Hindi Story for Class 6 | जो समय के साथ न बदले

Hindi story for Class 6 | जो समय के साथ न बदले – दो शिकारी थे, उनमें से एक का नाम बिहारी लाल और दूसरे का नाम चन्दू था। दोनों में अच्छे मित्र थे।

वह एक दिन जंगल में घुमते-घुमते थक गए। मगर उन्हें कहीं भी कोई जानवर नहीं मिला। वह थक गए तो उन्हें जंगल में एक तालाब नजर आया। वे दोनों उसी तालाब के किनारे में लेट कर आराम करने लगें।

बिहारी लाल को लेटे-लेटे प्यास लगी, वह उठकर तलाब से पानी पीने चला गया। पानी पीते समय उसने देखा तालाब में बहुत सी रंग-बिरंगी मछलियां तैर रही है।

मछलियों को देख उसके मन में एक विचार आया। वह तुरंत चंदू के पास गया और बोला, भाई चंदू जल्दी उठो।
चंदू सो रहा था, अचानक बिहारी लाल की बात सुन उसने अपनी आँखें खोल कर देखा। बिहारी लाल चंदू की तरफ देख मुस्कुरा रहा था।

चंदू ने बोला क्या हुआ कोई हीरे -मोती तुम्हारे हाथ लगा गया है क्या?
बिहारी लाल ने बोला पशु-पक्षियों का शिकार न मिला तो क्या हुआ जीव जंतुओं का ही शिकार सही।
अपना काम चलना चाहिए।

तुम कहना क्या चाहते हो? चंदू ने चैंककर पूछा।

कहना यह चाहता हूं कि जिस तालाब के किनारे हम लेटे हैं, उसमें मछलियां भरी पड़ी है, और हमें अब जानवरों की तलाश में जंगलों में भटकनी भी नहीं पड़ेगी।

जाल लाओं तालाब में डालों और मछलियां पकड़ कर शहर ले जा कर बेचो, पशुओं के पीछे-पीछे भागने का क्या फायदा?
चंदू ने बोला बात तो तूने लाख रूपये की कही है बिहारी लाल। परन्तु अब तो दिन ढ़ल रहा है। कल सुबह से ही मछलियां पकड़ेंगे। आज की रात इन्हें भी सो लेने दो।

बिहारी लाल ने बोला ठीक है, कल ही सही।

तालाब के किनारे कुछ तैर रही मछलियों ने इन दोनों शिकारियों की बातें सुन ली थीं। मछलियां तुरंत राजा मगरमछ के पास गई और डरी सहमी उसने कहा- हे राजन! मौत हमारे सर पर मंडरा रही हैं, आप हमारी मदद किजिए।

मगरमच्छ ने पूछा हुआ क्या? तुम मुझें साफ-साफ बोलो!

तालाब के किनारे अभी-अभी हमने दो शिकारियों की बातें सुनी हैं जो कल से हमारा शिकार करना शुरू कर देगें।

मगरमच्छ मछलियों की बातें सुन गुस्से से बोला कौन हमारा शिकार करने की सोच रहा है। हम हमारे पूर्वजों के समय से इस तालाब में हैं और हमें हमारे इस तालाब से कोई भी पकड़ हमारा व्यापार नही कर सकता।

कहां है वे दोनों शिकारी में ही उनका शिकार कर दूंगा?

ऐसे भी काफी वक्त से हमने मनुष्य की मांस नहीं खाई है। वो दोनों आज तो जान से गए।

मछलियां और मगरम़च्छ की सभा पानी के अंदर चल ही रही थीं, और बाहर बिहारी लाल और चंदू तालाब के किनारे काफी समय से लेटे थे। उन्होंने सोचा अभी शहर के लिए निकले तो सुबह होने तक वो शहर पहुंच जाएगें।

जाल खरीद कर उन्हें वापस तालाब के पास वापस भी तो आना है। मछलियां पकड़ने को यह सोच दोनों शहर कि ओर निकल गए।

मगरमच्छ जब पानी से बाहर दोनों शिकारीयों का शिकार करने आया तो वहां दोनों शिकारी को ना पा कर गुस्से में मछलियों से पूछा क्या तुमने यहीं उन दोनों की आवाज सुनी थी।

मछलियां बोली जी महाराज हो सकता है, वह जाल लाने बाजार को चला गया हो। मगरमच्छ ने बोला कोई बात नहीं उन्हें लौट कर आने दो, फिर हम उन्हें देख लेगें।

मगरमच्छ एक पेड़ के पीछे छिपकर दोनों शिकारीयों का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद दोनों दोस्त उस तालाब के पास पहुंचने ही वाले थे कि बिहारी लाल की नजर उस मगरमच्छ पड़ी। वह चंदू को धीरे से बोला भागों, भाई यहां आज हमारा शिकार करने को मगरमच्छ बैठा है।

वह दोनों जाल वहीं छोड़ अपनी जान बचा जंगल से भाग गए। इस तरह से मगरमच्छ ने सारी मछलियों की जान बचा ली।

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