Moral Stories in hindi for class 6 | भीखू हलवाई की कहानी

Moral Stories in hindi for class 6 | भीखू हलवाई | एक गांव में भीखू नाम का एक हलवाई रहता था। उसकी एक मिठाई की दूकान थी। भीखू की दूकान पर तरह-तरह की और स्वादिष्ट मिठाईयां मिलती थी, जो की भीखू खुद ही बनाया करता था। भीखू बहुत मेहनती था।

भीखू का एक बेटा था, जिसका नाम राजू था। राजू एकदम मनमौजी था। उसके मन में रहता तो वह अपने पिता के काम में हाथ बांटाता नही तो आराम से पड़ा रहता। और सोचता रहने दो काम जब होना होगा हो जाएगा।

एक दिन उसने दूकान से एक प्लेट जलेबियां लीं। वह गांव के बाहर जानेवाली सड़क के किनारे एक पेड़ के नीचे उसकी छाया में बैठ गया और जलेबियां खाने लगा।

तभी वहां एक थका-हारा यात्री भी उस पेड़ की छाया देख चला आया। वह राजू को जलेबियां खाता देख बोला, मै बहूत दूर से चल कर आ रहा मुझें बहुत जोरो की भूख लगी है। क्या मुझें यहां कुछ अच्छा खाने को मिलेगा?

राजू ने उस यात्री को अपने प्लेट से एक जलेबी दी और कहा, ‘ये लो भैया। जलेबी खाओ और अगर तुम्हें ज्यादा जलेबियां या फिर कुछ अच्छा खाना है तो भीखू हलवाई की दुकान पर चले जाओ।‘

यात्री ने देखा कि वहां पर दो सड़के थीं। उसने राजू से पूछा ‘अच्छा भैया, यह बताओ कि भीखू हलवाई के यहां इनमें से कौन-सी सड़क जाती है?

यह बात सुनकर राजू को बड़ी तसल्ली मिली। वह हंसकर बोला, भाई तुम तो मुझसे भी ज्यादा आलसी निकले। मेरे बाबा हमेशा कहते है कि मुझसे ज्यादा आलसी इस संसार में कोई नही हो सकता। लेकिन अब मैं उन्हें बताऊंगा कि उनकी बात गलत थी।
यात्री को राजू की बात समझ नहीं आयी। वह सोचने लगा कि मैंने तो सिर्फ रास्ता ही पूछा यह क्या बोल रहा है। इसमें आलसी होने की क्या बात हुई?

यात्री ने राजू से दूबारा पूछा भाई भीखू हलवाई की दूकान पर कौन सी सड़क जाती है?

राजू ने बोला, ऐसा है भैया, ये दोनों सड़कें कहीं भी नहीं जाती। बस यहीं पड़ी रहती है। हां, अगर तुम्हें कुछ खाना है तो हाथ पैर हिलाओ और खूद चलकर दाहिना रास्ता वाली सड़क पर चल जाओ। सीधे दुकान पर पहुंच जाओगे। अगर कहीं सड़क के भरोसे रूक गए तो भैया यहीं खड़े रह जाओंगे क्योंकि ये सड़के तो महाआलसी है। बरसों से यहीं पड़ी हुई हैं।

राजू की यह बात सुनते ही यात्री जोर-जोर से हंसते-हंसते दाहिने सड़क पर चलता चला गया।

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