Motivational Story in Hindi for Success | बुद्धि का चमत्कार | Hindi Kahani

Motivational Story in Hindi for Success: एक समय की बात है, काशीपुर के जंगल में एक खुनी शेर रहता है। वह जंगल से आते-जाते लोगों को मार कर खा जाता था।

काशीपुर और जंगल के आस-पास के गांव में यह बात जैसे-जैसे पता चलता गया कि इस जंगल में नरभक्षी शेर रहता हैं, उन्होंने जंगल से आना-जाना बंद कर दिया।

अब शेर को मनुष्य का मांस खाने को ना मिलता, तो वह जंगल के जानवरों को मार कर खाना शुरू कर देता है।
जंगल के जानवरों को अब हर वक्त शेर का डर सताने लगता है कि मानों कब शेर का शिकार बन जाए। जंगल के सभी जानवर इस खैफ में हमेशा रहने लगे।

शेर के इस अत्याचारों से तंग आकर जंगल के जानवरों ने मिलकर अपनी एक सभा बुलाई। जिसे सभा में हाथी से लेकर खरगोश तक छोटे-बड़े सभी जानवरों ने भाग लिया। सभा का प्रधान एक हाथी को बनाया गया।

जब सभी जानवरों ने अपनी-अपनी जगह पर बैठ गए तो हाथी ने बोला देखो भाइयों! इस समय हम सब का जीवन खतरे में है। न जाने कौन से पल वह खूनी शेर आकर हमारे जीवन को मौत में बदल डाले। ऐसे समय में हम सबको सोचना होगा कि निर्भय होकर जीने के लिए हम क्या करें?

हाथी की बात का जवाब किसी भी जानवर के पास नही था। शेर के खिलाफ बोलें तो क्या बोले? सभी चुप-चाप हाथी की बातों को सुन रहे थे।

तभी एक मोर भीड़ से उठा और हाथी के पास जाकर खड़ा हो बोेला मेरे पास एक सुझाव है, जिसमें हमें अपने-अपने मरने का दिन ज्ञात हो सकता है। यदि मेरी बात मानों तो हम मृत्यु के दिन तक निर्भय होकर जी सकते है।

यह बात सुनते ही, सभी जानवर एक साथ बोल पड़े वह कैसे?

मोर ने बोला, हम में से पांच लोग इकट्ठे होकर जंगल के राजा के पास जाएंगे। हम शेर से यही प्रार्थना करेगें कि आप अपनी गुफा में ही आराम से बैठे रहा करें, आपके भोजन के लिए हममें से एक जानवर हर रोज आपके पास आ जाया करेगा, इस प्रकार आपको भोजन मिलता रहेगा और हमें भी अपनी मौत का दिन याद रहेगा, इस से दोनों पक्ष चैन से रहेंगे। न हमें मृत्यु का भय सतायेगा और न वनराज को भूख।

सभी जानवर मोर की इस बात को मानने के लिए तैयार हो गए और तभी पांच सदस्यों का दल मोर और हाथी की रहनुमाई में शेर के पास पहुंचा, शेर ने इस शर्त को खुशी से स्वीकार कर लिया।

दूसरे ही दिन पंचायत ने मिलकर अपने साथियों की मौत के दिन बांट दिए थे। अब हर रोज एक जानवर शेर की गुफा की ओर चल पड़ता और बाकी जानवर अपनी मृत्यु के इन्तजार में दिन गिनते रहते।

एक दिन एक खरगोश की बारी आई। सभी जावनरों को यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि खरगोश जरा भी चिंतित नहीं था। ना ही उसके चेहरे पर उदासी नजर आ रही थी। वह हंसता हुआ खुशी-खुशी अपने मित्रों और परिजनों से विदा लेकर जा रहा था।
उस खरगोश की पत्नी और दो बच्चे भले ही उसे जाते देखकर रो रहे थे, मगर वह खरगोश जरा भी विचलित नहीं था।

खरगोश बहुत ही बुद्धिमान और चालाक था, वह अपने मन में शेर से बचने के लिए तरह-तरह के विचार सोच रहा था। तभी रास्ते में उसने एक पुराना कुंआ देखा, उसने उस कुएं के अंदर झांककर देखा कि इसमें पानी भरा भी है कि नहीं। उसने नीचे झांककर देखा तो कुआं में पानी के अंदर एक खरगोश भी नजर आया, जो उसकी अपनी ही छाया थी।

खरगोश उसे देखकर हंस दिया, फिर वही कुएं के पास बैठ कर कुछ सोचता रहा था। उसके बाद वह शेर के पास जाने लगा। शेर के पास पहुंचते उसे काफी देर हो गई। शेर जो पहले से भूखा बैठा था।

शेर की नजर जैसे ही खरगोश पर पड़ी वह जोर से दहाड़ते हुए बोला-‘‘अरे वो खरगोश के बच्चे! एक तो तू पहले ही छोटा है, तुझे खाने से मेरा पेट भी नही भरेगा, दूसरे तू इतनी देर से आया है कि मैं भूख से मरा जा रहा हूं, बोल देर से क्यों आया?

खरगोश डरते-डरते शेर को बोला- ‘‘महाराज मैं आपको क्या बताऊं, मुझें रास्ते में एक दूसरे शेर ने घेर लिया था।‘‘
‘‘क्या बक रहा है तू, इस जंगल में मेरे सिवा कोई और शेर है ही नहीं।‘‘

‘‘ खरगोश ने फिर बोला- महाराज में सच बोल रहा हूं। एक शेर और है, उसने मुझे घेर लिया तो मैंने उससे कहा कि मुझे जाने दो, मैं अपने राजा का आहार हूं तो वह आप को अपशब्द कहने लगा।‘‘

‘‘क्या? अपशब्द? उसकी इतनी हिम्मत? हम उसे मार डालेगें। उसे किसने अधिकार दिया हमारे जंगल की सीमा में आने का? हम उसका खून पी जाएगें। चलों हमें बताओ कि वह कहां है, आज में तुम्हें ना खा कर उसी की मांस से अपना भूख मिटाएंगे।
‘‘ठीक है महाराज! चलिए‘‘

खरगोश शेर को लेकर उस कुएं के पास चला आता है। शेर नजरे घुमाकर इघर-उघर देखता है। उसे कोई शेर नजर नही आता।
खरगोश शेर से बोलता है महाराज शायद वह शेर मुझें आपके साथ आता देख आपसे डर के मारे इस कुएं में छिप गया है। मैं देखता हूं। खरगोश लपककर कुएं में झाकता है और जोर से चिल्लाता है। ‘देखो महाराज मैं सच बोल रहा था, इसी कुएं में शेर छूप गया है।

शेर ने जब कुएं में देखा तो उसे भी कुएं मैं शेर नजर आता है। शेर जोर से दहाड़ता है कुएं के अंदर अपनी ही परछाई देख कर। फिर कुएं के अंदर से उसी की आवाज बाहर आती सुनाई देती है, तो शेर क्रोध से भर जाता है। उसने ना आव देखा ना ताव कुएं में छलांग लगा दी।

शेर पत्थरों से टकराता हुआ पानी में जा गिरता है, गिरते ही कुएं के अंदर वह मर जाता है। खरगोश यह देख कर खुशी से नाचने लगता है।

खरगोश अपनी बुद्धि से अपना और जंगल के बाकी जानवरों की जान उस शेर से बचा लेता है।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है जिवन में कभी भी कोइ परेशानी आए तो उससे हमेशा लड़ना और अपनी बुद्धि का सही उपयोग करना चाहिए क्योकि बुद्धि सबसे बड़ा हथियार है।

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