अकबर और बीरबल के किस्से | Akbar Aur Birbal Ke Kisse in Hindi

Akbar Aur Birbal Ke Kisse in Hindi: परिस्थिति के अनुकुल (अकबर बीरबल के रोचक किस्से) -बादशाह अकबर कलाकारों को बहुत सम्मान किया करते थे। उनके द्वारा पत्थर को काट कर तरह-तरह की मूर्तियां या सजावट का सामान जिन पर सुन्दर-सुन्दर नकासी किया गया हो। अकबर बादशाह उन वस्तुओं को वह बहुत पसंद किया करते थ। कुछ सजावट कि चीजों में गुलदस्ता अकबर को बहुत ही प्रिय था। उस गुलदस्ते को अकबर ने अपने कमरे के पलंग के पास ही रखा करते थे।

एक दिन महाराज अकबर के कमरे की साफ हो रही थी। उसी समय सफाई करते हुए किसी सेवक से हाथ से वह गुलदस्ता जमींन पर गिर कर टूट जाता है। सेवक डर से घबराकर उस गुलदस्ते को जोड़ने की बहुत कोशिश करता है, लेकिन गुलदस्ते को जोड़ नही पाता। हार कर चुपचाप उसने टूटे हुए गुलदस्ता को कूड़ेदान में फेंक दिया और दुआ करने लगा कि राजा को इस बारे में कुछ पता न चले।

महाराज अकबर जब अपने कमरे में लौटे है तो उनका प्रिय गुलदस्ता अपनी जगह पर नहीं दिखता है। अकबर तुरन्त अपने सिपाहियों को आदेश देते है कि उस सेवक को अभी मेरे सामने पेश किया जाए, जिसने मेरे कमरे कि सफाई की कि है। सिपाही तुरन्त उस सेवक को अकबर के सामने लेकर आते है। अकबर ने उस गुलदस्ते के बारे में पूछा, तो सेवक डर के मारे कांपने लगा। सेवक को जल्दी में कोई बहाना नहीं सूझता, तो उसने जल्दी में कहा कि महाराज उस गुलदस्ते को मैं अपने घर ले गया हूँ, ताकि अच्छे से साफ कर सकूं। यह सुनते ही अकबर बोले, “मुझे तुरंत वो गुलदस्ता लाकर दो।”

अब सेवक के पास बचने का कोई रास्ता नहीं था। सेवक ने महराज अकबर को सच बता दिया कि वो गुलदस्ता टूट चुका है। यह सुनकर अकबर गुस्से से आग-बबूला हो जाते है। क्रोध में अकबर ने उस सेवक को फांसी की सजा सुना दी। राजा ने कहा, “झूठ मैं बर्दाश्त नहीं करता हूं। जब गुलदस्ता टूट ही गया था, तो झूठ बोलने की क्या जरूरत थी”।

अगले दिन इस घटना के बारे में जब बीरबल को मालूम होता है तो वह इस बात का भरे दरवार में विरोध करते है। बीरबल बोले कि झूठ हर व्यक्ति कभी-न-कभी बोलता ही है।

एक गुलदस्ते कि कीमत इतनी है आपके नजरों मैं, पर एक मनुष्य कि कीमत नहीं, ऐसा क्यों? गलती से टूटने की सजा मौत तो नहीं हो सकती?
किसी के झूठ बोलने से अगर कुछ बुरा या गलत नहीं होता, तो झूठ बोलना गलत नहीं है। बीरबल के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर अकबर उसी समय बीरबल पर नाराज हो जाते है। उन्होंने दरवार में उपस्थित लोगों से पूछा कि क्या कोई ऐसा है यहां जिसने झूठ बोला हो?

सबने अकबर को कहा की नहीं वो झूठ नहीं बोलते। यह बात सुनते ही बादशाह अकबर बीरबल को उसी वक्त राज्य से निकाल दिया।
राज दरबार से निकाले जाने के बाद बीरबल ने सोच लिया कि इस अपमान का बदला मुझे लेना होगा। मै इस बात को साबित करके रहूंगा कि हर व्यक्ति अपने जीवन में कभी-न-कभी झूठ बोलता है।

बीरबल के दिमाग में एक तरकीब आती है। जिसके बाद बीरबल सीधे सुनार की दूकान पर जाता है और अपने हाथ की उंगलियों से एक अंगूठी निकाल कर सोनार को दे देता है। उसके बाद वह उस सोने से गेहूं जैसी दिखने वाली बाली बनवाई और उसे लेकर महाराज अकबर की सभा में पहुंच गए।

अकबर ने जैसे ही बीरबल को राज सभा में देखा, तो पूछा कि अब तुम यहां क्यों आए हो?

बीरबल बोले, “जहांपनाह आज मेरे साथ ऐसा चमत्कार हुआ कि जो किसी ने कभी नहीं देखा होगा। बस आपको मेरी पूरी बात सुननी होगी।” राजा अकबर और राज सभा में उपस्थित लोगों में उत्साह बढ़ गई और राजा ने बीरबल को अपनी बात कहने की अनुमति दे दी।

बीरबल बोले महाराज जब में राज से निकल कर कुछ दूर ही गया था कि मुझे रास्ते में एक महापुरुष के दर्शन हुए। उन्होंने मुझे यह सोने से बनी गेहूं की बाली दी है और कहा कि इसे जिस भी खेत में लगाओगे। उस खेत में सोने की फसल दस मिनट में उगेगी। अब इसे लगाने के लिए मुझे आपके राज्य में थोड़ी-सी जमीन चाहिए।” बादशाह अकबर ने बीरबल को कहा, यह तो बहुत अच्छी बात है। थोड़ी सी क्यों, आप जितना चाहों उतनी बड़ी खेत में इस बाली को लगा लो। चलो हम तुम्हें जमीन दिलवा देते हैं।

बीरबल ने कहा मैं चाहता हूं कि राज दरबार के सभी लोग यह चमत्कार देखे। ऐसे भी ज्यादा वक्त नहीं लगेगा बस दस से पंद्रह मिनट ही लगेगा। बीरबल की बात मानते हुए अकबर के साथ पूरा राज दरबार खेत की ओर चल पड़ा।

खेत में पहुंचकर बादाह अकबर एक कोने में खड़े हो गए। उसके बाद बीरबल से कहा कि इस खेत में तुम सोने से बनी गेहूं की बाली लगा सकते हो। बीरबल ने कहा इस बाली से सोने की फसल तभी उगेगी, जब इसे ऐसा व्यक्ति खेत में लगाए, जिसने अपने जीवन में कभी झूठ न बोला हो।
बीरबल की बात सुनकर सभी  लोग चुप हो गए और कोई भी गेहूं की बाली लगाने के लिए आगे नहीं हुआ।

राजा अकबर बोले कि क्या राजदरबार में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है। जिसने अपने जीवन में कभी भी झूठ न बोला हो?
राजा की यह बात सुनने के बाद भी कोई व्यक्ति आगे नही आया। बीरबल ने फिर अकबर से बोले, “जहांपनाह अब आप ही इस बाली को खेत में रोप दीजिए।”

बीरबल की बात सुनकर महाराज का सिर झुक गया। उन्होंने कहा, “बचपन में मैंने भी कई झूठ बोले हैं, तो मैं इसे कैसे लगा सकता हूं।” इतना कहते ही बादशाह अकबर को यह बात समझ आ गई कि बीरबल सही कह रहे थे कि इस दुनिया में कभी-न-कभी सभी झूठ बोलते हैं। इस बात का एहसास होते ही अकबर उस सेवक की फांसी की सजा को रोक देते हैं और बीरबल के राज्य से निकलने के आदेश को वापस ले लेते हैं।

कहानी से यही सीख बिना सोचे समझे किसी को दण्ड नहीं देना चाहिए। सोच-विचार करने के ही हर काम को किया जाना चाहिए। एक झूठ की वजह से किसी व्यक्ति के बारे में आप राय नहीं किया जाना चाहिए।

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