Motivational Inspirational Hindi Story | मोटिवेशनल कहानी छोटी सी

Motivational Inspirational Hindi Story | मोटिवेशनल कहानी छोटी सी : सपने जो सच हुए – एक गांव में एक व्यापारी रहता था। जिसका नाम वर्धमान था। उसके माता-पिता इस दूनिया में नहीं थे, पर वह वर्धमान के लिए अच्छा कारोबार और काफी घन छोड़कर गए थे।

वर्धमान के मन में एक लालसा थी कि वह किसी तरह एक अमीर आदमी बने और इतना अमीर की चारों ओर उसकी चर्चे हो।
वर्धमान के मन में हमेशा यहीं चलता रहता धनवान बनूं और अमीर बनूं पर कैसे?

एक दिन वह रात के समय अपने बिस्तर पर लेटा-लेटा यहीं सोच रहा था। धनवान बनने के कौन-कौन से रास्ते हैं।
सरकारी नौकरी …
खेती….
ब्याज….
व्यापार….
विद्या…
भिक्षा…

यही छः रास्ते है जिससे में अमीर बन सकता हूं । पर में कौन-सा रास्ता चुंनू?

सरकारी नौकरी में उसे अफसरों को दिन-रात प्रणाम करना पड़ेगा, फिर भी क्या भरोसा में कब तक अमीर बनेगा?
खेती करना और विद्या प्राप्त करना उसके बस की नहीं थी।

ब्याज पर धन देकर वह अमीर तो बन सकता है पर आदमी घर पर पड़ा-पड़ा सुस्त हो जाता है। और उसमें रकम डूबने का भी डर रहता है।
अब बचा क्या व्यापार यहीं निर्णय कर लिया की अब वह व्यापार करेगा।

छोटे कस्बे से वह किसानों से सस्ता अनाज और लकड़ियां आदि खरीदकर बड़े शहर में ले जाकर महंगे भाव से बेचेंगे। इस प्रकार अमीर बन जाएगें।

वर्धमान के कुछ साथी थे, जिसमें उसके सबसे प्रिय 3 साथी थें। अचानक उसके मन में यह विचार आया क्यों ना में यह काम अपने तीनों  मित्रों के साथ मिलकर करूं। अकेला में सारा काम नहीं कर पाउंगा और मुझें कुछ भरोसे के साथी भी चाहिए, जो मेरे बिना भी छोटे-छोटे गांव में जाकर किसानों से मिलकर उनका अनाज बड़ी मंडी तक पहुंचा सके। उसमें मेरे साथ मेरे मित्रों की भी अच्छी कमाई हो जाएगी, और गांव वालो को भी अपने अनाज लेकर मंडी-मंडी नहीं घुमना नहीं पड़ेगा।

वर्धमान तुरंत अपने बिस्तर से उठकर बैठ जाता हैं, और एक नौकर को आवाज लगाता हैं। उसे कहता हैं उसके तीनों मित्रों घर जाकर उन्हें अभी बुला कर लाए।

नौकर भी रात को उसके तीनों साथीयों के घर जाता हैं और उन्हें अपने साथ ले आता हैं।

वर्धमान ने अपने मित्रों से अपने विचार बताया उन सभी को वर्धमान का विचार अच्छा लगा पर यह काम करने के लिए उन्हें बैलगाड़ी की जरूरत पड़ती। सभी ने यह काम करने के लिए हामी भरी और अपने-अपने घर लौट गए।

सुबह वर्धमान ने एक मजबूत बैलगाड़ी और दो तगड़े-तगड़े बैल खरीद कर, अपने ही गांव से व्यापार शुरू करने का विचार किया।
वर्धमान और उसके साथी अपनी बातों से किसानों को प्रभावीत कर उनकी फसल खरीद बाजार में उच्चें दामों पर बेचकर पैसे आपस में बांट लिया करता था। धीरे-धीरे वर्धमान और उसके दोस्त इसी काम को करते-करते काफी धनवान हो गए।

वर्धमान के नाम के चर्चे दूर-दूर तक होने लगें। उसने अपने साथ-साथ किसानों का काम और उन्हें अपने गांव में फसल बेचने की सुविधा दे दी जिससे वर्धमान से किसान काफी खुश हुए।

वर्धमान अमीर और चर्ची भी हो गए इस प्रकार उसने अपने सपनों के साथ-साथ मेहनत भी कि जिससे वह अपने सपनों को सच भी कर पाया।

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