किसी को अच्छी और प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspiration Story for Students) पॉजिटिव ऊर्जा प्रदान करती है। जिसको पढ़ने (Hindi Story) से आपमें न केवल हिम्मत मिलती हैं, बल्कि मुसीबत में काफी बल मिलता है। यही नहीं बल्कि हमें इन कहानियों से कई बार कुछ ऐसी चीजे सीखने को मिलती हैं। जिससे हमें काफी से बच जाते हैं।
Inspiration Story for Students | ज्ञानी ब्राह्मण
एक राजा था। वह बहुत धार्मिक था और भगवान का भी बहुत बड़ा भक्त था। उसने अपने राज्य में बहुत बड़ा और विशाल मंदिर बनवाया।
उसने मंदिर के लिए पूजारी का चुनाव करने के लिए अपने राज्य के गुरू जी को बोला। गुरूजी ने दूसरे राज्य से एक ब्राह्मण को बुलवाया।
वह बहुत ही ज्ञानी ब्राह्मण था। वह मंदिर में पूजा और उसकी देख-रेख भी करता था। वह मंदिर में ही रात को सो जाया करता था। ब्राह्मण कभी भी राजा से कुछ नहीं मांगता था। जो कुछ राज्य के लोग पूजारी को देते भी तो वो उसे वही दानपात्र में ही डालने को कहता।
पूजारी ने कभी राजा से भी कुछ नहीं मांगा। जो भी प्रसाद लोग चढ़ाकर जाते वह पूजारी उसी से अपना पेट भर लेता और जो वस्त्र कोई भी उसे दे दे वही पहनता।
राजा प्रतिदिन मंदिर जाया करते थे। एक दिन वह मंदिर के पूजारी के पास गए और बोले आप को रहने के लिए जो घर दिया गया है। आप वहा रात को जाकर आराम से क्यूं नहीं सोते है।
पूजारी ने बोला माफ किजिए महाराज मुझे वहां नींद नहीं आती। मुझे प्रभु के चरणों में ही नींद आती है तभी में रात को यही रहता हूँ। राजा मुस्कुराये और वहां से चले गए।
देखते-देखते 20 वर्ष बित गया। एक दिन राजा का पुत्र का विवाह था। महल में बहुत सजावट हुई थी। राजा के बेटे के विवाह में पूरे राज्य के लोगों को आमंत्रित किया गया था।
राजकुमार की राजकुमारी बहुत ही सुदंर थी। शादी की रात राजकुमारी को महल के अपने कमरे में नींद नहीं आ रहीं थी। वह अपने कमरे में इधर-उधर घुम रही थी। तभी उसकी नजर दीवार पर लगी। तलवार पर पड़ी, जिस पर तलवार में हीरे, जवाहरात लगे हुए थे।
वह तलवार उतारने के लिए पलंग के पास आई। जैसे ही राजकुमारी तलवार दीवार से निकालती है। उसमें से बिजली की तरह कुछ चमकता है। राजकुमारी डर जाती है और तलवार उसके हाथ से छूट कर सोये हुए राजकुमार के गले पर गिर जाती है।
राजकुमार की गर्दन धर से अलग हो जाती है और राजकुमार वही मर जाता है। राजकुमारी डर जाती है और जोर-जोर से चिल्लाने और रोने लगती है। सभी राजकुमार के कमरे में भाग कर आते है तो देखते हैैं। राजकुमार पलंग पर मरा पड़ा हुआ है।
राजा ने पूछा किसने किया? खूद की जान बचाने के लिए राजकुमारी झूठ बोलती है। मैं उसे नहीं जानती वह आया और राजकुमार का गला कांट कर मंदिर की ओर भागा, शायद वह मंदिर में छिप गया है।
सिपाहियों के साथ राजा मंदिर का घेराव करते है तो मंदिर में वह ब्राह्मण मिलता है। पूजारी बार-बार बोलता रहता है। मैं बेकसूर हूँ, पर राजा उसकी एक नहीं सुनते, उन्हें लगता है कि यह पुजारी इतने सालों से बिना कुछ, मांगे बिना लालच का यहां यूँही नही आया था। किसी दुश्मन ने ही इसे, मेरे बेटे को मारने के लिए भेजा था। यह बोलते ही राजा ने ब्राह्मण का गला कांट दिया। पूजारी वहीं मंदिर के जमीन पर गिर कर मर गया।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है। अकेले, कहीं भी नई जगह नहीं जाना चाहिए। एक ना एक आपका कोई भी जानने वाला दोस्त या कोई रिस्तेदार हो तभी जाना चाहिए। आप की अच्छाई दूसरे को तभी तक अच्छी लगती है। जब तक उन्हें आप की जरूरत होती है। पूजारी ने नई जगह किसी से भी कोई दोस्ती नहीं की जो उसके तरफ से सफाई दे सके।
माणिक लाल की वफादारी। Short Story about life of a student
माणिक लाल एक व्यापारी था। वह ईमानदार और पैसे वाला था। वह अपनी रोज की कमाई को अपने कमरे में पलंग के पास रखें एक संदूक में बंद कर रखता था।
माणिक लाल गरीब और बेसहारा लोगों की मदद भी किया करता था। एक दिन वह बाजार से अपने घर जा रहा था तो उसे रास्ते में एक बूढ़ा व्यक्ति मिला। जो भूखा था।
लोगों से कुछ खाने को मांग रहा था। माणिक लाल उस बूढ़े व्यक्ति के पास गया और उसे अपने साथ एक हलुआई की दुकान पर बैठा दिया। वह उस दुकान वाले को बोला, “इसे जो खाना हो और जितना खाना हो खिला दो पैसे मैं दे दूँगा।”
हलुवाई से उस बूढ़े व्यक्ति ने खाने जो कुछ भी मांगा। उसे हलुआई ने खाने को दे दिया। उसी दूकान पर माणिक लाल चाय पीने लगा।
हलुआई ने माणिक लाल को बोला। आप जो हर व्यक्ति की भला करते फिरते हो। जिसे जानते हो, या नही उसकी भी मदद किया करते हो। इस तरह मत किया करो। आप किसी दिन कोई मुसीबत ना गले पड़ जाए।
माणिक लाल हंसने लगा और बोला मुसीबत क्युं आएगी। भाई किसी का पेट भरना सबसे बड़ा पुण्य का काम होता है। हलवाई ने बोला ठीक हैं। मुझे मालूम हैं कि आप उस व्यक्ति को पैसे भी दे सकते थे। ना वह खुद ही खा लेता जो उसे खाना होता और उस व्यक्ति के कपड़े देखकर तो मुझे वह कोई गरीब नहीं लग रहा मुझे। वह तो कोई ढ़ोगी लग रहा हैं। तभी मैं आपको बोल रहा हूँ।
माणिक लाल ने हलवाई से बोला किसी राज्य घराने से या फिर कोई और भी तो यह वस्त्र उसे दे सकता है, यह भी तो हो सकता है।
हलवाई ने बोला वस्त्र दिया होगा तो खाने को भी दिया होगा। कुछ पैसे भी दिए होगें।
हलवाई की बात सुनकर माणिक लाल कुछ सोचने लगा। फिर बोला नहीं भाई हर किसी को शक की नजरों से मत देखा करों। हलवाई ने फिर माणिक लाल को बोला मेरा काम है। आप को बताना मानना या ना मानना यह आप पर है।
इन दोनों की बातें वह व्यक्ति ध्यान से चुपचाप सुन रहा था। उसके बाद वह हलवाई की दूकान से अपना खाना खत्म कर बाहर आ गया। माणिक लाल ने हलवाई के पैसे दे दिए। उसके बाद उस व्यक्ति से पूछा, उसे कहां जाना हैं और माणिक लाल उसे कुछ पैसे देने लगा। व्यक्ति ने बोला मुझे पैसे के बदले कुछ काम दे दो। मैं अकेला हूं और परदेश से आया हूँ। मेरे पास ना तो रहने का ठिकाना हैं और ना तो कोई काम।
माणिक लाल का भी कोई परिवार या रिश्तेदार उस शहर में नहीं था वह भी वहां अकेले थे। उस व्यक्ति की बात सुनकर वह अपने साथ घर ले गए। वह व्यक्ति जाते ही माणिक लाल से बोला मुझे बहुत नींद आ रही हैं सोना है।
माणिक लाल ने उस व्यक्ति का नाम भी, अभी तक नहीं पूछा था। उसे अपने घर के एक कमरे में उसके बिस्तर लगा दी और बोला आप सो जाओं। हम कल बात करते है।
माणिक लाल रोज की तरह अपने पैसे को अपने कमरे में रखे उस संदूक में रख दिया। अपना चाभी तकीये के नीचे और सो गए। जब सुबह उठे तो उन्होंने देखा संदूक में ताला नहीं लगा है। वह झटपट बिस्तर से उतर कर खड़े हो गए। अपने तकीये के नीचे रखी चाभी देखा वहां चाभी भी नहीं था। उनकी नजर फिर ताले पर पड़ती है। ताला और चाभी संदूक के पास जमीन पर पड़ी हुई थी।
माणिक लाल संदूक खोलकर देखते हैं तो उनकी संदूक खाली थी। उनके यहां किसी ने उनकी सारी मेहनत की कमाई चोरी कर लिया था। वह दौड़कर उस व्यक्ति के कमरे में गए वह व्यक्ति भी गायब था।
दरअसल वह व्यक्ति एक चोर था। उस व्यक्ति ने माणिक लाल की पूरी कमाई एक रात में ही चोरी कर ले गया। माणिक लाल को उस हलवाई की बात याद आई कि किसी पर इतनी जल्दी भरोसा नही करनी चाहिए। माणिक लाल अपना सर पिटता रह गया।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं की किसी व्यक्ति पर इतनी जल्दी भरोसा नहीं करना चाहिए। जब तक आप उसके बारे में कुछ ना जानते हो। उसे अपने घर में नही लाना चाहिए।
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