Jungle ki Kahani Baccho ke Liye : आज हम अपने इस पोस्ट में बच्चों के लिए जंगल की कहानी लेकर आये हैं। जिसको पढ़कर/सुनकर बच्चों को अच्छी सिख मिलेगी। हम इस कहानियों के माध्यम से बच्च्चों को मुसीबत से नहीं घबराने और अपने बुद्धि विवेक से काम लेने की शिक्षा देते हैं। जो कि उनके कभी न कभी काम आती है। ऐसे में आइये पढ़ना शुरू करते हैं और बच्चों को सुनाते हैं-
मेमने की चतुराई।
एक बार जंगल में भेड़ों की एक झुण्ड घास चर चही थी। एक भेड़िया कहीं से घुमते-घुमते भेड़ों के झुंड के पास आ गया। भेड़ की झुण्ड देख भेड़िया के मुंह में पानी भर आया।
भेड़िया ने सोचा की आज इनके झुंड पर हमला कर मुलायम मांस खाया जाए। पर उसकी नजर वहां बैठे कुछ गड़ेरिया पर पड़ी।
भेड़िया सोचने लगा अभी नही जब वह भेड़ों को जंगल से लेकर लौटता रहेगा तो उनपर हमला करना सही होगा।
भेडिया भी वही दूर झाड़ियों में अंधेरा होने का इंतजार करने लगा। शाम होते ही भेडिया झुंड में से एक मेमने को अपने साथ उठा लाया।
जब भेड़िया उसे जंगल में लाकर खाने बैठा तो मेमना बोला- भेड़िया मामा! अब आप मुझें अपने साथ उठा लाए हैं तो खाएंगे भी।
मगर मैं यूं ही मर गया तो मेरी एक इच्छा अधूरी रह जाएगी।
भेड़िया ने बोला क्या है तुम्हारी इच्छा?
मेमने ने बोला मैंने सुना है आप गाना अच्छा गाते हैं। मेरी मां भी आपकी बड़ी तारीफ करती हैं। क्या मेरे मरने से पहले आप मुझें एक गाना नहीं सुनाएंगे।
मेमने की बात सुनकर भेड़िया फूलकर कुप्पा हो गया। वह बोला- क्यों नहीं भाजे! जब तू इतना कर रहा है तो मैं तेरी आखिरी इच्छा जरूर पूरा करूंगा।
इतना बोलते ही भेड़िया गाना गाने लगा। गाना गाते समय उसे इतना भी ध्यान नही रहा की जंगल में शिकारी कुत्ते भी धूम रहे है। मेमना तो था ही इसी ताक में की कब भेड़िया की बेसुरी आवाज सुनकर उसका मालिक गड़ेरिया उसको ढुढ़ते हुए उसके पास आ जाए।
कुछ देर बाद मेमने जैसा सोचा था। वैसा ही हुआ गड़ेरिया और शिकारी कुत्ते एक साथ ही वहां आ पहुंचे। भेड़िया गाने में इतना मग्न हो गया था कि उसने अपनी दोनों आंखें भी बंद कर लिए थे।
गड़ेरिया ने मेमने को चुपके से अपनी गोद में उठाया और वहां से भागने लगा। पीछे से भेड़ियें की चीखने की आवाज आने लगी। शिकारी कुत्ते ने भेड़िया पर हमला कर दिया और उसे चीर फाड़कर फेंक दिया।
टाॅम थंब- गरीब लकड़हारा की कहानी
बहुत समय पहले की बात है। किसी स्थान पर एक गरीब लकड़हारा अपनी पत्नी और अपने सात भतीजे के साथ रहता था। लकड़हारे का भाई और उसकी भाभी जंगल में लकड़ी लाने गए थे, तो उन दोनों को शेर ने अपना शिकार बना लिया था।
उनके बच्चें अपने चाचा और चाची के पास तभी से रहते थे। वो बच्चें अपने चाचा और चाची को ही मां और पिता जी कहते थे। सबसे छोटे बेटे का नाम टाॅम थंब था। क्योंकि वह बिलकुल अंगूठे के आकर का था।
एक रात टाॅम और थंब ने अपने पिता को उसकी मां को बात करते सुना, हमारे पास इन बच्चों को पेट भर खाना देने के लिए भी पैसा नही है। हमें इन्हें जंगल में छोड़ आना चाहिए। उसकी मां ने कहा, हां यह ठीक रहेगा।
मां और पिता की बात सुन उसको एक तरकीब सूझी। अगली सुबह वह जल्दी उठा और नदी के किनारे चला गया। वहां से उसने बहुत से सफेद कंकर इक्ट्ठा किया और उन्हें अपनी जब में भर लिया। कुछ देर बाद लकड़हारे का सारा परिवार जंगल की ओर चल पड़ा।
रास्ते में थोड़ी-थोड़ी दूर पर टाॅम थंब ने पत्थर गिराता जा रहा था। जंगल में जब सब बच्चें आपस में खेलने लगे तो, लकड़हारा और उसकी पत्नी बच्चों को वही छोड़कर घर वापस चले गए।
थोड़ी देर बाद बच्चों को अकेला होने का जंगल में एहसास हुआ और वे रोने लगे। टाॅम ने अपने भाईयों को कहा तुम लोग मत रो, मैं तुम्हें घर वापस ले जायूंगा।
टाॅम ने सब को कहा इस सफेद पत्थर के पीछे-पीछे चलों हम अपने घर पहुंच जायेंगे। सभी बच्चें सफेद पत्थर के पीछे आते-आते वह जंगल से बाहर निकल गए। उसके बाद वह अपने गांव तक आ गए। सभी बच्चें अपना गांव देखकर खुश हुए और वह अपना घर पहुंच गए।
जब बच्चें घर पहुंच गए तो, लकड़हारा और उसकी पत्नी बच्चों को देखकर हैरान रह गए। लकड़हारे ने पत्नी को कहा, हमें इन्हें जंगल के बीच में छोड़ना चाहिए था जहां से ये बच्चें वापस नही आ पाते।
टाॅम थम ने आज फिर उन दोंनों की बाते सुन लिया। पर अगली सुबह दरवाजा बंद होने के कारण वह नदी पर जा नही पाया। टाॅम ने सोचा क्यों में रसोई से कुछ रोटी ले लूं और इनका छोटा टुकड़ा तोड़-तोड़ कर रास्ते में गिराता चला जाउं।
अगली सुबह फिर उनदोनों ने सभी बच्चों को अपने साथ लिया और जंगल के बीचों- बीच चले गए। टाॅम रास्ते में रोटी का टुकड़ा गिराता हुआ गया। परंतु उस दिन बच्चों की किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। रोटी के टुकड़े पक्षियों ने खा लिए थे और वे शाम को अपने घर वापस नहीं जा सके।
सभी बच्चें जंगल में इधर-उधर घर जाने के लिए रास्ता ढुढ़ रहे तभी उन्हें जंगल में एक घर दिखाई दिया। उस घर से रोशनी दिखार्द दे रही थी।
सभी बच्चें उस घर की ओर चल दिए। वह घर एक आदमखोर राक्षस का था। दरवाजा खटखटाने पर राक्षस की पत्नी ने दरवाजा खोला। वह बच्चों को देख कर मुस्कुराई और उन्हें शोर मचाने के लिए मना की, क्योंकी उसकी सात बेटियां अभी सो रही थी।
उन्हें अपने साथ सात बेटियों के कमरे में सभी बच्चों को उसके पलंग के नीचे छिपा दिया। टाॅम ने अपने भाईयों के सर से टोपी मांगी और उसे उसकी बेटियों के सर में पहना दिया। उसकी बेटियों के सर पर जो सोने के जो मुकुट पहन रखी थी उसे लेकर अपने भाईयों के साथ खिड़की से निकाल भाग गया।
जब आदमखोर राक्षस घर वापस आया तो उसे इंसानी मांस की गंध महसूस हुई। उसकी पत्नी ने बताया उन्हें वह वह अपनी बेटियों के कमरे में रखा हुआ है। वह अपनी बेटियों के कमरे में गया तो देखा खिड़की खुली है। वह समझ गया कि बच्चें यहां भाग गए है।
बच्चें भागते-भागते जंगल से बाहर निकल गए। तभी उन्हें एक आदमी मिला। वह सभी बच्चों को अपने साथ घर ले गया। और उनकी सारी कहानियां सुनी। वह आदमी अपनी पत्नी के साथ रहता था। जिसकी शादी के कई वर्ष बीतने के बाद भी उसके पास कोई बच्चा नहीं था।
उसकी पत्नी ने बहुत ही स्वादिष्ट पकवान बनाए और सभी बच्चों को प्यार से खिलाया। बच्चों को उसकी पत्नी से उन्हें अपने पास ही रह जाने के लिए बोला। बच्चें भी उनके साथ रहने के लिए राजी हो गए। टाॅम ने कहा कि वह 6 मुकुट उन्हीं को देना चाहता है। पर एक सोने के मुकुट वह अपने चाचा, चाची को देना चाहता है। जिन्होंने अब तक उनका ध्यान रखा था। टाॅम की बात सुन कर पती-पत्नी बहुत खुश हुए। और उनका घर पता कर उनतक एक मुकुट पहुंचा दी।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि संसार में अगर बुरे लोग है तो अच्छे भी इंशान भी हैं। जो हमें सही वक्त पर मिल जाते है। आपको कहानी कैसी लगी कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बतायें।
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