Pariyon Ki Kahani in hindi | परियों की कहानी हिंदी में

Pariyon Ki Kahani in hindi – हिंदी कहानी पढ़ना और सुनना किसको पसंद नहीं है। अगर उसमें भी परियों की कहानी (Pariyon Ki Kahani) की बात ही जुदा है। खासकर बच्चें ऐसी काल्पनिक कहानी को सुनकर आनंद उठाते हैं। यह उनको मनोरंजन के लिए ही सुनाए, जिससे वो सुनकर खिलखिलाकर हंस सकें। उनको जादुई कहानी, परियों को कहानी के नाम पर डराएं नहीं। यह हमारी आपसे विनती हैं।

Pariyon Ki Kahani in Hindi | परियों की कहानी हिंदी में

आज हम आपके लिए कुछ अच्छी मनोरंजक और प्रेरणादायक परियों की कहानियां लेकर आये हैं तो आइये शुरू करते हैं-

दयालु नन्हीं लड़की।

एक गांव में एक लड़की रहती थी। जिसका नाम रीया था। रीया अनाथ थी। उसका कोई भी अपना परिवार नहीं था। इस वजह से वह सारे गांव के लोगों को ही अपना परिवार मान रही थी। वह सभी से प्रेम करती थी। गांव के भी लोग उसे बहुत चाहते थे।

मगर दुःख की बात यह थी कि उसके पास अपने रहने का कोई अपना घर नही था। एक दिन वह इस बात से इतना दुःखी थी कि उसने किसी को बताए बिना ही अपना गांव छोड़ दिया।

वह जंगह की ओर चल दी। उसके पास बस एक रोटी का टुकड़ा था। वह गांव से कुछ दूर गई थी कि उसने देखा सड़क के किनारे एक बूढ़ा आदमी बैठा है। वह बीमार लग रहा था। वह भीख मांग रहा था।

लड़की के हाथ में रोटी का टुकड़ा देख वह उससे मांगने लगा। वह बोला ये नन्ही लड़की मैं बहुत भूखा हूं क्या बेटी मुझे यह खाने के लिए दे दो।

लड़की को भी भूख लगी थी पर उसने वह रोटी नही खाई थी। उसने सोचा था जब ज्यादा जोरो की भूख लगेगी तो खायूँगी।
वह बोली – बाबा मेरे पास यह रोटी का टुकड़ा है आप ले लो, काश मेरे पास आपको देने के लिए कुछ और होता। रोटी का टुकड़ा देकर वह आगे चल पड़ी। उसने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा।

वह कुछ ही दूर आगे गई तो उसने रास्ते में एक बच्चें को पेड़ के नीचे बैठा देखा। वह ठंड से काप रहा था। उसके पास पहनने के लिए कोई वस्त्र भी नही था।

नन्ही लड़की को उस पर दया आ गयी। उसने अपने कपड़े उस बच्चें को दे दिया।
थोड़ी दूर आगे जाने के बाद वह एक पत्थर पर जा कर अकेले बैठ गयी। उसके बाद वह अपना सर उपर कर बादलों को देख सोचने लगी। मन ही मन वह कुछ बड़बड़ा रही थी। मैंने कभी तुमसे शिकायत नहीं की। न ही तुम्हें कोसा, परंतु इसका मतलब यह नहीं हैं कि मेरी कोई भावनाएं ही नहीं है या मेरा दिल नही पत्थर है।

नन्ही लड़की बहुत देर तक ना जाने क्या-क्या शिकायत करती रही। अचानक बादलों से एक आवाज आई, “मैं तुम्हारा दुःख समझता हूं।”

लड़की चौंक गयी। बादलों से फिर आवज आई। वो प्यारी लड़की तुम मेरी सबसे प्रिय संतान हो। इसलिए मैं ने तुम्हें धरती पर अकेले भेजा है। मुझे तुम पर गर्व है।

तुम अपनी परीक्षा में सफल हुई। अब तुम सुदंर वस्त्रों से जड़ी हो। जरा अपनी ओर देखो।
लड़की भी अपनी ओर देख वह दंग रह गई। वह एक पड़ी के बहुत ही सुंदर वरूत्र में थी।
वह बादलों से नीचे परीक्षा देने आई, जब वह छोटी थी। भगवान ने उसे परीक्षा लेने के लिए धरती पर भेजा था। यह बात उसे भी मालूम नहीं था।

अब वह सफल हो गयी। वह दयालू तथा लोगों की मदद करने के लिए कुछ भी कर सकती थी। अपनी परवाह किए बीना।
यह सब सुनने के बाद वह आकाश की ओर देखती रही।

अब उसे सारी बातें मालूम हुई। उसके बाद वह बादलों में वापस चली गयी परी बनने के बाद।

सात मेमने और मक्कार भेड़िया। बच्चों की परियों की कहानी | Pariyon ki story in hindi

हिमालय पर्वत की तराई में एक गांव बसा था। गांव के कुछ दूरी से ही जंगल शुरू होता था।

जंगल के पास ही एक झोपड़ी बनी हुई थी। उस झोपड़ी में कोई नही रहता था तो एक बकरी और बकरे ने उसे अपना घर बना रखा था। बकरी के साथ उसके मेमने भी रहते थे।

वहां लगातार एक दिन से वर्षा हो रही थी। मेमने भूख के मारे शोर मचा रहे थे। वर्षा के कारण सब झोपड़ी में दुबक कर बैठे थे।
बकरे ने सोचा जंगल से बाहर जाकर कुछ खाने के लिए ले आता हूं। उसने बकरी को बोला तुम बच्चों का ध्यान रखों में कुछ खाने के लिए ले आता हूं।

जंगल में थोड़ा अंदर एक गुफा था। जिसमें एक मक्कार भेड़िया रहता था। वह भी भूख के मारे तड़प रहा था।
बकरा जंगल के थोड़ा अंदर पहुंचा ही था कि भेड़िया को बकरे की खुशबु मिल गई। वह बोला बकरे भाई तुम हो क्या?
उसने बोला, “जी मेरे बच्चें भूख से तड़प रहे है। उसके लिए खाने को हरी घास लेने आया हूं।”

भेड़ियां ने बोला, “बाहर घास है कहां? वर्षा के कारण मेेरे गुफे में सब वह कर जमा हो रखी है। तुम इसे यहां से ले जाओ। मेरी गुफा भी खाली हो जाएगी और तुम्हारा भी काम हो जाएगा।

यह सुनते ही बकरा कुछ सोचे बिना गुफा के पास चला गया। भेड़ियां तो मक्कार था ही, उसने बकरे पर हमला कर उसे मार डाला।

उधर झोपड़ी में बकरे की चीखे सुन बकरी समझ गयी कि भेड़िया ने बकरे को अपना शिकार बना लिया।

अगले दिन वर्षा रूकी तो, बकरी ने मेमनो को कहा, “तुम बाहर मत आना। मैं तुम्हारे खाने के लिए कुछ लेकर आती हूं।
तुम लोग दरवाजा अंदर से बंद कर लो। वह मक्कार भेड़ियां जिसने कल तुम्हारे पापा को खाया है। यही कहीं होगा।
जब तक मैं वापस ना आ जाऊं। दरवाजा मत खोलना तुम लोग सावधानी से रहना।

भेड़ियां भी झोपड़ी की ओर नजर जमाए बैठा था। वह सोच रहा था की बकरी वहां से जाए तो वह मेमनों पर हमला करे।
बकरी झोपड़ी के पास थोड़ा दूर गयी थी कि भेड़िया झोपड़ी के पास दबे पाव पहुंच गया। वहां पहुंच कर दरवाजे पर दस्तक दी।

एक मेमने ने भीतर से पूछा, “कौन है?”

मैं तुम्हारी मां हूं बच्चों- भेड़िए ने कहा।

भेड़िया ने अपनी मोटी आवाज को पतली करने की कोशिश करते हुए कहा।

हमें मुर्ख बनाने की कोशिश मत करो, मेरी मां की आवाज कोमल और सुरीली है। एक मेमने ने घर के अंदर से ही बोला।
भेड़िया दोबारा दरवाजा खटखटया – बच्चों में तुम्हारी मां हूं। मैं तुम्हारी मां हूं। अपनी आवाज मीठी बनाते हुए कहा।
नादान बच्चें, धूर्त भेड़ियां के झांसे में आ गए। उन्होंने दरवाजा खोल दिया।

मक्कार भेड़िया उन पर टूट पड़ा। मेमनों को अपनी गलती का एहसास हुआ, परंतु तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अब बचने का कोई रास्ता नही था।

भेड़िया एक-एक कर बकरी के सारे बच्चों को निगल लिया। उसके बाद उसका पेट इतना भाड़ी हो गया कि वह उसी झोपड़ी में सो गया।

बकरी जब लौट कर घर आई तो उसने देखा, झोपड़ी में बच्चें नही है। भेड़िया वही सोया है और उसका पेट हिल रहा है। बकरी को उम्मीद थी उसके कुछ बच्चें अभी भी भेडिया के पेट में जीवित हैं।

वह तुरंत झोपड़ी से बाहर निकली और कुछ ढुढ़ने लगी। उसे एक शीशे का टुकड़ा मिला वह उसे लेकर आई और चुपके से भेडिया के पास पहुंच उसका पेट काट दिया।

मेमन एक-एक कर उसके पेट से बाहर आने लगे। उसके सातों बच्चें अभी जीवित थे। वह उनको देख खुश हो गयी और सभी बच्चों को अपने साथ ले झोपड़ी से बाहर निकल आई।

बकरी ने उस झोपड़ी को आग लगा दी, उस झोपड़ी के साथ वह मक्कार भेड़िया भी जल गया।
बकरी अपने बच्चों के साथ भेड़िया के गुफा में रहने लगे।

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