिए लोग दुखी भी हुए।
जिस काम को आप शक्ति से नहीं कर सकते उसे बु़िद्ध से करना चाहिए।
यह भी पढ़ें-
- Birbal aur Chor ki Kahani | बीरबल की चतुराई से चोर को पकड़ा गया
- Sher ki Kahani hindi mein | जंगल का राजा शेर खान की कहानी
- Chalak Bandar story in hindi | चालाक बंदर बंदर की कहानी
- chidiya aur bandar ki kahani hindi mein | चिड़िया और बंदर की कहानी
हम लाते हैं मजदूरों से जुड़ी खबर और अहम जानकारियां? - WorkerVoice.in