Hindi moral stories for class 1 | बच्चों के लिए बेस्ट हिंदी कहानियां

आज अपने इस पोस्ट के माध्यम से हम बच्चों के लिए कुछ शिक्षाप्रद Hindi moral stories for class 1 पढ़ेंगे. उम्मीद करूंगा की आपके बच्चो के ले लिए यह काफी उपयोगी साबित होगा.

खट्टे अंगूर कौन खाए | Hindi moral stories for class 1

एक दिन एक भूखी की मारी लोमड़ी बेहाल हुई जंगल में भटक रही थी. वह सारा दिन जंगल में ख़ाक छानती रही, मगर इसके बाद भी उसको कहीं भी एक मांस का सूखा या सड़ा-गला टुकड़ा तक नसीब न हुआ. लोमड़ी बेचारी जहां तहां पानी पीकर पेट भरती और आगे बढ़ जाती.
दिन भर भटकती हुई लोमड़ी एक अंगूर के बगीचे में आ गई. वहां बेलों पर पके हुए अंगूरों के गुच्छे लटक रहे थे. यह देखकर लोमड़ी के मुंह में पानी आ गया.
वह अपनी पिछले पैरों पर उछल-उछलकर अंगूर के गुच्छों तक पहुंचने की चेष्टा करने लगी. अंगूर काफी ऊंचाई पर थे, इसलिए हर बार उसकी कोशिश नाकाम हो रही थी. उन्हें पाने के लिए लोमड़ी काफी कूदी-फांदी मगर वह अंगूरों तक नहीं पहुंच सकी.
एक तो भूख के मारे वह पहले ही अधमरी हुई पड़ी थी, दूसरे यहां कई-कई फुट उछलने के कारण उसकी पसलियां हिल गई.

आखिरकार थक कर उसने उम्मीद छोड़ दी और वहां से चलती बनी. जाते-जाते अपने दिल को समझाने के लिए उसने कहा, “अंगूर खट्टे हैं. उं हूं. ऐसे खट्टे अंगूर भला कौन खाये?’

दो मुंह वाली चिड़िया | बच्चों के लिए बेस्ट हिंदी कहानियां

बहुत समय पह्ले की बात है. नंदन वन में एक नन्हीं चिड़िया रहती थी. उस चिड़िया के दो मुंह थे. अपने दो मुंह होने से वह चिड़ियां दूसरे पछियों से बिल्कुल विचित्र दिखती थी. वह चिड़िया एक बड़े से बरगद पेड़ पर घोंसला बना कर रहती थी.
एक दिन वह चिड़िया जंगल में भोजन की तलाश में इधर उधर उड़ रही थी कि अचानक चिड़िया के दायें वाले मुंह की नजर एक लाल फल पर पड़ी. देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया और वह तेजी से वो लाल फल खाने को आगे बढ़ी.
अब चिड़िया का दाहिने वाला मुंह बड़े ही मजे से स्वाद से वो फल खा रहा था. बायां मुंह बेचारा बार बार दाएं मुंह की तरफ देख रहा था कि ये मुझे भी खाने को दे लेकिन दायां वाला मुंह चुपचाप मस्ती से फल खाये जा रहा था.
अब बाएं मुंह ने दायां वाले से अनुरोध किया कि थोड़ा सा फल खाने को मुझे भी दे दो. इसपर दाएं मुंह ने गुस्सा होते हुए कहा – कि हम दोनों का एक पेट ही तो है. अब चाहे मैं खायूं या तुम, वह जायेगा तो हमारे पेट में ही न. इस तरह से उसने बाएं वाले मुंह को थोड़ा फल भी खाने को नहीं दिया. इस तरह बाएं वाले मुंह नाराज हो गया.
अब अगले दिन चिड़िया फिर से जंगल में खाने की तलाश में उड़ रही थी. उसी समय बाएं मुंह की नजर एक अदभुत फल पर पड़ी जो बहुत चमकीला था. वह तेजी से उस फल की तरफ लपका. अब जैसे ही वो फल खाने को हुआ तुरंत पास बैठे एक कौए ने चेतावनी दी कि इस फल को मत खाओ ये बहुत जहरीला है.
यह सुनकर दायां मुंह ने चौकते हुए बाएं मुंह से प्रार्थना की कि इस फल को मत खाओ ये हमारे लिए बहुत खतरनाक साबित होगा. लेकिन बाएं मुंह को तो दाएं से बदला लेना था. इसलिए उसने एक ना सुनी और चुपचाप वह फल खाने लगा. फल खाने के कुछ ही देर में चिड़िया का शरीर मृत होकर जमीन पर गिर पड़ा.
अब आप सोच रहे होंगे कि भला इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है. इसके लिए बता दूं कि एक ही परिवार के दो लोग एक दूसरे से एक दूसरे से ईर्ष्या करते हैं, एक दूसरे से दुश्मनी रखते हैं. कभी कभी तो ईर्ष्या या दुश्मनी इतना बढ़ जाती है कि वो एक दूसरे को नुकसान पहुंचाने की सोचते हैं या एक दूसरे से बदला लेने का सोचते हैं. मगर यह नहीं जानते की उनका ऐसा करने से नुकसान उस दो मुंह वाले पक्षी के तरह पुरे परिवार का ही होता है. इसलिए इस कहानी को पढ़ने के बाद दोस्तों आप लोग आपस में मिलजुल कर रहें, और साथ ही बच्चों को आपसी एकता की बात बतलायेंयही इस कहानी की शिक्षा है.

लालच का फल | Hindi moral stories for class 1

किसी गांव में एक किसान रहता था. किसान काफी मेहनती तो था मगर उसके साथ ही लालची भी कम नहीं था. वह अपने मेहनत का एक पैसा भी खर्च नहीं करना चाहता था. जब भी उसका मांस खाने का मन होता तो वह जंगल से कोई जीव मार कर लाता और पका कर खा लेता.
ऐसी क्रम में वह एक दिन जंगल से एक सुनहरी मुर्गी पकड़ कर घर ले आया. उसकी पत्नी मुर्गी देखकर काफी खुश हो गई. मगर जैसे ही उस मुर्गी को काटने के लिए छुरी उठाया तो मुर्गी बोली कि, “मुझे मत मारो, मुझे मत मारो, मैं तुम्हें मालामाल कर दूंगी. इस तरह से मूर्गी को इंसानी भाषा में बोलते देखकर किसान की पत्नी डर गई और उसने चिल्लाकर अपने पति को बुलाया. सुनो जी,, यह तो कोई मायावी मुर्गी हैं, यह तो हमारी तरह बोलती है.
किसान को पहले तो विश्वास नहीं हुआ. उसने खुद ही छुरी लेकर मुर्गी को काटने चला वैसे ही मुर्गी ने फिर से कहा – अरे ओ मूर्ख किसान. मेरी बात सुन. मेरी जान बक्श दें मैं तुझे मालामाल कर दूंगी. यह सुनकर किसान बोला – अच्छा भला तु मुझे मालामाल कैसे करेगी? तू क्या मुझे मूर्ख समझती हैं? किसान को मुर्गी की बात सुनकर लालच आ गया था.
उसके बाद मूर्गी बोली – मैं रोजाना तुझे एक सोने का अंडा दूंगी, सोने का अंडा मुर्गी की बात सुनकर किसान के मूंह में पानी आ गया. उसने अपनी पत्नी की तरफ देखा. क्या पता यह मूर्गी सच कह रही हो एक बार आजमाने मे हर्ज ही क्या है? अगर बात झुठ निकली तो हलाल तो इसे हम कल भी कर सकते हैं.
इसके बाद किसान को पत्नी की बात जंच गई. उसने मूर्गी को एक बढ़िया दरबे में रखा और अच्छा दाना पानी किया. दूसरे दिन पति-पत्नी ने जैसे ही मूर्गी का दरबा खोला तो यह देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ कि दरबे में सच में सोने का के अंडा पडा था.
किसान ने उसे लपक लिया, फिर तो रोज ही ऐसा होने लगा. वह मूर्गी रोज एक सोने का अंडा देती. कुछ ही दिनों में किसान मालामाल हो गया उसने कच्चे मकान की जगह पककी हवेली बनवा ली, खेतों की देखभाल के लिए नौकर– चाकर रख लिए, कहीं आने-जाने के लिए एक घोडा-बग्गी खरीद ली.
मगर इतना सब होने पर भी किसान की लालच नहीं मिटी. वह चाहता था कि उसके पास और अधिक धन हो क्योंकि वह अभी गांव के जमींदार के बराबर अमीर नहीं हुआ था. जैसे-जैसे वह अमीर होता जा रहा था उसका लालच भी बढ़ता ही जा रहा था.
कभी-कभी वह सोचता कि काश उसकी सुनहरी मूर्गी दो अंडे रोज दे तो वह जल्दी मालामाल हो जायेगा. एक बार उसने सोचा कि शायद मूर्गी के पेट में अंडे ही अंडे भरे पडे हैं मगर यह दुष्ट मूर्गी मुझे केवल एक ही अंडा देती हैं अगर मैं इसका पेट फाडकर सारे अंडे एक साथ निकाल लू तो क्या बुराई है.
ऐसा सोचकर उस लालची किसान ने एक छुूरी उठाई और जाकर मुर्गी को पकड लिया. मुर्गी बहुत गिडगिडाई और उसे समझाया कि किसान तुम ज्यादा लालच मत करो अगर लालच में आकर मुझे मार दोगे तो एक अंडे से भी हाथ धो बैठोगे.
मगर किसान का तो खयाल था कि मुर्गी उसे बेवकफूफ बना रही हैं. इसलिए उसने उसकी एक नहीं सुनी और उसका पेट फाड़ दिया. सुनहरी मूर्गी मर गई और एक भी अंडा नहीं निकला. अब तो किसान हाथ मलता रह गया.
 

दोस्तों एक कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि लालच करने से इंसान की जिंदगी लूट जाती है, और बहुत से लोगों की लूटी भी है. लालच और  तृष्णा दोनों ही ऐसी चीजें है जिनका कोई अंत नहीं लेकिन. इनको पूरा करते-करते इंसान का जरूर अंत हो जाता हैं. इसलिए हमेशा लालच से बचे और अपनी बुद्धि से काम लें.

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