Short Stories with Moral Values: अगर आपको बच्चों को कुछ अच्छी सीख देनी है तो उसके लिए कहानी बहुत ही प्रेरणा का काम करती है। आज मैं इसलिए आपके लिए बच्चों के लिए नैतिक मूल्यों वाली लघु कथाएँ लेकर आई हूँ। जिसको सुनाकर आप अपने बच्चों में अच्छी आदतों का विकास कर सकते हैं।
Short Stories with Moral Values -“भाग्य फले तो सब फले”
किसी गाांव में एक ज्योतिषी रहता था। उसका नाम जमुना था। वह पढ़ा लिखा बिल्कुल भी नहीं था और ना ही उसे ज्योतिषी का ही कोई ज्ञान था। मगर ज्योतिषी के बारे में उसे थोड़ी जानकारी थी। जिसका उसे काफी अभिमान था। इस अभिमान के कारण ही उसका गुजर.बसर हो रहा था।
एक दिन वह अपने गांव से दूसरे गांव जा रहा था। रास्ते में उसे एक खेत में दो सफेद बैल दिखाई दिए। वह काफी सुन्दर और मजबूत दिख रहा था। यह बात अब उसके मन में बैठ गई कि शायद ये बैल किसी और का है और वह किसी और की खेत की फसल खराब कर रहा है।
अब जिस गांव में ज्योतिषी को जाना था। वह वहां एक किसान के घर ठहरा था। उसी गांव का एक किसान के दो बैल खो गए थे। उसे पता चला कि एक किसान के घर ज्योतिषीआए हैं तो वह किसान भागा हुआ आया. वह ज्योतिषी से बोला, ज्योतिषी जी मेरे दो सफेद बैल खो गए हैं। तनिक अपनी ज्योतिषी विद्या से बताइए कि वे किस दिशा में गए हैं।
ज्योतिषी मन ही मन मुस्कुराया और अपनी झूठ-मूठ में उंगलियों पर कुछ गणना की, आंखें बंद कर कुछ सोचने का नाटक किया। उसके बाद बोला भैया तुम्हारे बैल पच्छिम दिशा में एक हरे भरे खेत में चरते हुए दिखेगें। तुम जाकर तुरन्त उसे लेकर आ जाओ।
किसान और कुछ गांव वाले ज्योतिषी के बताए दिशा में गए तो उन्हेें वहां बैल खेत में चरते हुए मिला तो पुरे गांव में ज्योतिषी का गुणगान होने लगे और किसान ने ज्योतिषी की खुब आव भगत किया और काफी दक्षिणा भी मिला।
जिस किसान के यहां ज्योतिषी ठहरे थे। उसने ज्योतिषी की ज्ञान की परीक्षा लेनी चाही क्योंकि किसान को मालूम था कि वह उसी दिशा से आया है। जिस दिशा में बैल मिला था।
किसान ने ज्योतिषी जी से पूछा कि यदि आपको ज्योतिष विद्या का ज्ञान है तो बताओं कि हमारे घर में आज कितनी रोटी बनी है।
ज्योतिषी ने पहले ही टोकरी में रोटियां रखते किसान की स्त्री को देख लिया था। उनको कुछ काम तो था नहीं, इसलिए वक्त काटने के लिए ऐसे ही उन रोटियों को गिनती कर लिया था।
किसान के सवाल करते ही ज्योतिषी ने बोला कि आपके घर आज अठारह रोटी बनी है। किसान ने पता किया तो यह बात सच निकली। अब तो ज्योतिषी की प्रसिद्धि खूब बढ़ गई। पूरे गांव में यह बात फैल गई और अब क्या था ज्योतिषी के पास बहुत ग्राहक आने लगे।
इसी बीच राजा की रानी का बहुमूल्य हार खो गया। जिन ज्योतिषी का यष फैला हुआ था, राजा ने उन्हें बुलवाया। राजा ने ज्योतिषी से कहा मेरी रानी का बहुमूल्य हार खो गया है। अपनी ज्योतिषी विद्या से बताइए तो कि रानी का हार कौन ले गया है और वह कहां है?
हार मिल गया तो आपकों बहुत सारा इनाम दूंगा।
जमुना महाराज सोच में पड़ गए। परेशान भी हुए। राजा ने ज्योतिषी से फिर कहा कि आज रात आप यही रूके और पूरी रात सोच विचार कर मुझे सुबह बताइये कि रानी का हार किस दिशा में और किस के पास है।
पर ध्यान रहे कि अगर आप की बात गलत निकली तो तुम्हें कोल्हू में पिसवा दूँगा।
रात को भोजन कर जमुना जब बिस्तर पर लेट गए। कल सुबह क्या होगा जमुना पूरी रात यहीं सोच डर में बिता रहे थे और खुद से बाते कर रहे थे क्योंकि नींद उनकी आंखों से उड़ गई थी। नींदिया तूझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा। निंदिया रानी की एक दासी का भी नाम था। उसी ने रानी का हार भी चूराया था। जब ज्योतिषी के मुंह से रात को दासी ने अपना नाम सुना तो एकदम सनन रह गई। उसे लगा कि ज्योतिषी को पता चल गया है कि हार मैंने चूराया है।
चोर के आरोप से बचने के लिए दासी ज्योतिष जी के पास पहुंची और विनयपूर्वक बोली महराज ये लीजिये यह खोया हुआ हार। आप मेरा नाम मत लेना ज्योतिषी जी को मन मांगी जैसे मुराद मिल गई। मन ही मन खुश हुए और निंदियां से बोले कि तुम इस हार को रानी के पलंग के नीचे रख दो।
निंदिया ने जमुना की आज्ञा का पालन किया। सुबह जब दरवार लगी तो राजा ने ज्योतिषी से पूछा कि रानी का हार कहां मिलेगा। फिर ज्योतिषी ने अपनी उंगलियों पर कुछ गिनती कि और बताया कि रानी का हार उनके महल में ही है। उनके पलंग के नीचे थोड़ा घ्यान से ढूंढों रानी का हार कोई नहीं चूराया है।
जिसके बाद हार ढूंढा गया तो हार रानी के पलंग के नीचे ही मिला राजा बहूत खुश हुए और ज्योतिषी जमुना को बहुुत सारा ईनाम भी दिया।
वरदान एक इच्छा तीन
एक नगर में एक राजा रहता था। वह मां काली का भक्त था और प्रतिदिन शाम को मां काली के मंदिर जाया करता था। वहां जाकर वह दीपक जलाकर लौट जाता था।
उसी नगर में एक चोर रहता था। वह भी शाम को प्रतिदिन मां काली के मंदिर जाया करता था और काली मां के दर्शन करता था। वह कुछ देर मंदिर में रूक कर वापस लौट जाता था।
चोर काली मां के दर्शन करने के बाद उस बुझे हुए दीपक को दूबारा जला देता था। फिर वह हाथ जोड़कर काली मां से प्रार्थना करता था।
रोज की इस आराधना से काली मां चोर पर बहुत प्रसन्न हो गई। काली मां ने चोर से कहा तुम्हारी सेवा से मै बहुत प्रसन्न हूं। तुम कोई एक वरदान मुझसे मांग लो।
चोर हाथ जोड़कर बोला ’’मां मै कम पढ़ा लिखा हूँ, अतः विचार कर मै कल वरदान मांग लूंगा।‘’
चोर मंदिर से सीधा अपने घर आया। सबसे पहले उसने सारी बातें अपने पिता जी को बताया और कहा कि मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मै काली मां से क्या वरदान मांगू?
पिता ने कहा बेटा उनसे धन मांग लो । हम बहुत गरीब हैं। धन मिल जाने से हमारी गरीबी दूर हो जाएगी। चोर घर के अंदर गया तो उसकी अंधी मां मिली। मां से भी चोर ने वही बात कहीं जो पिता से कहीं थी। वह बोला बताओं मां क्या वरदान मांगू?
मां बोली बेटा, उनसे मेरे लिए आंखें मांग लो जिससे मैं दूनियां को देख सकूँ।
इसके बाद चोर अपनी पत्नी के पास गया, जो रसोईघर में खाना बना रही थी। उससे भी चोर ने पूछा क्या मांगू?
पत्नी ने बोला आप काली मां से एक बेटा मांग लो जिससे मेरी गोद भर जाए।
तीनों की बात सुनकर चोर परेशान हो गया। वरदान केवल एक मांगना हैै। अब मैं पिताजी के लिए धन मांगता हूं तो मां और पत्नी नाराज होंगी। यदि मां के लिए मांग लूँ तो पिताजी और पत्नी नाराज होगी। यदि पत्नी की बात मानता हूं तो पिताजी और मां अप्रसन्न हो जाएगें। वरदान एक और इच्छा तीन। चोर बहुत चतुर था। उसने तीनों की इच्छा पूरी करने का सोच लिया। अगले दिन जब वह काली मां के मंदिर पहुंचा और काली मां को पुकारा तो काली मां प्रकट हो गयी।
चोर माता, पिता और पत्नी में से किसी को भी अप्रसन्न नहीं करना चाहता था। उसने काली मां से कहां कि वरदान दे दो कि मेरी मां को एक पोता मिल जाए जिसे वह सोने चांदी के पालने में अपनी आंखों से झूलता हुआ देख सके।
काली मां ’एवमस्तु’ कहकर अंतधार्न हो गई।
चोर ने अपनी चतुराई से तीनों की इच्छाएं पूरी करवा लिए थी।
झूठा कलंक | Short stories with moral for kids
गंगा नदी को हमारे देश की पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। गंगा नदी के किनारे एक गांव बसा हुआ था, जिसका नाम कुसुमपुरा था।
एक दिन अनेक तीर्थों में से भ्रमण करता एक तपस्वी उस गांव में आ गया। वहां गंगा नदी के किनारे का स्थान उसके मन को भा गया तो वह वहीं आश्रम बनाकर रहने लगा। वहीं गंगा के किनारे उस तपस्वी ने एक छोटा मंदिर भी बना लिया तथा प्रातः और सायं को भगवान की पूजा और आरती करने लगा।
उस तपस्वी का नाम हरस्वामी था।
हरस्वामी के आश्रम में बहुत से लोग इकट्ठे हो जाते थे और वहां हरी चर्चा होने लगती थी। जिससे धीरे-धीरे हरस्वामी का यश चारों ओर फैलने लगा।
उसी गांव में एक पूजारी पहले से उपस्थित था। वह हरस्वामी की बढ़ती हुई कीर्ति देखकर उससेईष्या करने लगा। एक दिन हरस्वामी भिक्षा मांगने नगर में गया तो वह पूजारी नगर के लोगों को यह बोल कर भड़काने लगा था। आश्रम में एक ढोंगी महात्मा आ गया।
हरस्वामी बड़ा कपटी है। यह नर.मांस खाता है। इसने कुसुमपुरा में बहुत से बच्चों को खा लिया है।
एक पाखंडी ब्राहमण है। धीरे-धीरे यह बात पूरे नगर में फैल गई। नगरवासियों को विश्वास हो गया कि हरस्वामी बच्चों को खा जाता है। अतः उन्होंने अपने बच्चों को घर से बाहर निकलने से रोक दिया।
बात यहीं समाप्त नहीं हुई। नगरवासियों ने स्वामी को वहां से भगा देने का निर्णय कर लिया। उन्होंने अपने दूत के द्वारा हरस्वामी को संदेश भिजवाया।
दूत हरस्वामी के पास पहुंचा और सारी कहानी सुनाकर नगरवासियों का संदेश सुना दिया कि आप दस नगर से चले जाएं।
दूत की पूरी बात सुनी तो हरस्वामी हक्का.बक्का रह गया। उसे दुख भी बहुत हुआ, लेकिन वह उस बात को बर्दास्त नही कर सका और वह नगर में चला गया।
नगरवासियों के पास जाकर हरस्वामी ने कहा, “आपका संदेश मुझे मिल गया है पर मेरा आप लोगों से निवेदन है कि मेरे नगर छोड़़ने से पूर्व खोज करके बता दें कि किस बच्चे को मैंने खा लिया है।
उसके बाद नगरवासियों द्वारा खोज कर के देखा गया तो पता चला कि नगर में सब लोगों के बच्चे सकुशल हैं। लोगों को विश्वास हो गया कि हरस्वामी ने किसी भी बच्चे को न तो खाया और नगर के किसी को कोई नुकसान पहुंचाया है। व्यर्थ ही उसकी निंदा की जा रही थी।
नगरवासियों को अपनी भूल ज्ञात हुआ तो उन्होंने हरस्वामी से क्षमा मांगी और लोगों ने कहां अब आप यहीं रहें, नगर छोड़कर न जाएं।
नगरवासियों के रोकने पर हरस्वामी वहां नहीं रूका, उस नगर को छोड़कर चला गया। उसने कहा जहां झूठा कलंक लगाएं, वहां रहना उचित नहीं है।
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