मूर्तिकार और पत्थर की कहानी। Murtikar Aur Patthar ki Kahani

Best Hindi Story – मूर्तिकार और पत्थर की कहानी। Murtikar Aur Patthar ki Kahani: एक समय की बात हैं, एक गांव में एक मूर्तिकार रहता था। उसका नाम बंशी था। बंशी पत्थरों को काट कर बहुत सुन्दर और आकर्षित मूर्ति बनाया करता था। बंशी से लोग दूसरे राज्य से भी मूर्तियां बनवाने आया करते थे।

एक दिन बंशी के पास उसके पड़ोस के गांव से एक मुखिया मिलने आते हैं। जिन्होंने बंशी को एक भगवान की मूर्ति बनाने को बोलते हैं। बंशी भी मूर्ति बनाने को तैयार हो जाता है। अब बंशी को मूर्ति बनाने के लिए एक पत्थर की आवयकता होती है।

पत्थर की तलाश में बंशी जंगल के रास्ते पहाड़ों के पास चला जाता है, उसे पहाड़ के पास एक पत्थर मिल जाता है जैसा उसे पत्थर चाहिए था। सफेद, सुन्दर और अच्छा जिसे आकार देना बेहद आसान था, यह देखकर बंशी बहुत खुश हो जाता है। उस पत्थर को बंशी खुश हो कर उठाकर अपने बैल गाड़ी में रखकर घर की ओर आने लगता है।

बंशी जब जंगल के रास्ते वापस आ रहा था तो उसे जंगल में एक और पत्थर मिलता है। बंशी उस पत्थर को देखकर रूक जाता है और उसे भी उठाकर अपनी बैलगाड़ी में रखकर अपने साथ घर ले आता है।

बंशी घर आने के बाद अपने औजारों से पत्थर को आकार देने लगता है, जैसे ही वह पत्थर पर चोट मारता है, पत्थर से अचानक आवाज आती हैं कि मुझे छोड़ दो, इससे मुझे दर्द हो रहा मुझें मत मारो, तुम किसी और पत्थर से मूर्ति बना लो।

पत्थर की आवाज सुनकर बंशी को उस पर दया आ जाती है। बंशी उस पत्थर को छोड़ देता है और दूसरे पत्थर से मूर्ति बनाने लगता है। उस पत्थर से कोई आवाज नहीं आती, पर उस पत्थर से मूर्ति बनाना बंशी के लिए काफी मुश्किल था।

बंशी को मुखिया जो को एक ही मूर्ति देना था। इसलिए बंशी रात भर काम कर उस पत्थर से एक भगवान की बहुत ही सुन्दर मूर्ति बना लेता हैं।
बंशी की उस बनाई हुई मूर्ति को देखकर मुखिया जी बहुत प्रसन्न होते हैं और बंशी को मुंह मांगी कीमत देकर अपने साथ भगवान की मूर्ति ले जाने लगते हैं, तभी मुखिया जी की नजर बंशी के घर पर रखे उस पत्थर पर पड़ती हैं।

मुखियाजी सोचते हैं मूर्ति के पास नारियल तोड़ने के लिए एक पत्थर की भी आवश्यकता पड़ेगी क्यों ना उस पत्थर को भी बंशी से खरीद लूं।
मुखियाजी ने बंशी से उस पत्थर को भी खरीद लेते हैं और अपने साथ गांव ले कर चला जाता हैं।

गांव वालों ने मूर्ति को मंदिर में रख दिया और उसी मूर्ति के नीचे दूसरे पत्थर को भी रख दिया। जब मंदिर में लोग पूजा करने के लिए आते तो वह मूर्ति पर दूध, फूल और पानी चढ़ाते और नीचे रखे उस पत्थर पर लोग नारियल को फोड़ते थे। इससे वह पत्थर को बहुत परेशान होता था। जब भी उस पत्थर पर नारियल फोड़ते उस पत्थर को र्दद होता।

एक दिन नीचे रखे पत्थर से उस भगवान की मूर्ति बने पत्थर से बोलता हैं। तुम पर लोग लड्डू का भोग लगाते है, तुम्हें लोग दूध से नहलाते हैं और मेरी किस्मत देखों मुझ पर लोग आते है और कितना दुष्ट व्यवहार करते हैं। मुझ पर नारियल तोड़कर उसका पानी भी तुम पर चढ़ाते है।

इस पर मूर्ति बने उस पत्थर ने बोला जब मूर्तिकार तुम्हें मूर्ति बनाने के लिए अपने औंजारों से वार किया, तो तुमने उस वक्त के दर्द से इंकार कर दिए। अगर तुम उस समय ऐसा नहीं करते तो शायद जो आज सुख मुझें मिल रहा हैं। लड्डु और मेवे की वह तुम्हारी किस्मत में होती पर तुम थोड़ी देर का दुःख नहीं सह पाए तो इस वजह से अब पूरी जिन्दगी नारियल के वार से दुःख झेलों।

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