Jungle ki Kahani Baccho ke Liye | बच्चों के लिए जंगल की कहानी

Jungle ki Kahani Baccho ke Liye (टाॅम थंब): बहुत समय पहले की बात है। किसी स्थान पर एक गरीब लकड़हारा अपनी पत्नी और अपने सात भतीजे के साथ रहता था। लकड़हारे का भाई और उसकी भाभी जंगल में लकड़ी लाने गए थे, तो उन दोनों को शेर ने अपना शिकार बना लिया था।

उनके बच्चें अपने चाचा और चाची के पास तभी से रहते थे। वो बच्चें अपने चाचा और चाची को ही मां और पिता जी कहते थे। सबसे छोटे बेटे का नाम टाॅम थंब था। क्योंकि वह बिलकुल अंगूठे के आकर का था।

एक रात टाॅम और थंब ने अपने पिता को उसकी मां को बात करते सुना, हमारे पास इन बच्चों को पेट भर खाना देने के लिए भी पैसा नही है। हमें इन्हें जंगल में छोड़ आना चाहिए। उसकी मां ने कहा, हां यह ठीक रहेगा।

मां और पिता की बात सुन उसको एक तरकीब सूझी। अगली सुबह वह जल्दी उठा और नदी के किनारे चला गया। वहां से उसने बहुत से सफेद कंकर इक्ट्ठा किया और उन्हें अपनी जब में भर लिया। कुछ देर बाद लकड़हारे का सारा परिवार जंगल की ओर चल पड़ा।

रास्ते में थोड़ी-थोड़ी दूर पर टाॅम थंब ने पत्थर गिराता जा रहा था। जंगल में जब सब बच्चें आपस में खेलने लगे तो, लकड़हारा और उसकी पत्नी बच्चों को वही छोड़कर घर वापस चले गए।

थोड़ी देर बाद बच्चों को अकेला होने का जंगल में एहसास हुआ और वे रोने लगे। टाॅम ने अपने भाईयों को कहा तुम लोग मत रो, मैं तुम्हें घर वापस ले जायूंगा।

टाॅम ने सब को कहा इस सफेद पत्थर के पीछे-पीछे चलों हम अपने घर पहुंच जायेंगे। सभी बच्चें सफेद पत्थर के पीछे आते-आते वह जंगल से बाहर निकल गए। उसके बाद वह अपने गांव तक आ गए। सभी बच्चें अपना गांव देखकर खुश हुए और वह अपना घर पहुंच गए।

जब बच्चें घर पहुंच गए तो, लकड़हारा और उसकी पत्नी बच्चों को देखकर हैरान रह गए। लकड़हारे ने पत्नी को कहा, हमें इन्हें जंगल के बीच में छोड़ना चाहिए था जहां से ये बच्चें वापस नही आ पाते।

टाॅम थम ने आज फिर उन दोंनों की बाते सुन लिया। पर अगली सुबह दरवाजा बंद होने के कारण वह नदी पर जा नही पाया। टाॅम ने सोचा क्यों में रसोई से कुछ रोटी ले लूं और इनका छोटा टुकड़ा तोड़-तोड़ कर रास्ते में गिराता चला जाउं।

अगली सुबह फिर उनदोनों ने सभी बच्चों को अपने साथ लिया और जंगल के बीचों- बीच चले गए। टाॅम रास्ते में रोटी का टुकड़ा गिराता हुआ गया। परंतु उस दिन बच्चों की किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। रोटी के टुकड़े पक्षियों ने खा लिए थे और वे शाम को अपने घर वापस नहीं जा सके।

सभी बच्चें जंगल में इधर-उधर घर जाने के लिए रास्ता ढुढ़ रहे तभी उन्हें जंगल में एक घर दिखाई दिया। उस घर से रोशनी दिखार्द दे रही थी।

सभी बच्चें उस घर की ओर चल दिए। वह घर एक आदमखोर राक्षस का था। दरवाजा खटखटाने पर राक्षस की पत्नी ने दरवाजा खोला। वह बच्चों को देख कर मुस्कुराई और उन्हें शोर मचाने के लिए मना की, क्योंकी उसकी सात बेटियां अभी सो रही थी।

उन्हें अपने साथ सात बेटियों के कमरे में सभी बच्चों को उसके पलंग के नीचे छिपा दिया। टाॅम ने अपने भाईयों के सर से टोपी मांगी और उसे उसकी बेटियों के सर में पहना दिया। उसकी बेटियों के सर पर जो सोने के जो मुकुट पहन रखी थी उसे लेकर अपने भाईयों के साथ खिड़की से निकाल भाग गया।

जब आदमखोर राक्षस घर वापस आया तो उसे इंसानी मांस की गंध महसूस हुई। उसकी पत्नी ने बताया उन्हें वह वह अपनी बेटियों के कमरे में रखा हुआ है। वह अपनी बेटियों के कमरे में गया तो देखा खिड़की खुली है। वह समझ गया कि बच्चें यहां भाग गए है।

बच्चें भागते-भागते जंगल से बाहर निकल गए। तभी उन्हें एक आदमी मिला। वह सभी बच्चों को अपने साथ घर ले गया। और उनकी सारी कहानियां सुनी। वह आदमी अपनी पत्नी के साथ रहता था। जिसकी शादी के कई वर्ष बीतने के बाद भी उसके पास कोई बच्चा नहीं था।

उसकी पत्नी ने बहुत ही स्वादिष्ट पकवान बनाए और सभी बच्चों को प्यार से खिलाया। बच्चों को उसकी पत्नी से उन्हें अपने पास ही रह जाने के लिए बोला। बच्चें भी उनके साथ रहने के लिए राजी हो गए। टाॅम ने कहा कि वह 6 मुकुट उन्हीं को देना चाहता है। पर एक सोने के मुकुट वह अपने चाचा, चाची को देना चाहता है। जिन्होंने अब तक उनका ध्यान रखा था। टाॅम की बात सुन कर पती-पत्नी बहुत खुश हुए। और उनका घर पता कर उनतक एक मुकुट पहुंचा दी।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि संसार में अगर बुरे लोग है तो अच्छे भी इंशान भी हैं। जो हमें सही वक्त पर मिल जाते है। आपको कहानी कैसी लगी कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बतायें।

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