दो दोस्त और भालू की कहानी | Do Dost Aur Bhalu ki Kahani

Do Dost Aur Bhalu ki Kahani | दो दोस्त और भालू की कहानी – दो दोस्त थे, उनका नाम राज और राजू था। वो हमेशा एक साथ मिलजुलकर रहते थे। उन दोनों का घर भी एक मोहल्ले में था।
एक दिन जब वो दोनों स्कूल में थे तो उन्होंने अपने क्लास के एक बच्चें से दूसरे गांव में मेला लगा हैं, कहते सुना। वो बच्चा अपने माता पिता के साथ मेला घुमकर आया था।

वह उस मेले की विशेषता और वहां के स्वादिष्ट पकवान की भी बातें कर रहा था। अब क्या था राजू और राज को भी वह गांव जाकर उस मेले में घुमने का मन होने लगा।

घर पहुंचते ही उनदोनों ने अपनी मां से मेले घुमने चलने की जिद्द करने लगें। उनकी मां ने उन्हें समझाया कि वह मेला गांव से दूर है वहां जाने के लिए उन्हें जंगल का रास्ता लेना होगा। इसलिए जब पिताजी काम से लौटकर आ जाए तो उनके साथ मेला चले जाना।

राजू और राज जब घर से बाहर आए तो उन्होंने सोचा क्यों ना अकेले ही उस मेले को देखकर आ जाए। जब पिताजी काम से लौट कर आएगें तो हम दुबारा उनके साथ मेला देखने चले जाएगें।

दोनों बिना किसी को बताए घर से जंगल की ओर चल पड़े। यह कई जंगली जानवरों के साथ एक खतरनाक जंगल था।

जंगल में शेर, भालू, सांप और यहां तक किजहरीली मकड़ियां भी थीं। जैसे ही दोनों दोस्त जंगल में दाखिल हुए, वे इस डर से डरे हुए थे कि आगे क्या होगा। राजू ने कहा- मैं इतना भयभीत हूँ। काश हमें इस जंगल से न गुजरना पड़े। मैं तुम्हारी बातों से सहमत हुँ। लेकिन हमारे पास कोई चारा नहीं है।

दूसरे गाँव में जाने के लिए हमें जंगल पार करना होगा। क्या होगा अगर हम मुसीबत में पड़ गए?
आओ हम वादा करें कि अगर हम में से कोई एक मुसीबत में पड़ गया, तो दूसरा नहीं भागेगा। वह वही रहेगा और संकट में पड़े व्यक्ति की सहायता करेगा।
हाँ, मैं तुमसे वादा करता हूँ, मेरे दोस्त, अगर तुम मुसीबत में हो तो मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ूँगा। और मैं तुमसे वही वादा करता हूँ, मेरे दोस्त।

राजू ने कहा- अब कम डर लग रहा है। मुझे लगता है कि अब मैं आसानी से जंगल पार कर सकता हूं। मैं खुश हूं। चलो चलते हैं कुछ देर जंगल में घूमने के बाद दोनों दोस्तों ने अपने आगे की झाड़ियों से सरसराहट की आवाज सुनी। वे अपने ट्रैक में रुक गए। राज ने राजू से कहा- क्या सोचते हैं की यह क्या हो सकता है?

राजू ने कहा- यह एक जंगली भालू है और इसने हमें अभी तक नहीं देखा है, इसलिए भागो, तभी राज एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया और उसकी एक डाल पर बैठ गया। लेकिन उसके दोस्त राज को पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था।
राजू ने कहा राज पेड़ पर चढ़ जा।
राजू मेरा दोस्त! मुझे नहीं पता कि पेड़ पर कैसे चढ़ना है। मुझे इस पर चढ़ने में मदद करो! लेकिन पेड़ पर बैठे राजू ने उसकी मदद नहीं की।

उसने सिर हिलाया और पेड़ को कसकर पकड़ लिया। जमीन पर खड़े राज ने भालू को अपने पास आते देख कर वह जमींन पर फौरन लेट गया।
उसने सुना था कि भालू मरी हुई चीजों पर हमला नहीं करते हैं, इसलिए उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, अपनी सांसें रोक लीं और बहुत शांत पड़ा रहा। भालू उसके करीब आ गया। यह उसके सिर के पास आया और सूंघा और उसके कान को सूंघ कर देखा कि क्या लड़का सांस ले रहा है या नहीं? लेकिन राज ने अपनी सांस रोक रखी थी।

भालू ने लड़के को छोड़ दिया और यह सोचकर आगे बढ़ गया कि वह मर चुका है। भालू के जाने के बाद राजू पेड़ से उतर कर नीचे आया। और राज से पूछा क्या तुम ठीक हो?

राज ने भी उसे कहा- हाँ मैं ठीक हूं।
राजू ने कहा- मैंने देखा कि भालू तुम्हारे कान के पास आया और कुछ फुसफुसा रहा था। मुझें बताओगें वह तुम्हें क्या बोला?
राज ने कहा- मुझे झूठे दोस्त से सावधान रहने और ऐसी संगत न रखने के लिए कहा।
यह बोलकर राज आपने घर के रास्ते की ओर चल पड़ा राजू भी राज के पीछे-पीछे घर की तरफ लौट गया। राज से मांफी मांगते हुए।

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