Ekta me shakti short story in hindi | एकता में शक्ति लघु कथा

Ekta me shakti short story – एकता में शक्ति लघु कथा: किसी गांव में एक बरगद का बहुत ही विशाल पेड़ था। उस पेड़ पर सैकड़ों छोटे-बड़े़ पक्षी एक लम्बे समय से रहते चले आ रहे थे। इन पक्षियों का प्रेम इतना अधिक था कि वे दुःख-सुख मिलकर सहते थे।

एक दिन एक शिकारी उस गांव के रास्ते से गुजर रहा था। बरगद के पेड़ के नीचे छांव देखकर सोचा, क्यों ना थोड़ा आराम कर यहां से आगे जाया जाए।
शिकारी जब उस पेड़ के नीचे बैठा तो उसे बहुत सारे तरह-तरह के पक्षियों की आवाज उस पेड़ के उपर से सुनाई देने लगी। शिकारी ने पेड़ के उपर देखा तो वहां तरह-तरह की पंक्षियों को एक साथ देख कर खुश हुआ।

उन पक्षियों को देखकर वह सोचने लगा कि यदि वह इस पेड़ के नीचे जाल लगा दे तो उसमें बहुत से पक्षी फंस सकते है। यह सोचते ही वह मुस्कुराने लगा इन पंक्षियों को शहर में ले जाकर अगर बेंच दूं तो मुझे काफी ज्यादा पैसे भी मिलेगें।

पेड़ पर बैठा एक बूढ़े कौए ने इस शिकारी को देखते ही समझ लिया कि हम में से बहुत से पक्षियों की जान और आजादी जाने वाली है।

कौए ने सभी पंक्षि को अपने पास बुलाया और कहा- भाईयों इस पेड़ के नीचे बैठा व्यक्ति एक शिकारी है। वह कुछ देर में यहां दाना डालेगा और हमें अपने जाल में फंसा लेगा। तुम लोग उस दाने को जहर समझना, क्योंकि अगर दाना चुगने के लिए अगर नीचे जाआगें तो उसकी जाल में फंस जाओगें।
कौए की बात सुनकर सभी पंक्षी सावधान हो गए और उस शिकारी का वहां से जाने का इंतजार करने लगे।

शिकारी ने तभी अपने झोले से दाने निकाले और उस पेड़ के नीचे फ़ैलाने लगा और कुछ जाल भी वहां बिखेर दिया।

तभी एक जंगली कबूतरों का एक झुंड उस पेड़ पर आकर रूका। कौए ने उन्हें भी उस शिकारी से सावधाव रहने को कहा पर उन्होंने कौए की सीख पर कोई ध्यान नहीं दिया।

सामने बिखरे दाने को देखकर उनके मुंह में पानी भर आया, दरअसल वे भूखे थे। भूखे के सामने अन्न पड़ा हो तो उनकी भूख और भी बढ़ जाती है।
कबूतरों का झुंड उस शिकारी के दाने चुगने को जमींन पर आ बैठे। शिकारी उन कबूतरों को जाल में फंसता देख खुश हुआ। वह चाहता था तरह-तरह की पेड़ पर बैठे पंक्षी भी नीचे आए पर ऐसा नहीं हुआ।

कुछ देर दाना खाने के बाद जब कबूतरों का पेट भर गया तो वह जमींन से उड़ कर पेड़ पर जाना चाहे तो वो उन्हें एहसास हुआ वह सब उस जाल में फंस चुके थे।

कबूतरों के सरदार ने अपने साथियों को इस प्रकार उदास बैठे देखकर कहा- ’’अरे मूर्खो! इस प्रकार उदास क्यों बैठे हो, संकट के समय घबराने से काम नहीं चलता।

संकट के समय अपनी बुद्धि से काम लेना चाहिए। बुद्धिमान लोग सुख और दुःख को सामान ही समझते हैं। इसलिए हमें भी इस संकट में हिम्मत से काम लेना चाहिए।

यदि हम सब हिम्मत दिखाए तो, क्यों ना इस जाल समेत ही हमें उड़ जाना चाहिए?
इस शिकारी से दूर जाने के बाद हम सब इस जाल से निकल के लिए सोचेगें। अपने सरदार की बात सुनकर सारे कबूतरों में जोश आ गया, उन्होंने उसी समय जाल समेत उड़ना शुरू कर दिया ।

शिकारी ने जब देखा कि कबूतर तो उसका जाल भी लेकर उड़ रहे हैं तो वह रोता-पीटता उनके पीछे भागा। उसे यह आशा थी कि शायद कबूतर जाल समेत नीचे गिर पड़ेंगे परन्तु कबूतर जाल लेकर आकाश में उड़ गए। इसलिए कहा गया है कि एकता में ही बल है।

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