Best Hindi Story | किसी को धोखा देकर आप लाभान्वित नहीं हो सकते

Best Hindi Story: गोनू ओझा गरीब जरूर था लेकिन उसे दोनों समय भर-पेट चावल-मछली खाने को मिलता था. गोनू ओझा रोज रात को सोने से पहले लेटता तो सोचता कि उसको अच्छा खाये एक अरसा बीत गया है. उसे बढ़िया पके हुए मुर्गे और पलाव की याद आती तो उसके मुंह में पानी भर जाता था.
एक तरफ गोनू ओझा जहां गरीब था तो उनके तुलना में उसके ससुर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी थी. वह अपनी पत्नी से कहता था कि तुम अपने पिता के यहां से कुछ अच्छे व्यंजन ले आयो तो उसकी पत्नी खीज कर बोलती कि इस मछली-चावल में क्या बुराई है. आखिर यह है तो यह तुम्हारी मेहनत का हैं . पराये मालपुओं से अपनी मेहनत की सुखी रोटी भली.
मगर समझने का कहां असर पड़ने वाला था. उनका मन तो अच्छे पकवानों में अंटका था. आखिर में जोनू ओझा को एक युक्ति सूझी ही गई. उसके ससुर हाजियों का काफी आदर सत्कार करते थें. इस लिए गोनू ओझा ने उनके यहां हाजी बनकर जाने की ठानी. सफ़ेद कपड़े पहने, टोपी लगाई, सफ़ेद दाढ़ी भी चिपका ली.
उनको जैसा अनुमान था ठीक वैसा ही हुआ. गोनू ओझा को बढ़िया भोजन मिला. अच्छे किस्म का चावल, पनीर, मुर्गा और भी नाना प्रकार के व्यंजन. इसके बाद गोनू ओझा ने छक कर खाया. इसके बाद पेट भर जाने के बाद अपने ससुर को धन्यबाद देते हुए बताया कि मैं कोई हाजी-बाजी नहीं मैं तो आपका दामाद गोनू ओझा हूं. इस तरह से धोखा दिए जाने पर ससुर को बहुत गुस्सा आया लेकिन वे उस समय कुछ नहीं बोलें.
कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा मगर फिर से गोनू ओझा को अच्छे पकवान खाने की हुंक उठी. फिर क्या था वो दुबारा से हाजी बनकर ससुराल पहुंच गए. बहुत कोशिश किया मगर उनके ससुर आखिर पहचान गए कि हाजी आखिर कौन है.
खूब स्वागत हुआ. इस बार उनके लिए बकरी काटी गई. भरपेट खाकर ख़ुशी-ख़ुशी गोनू ओझा घर लौटे तो देखा कि घर के बाड़े में बंधी बकरी गायब है. जब उन्होंने पत्नी से पूछा तो पता चला कि वो जिस बकरी को चटखारे लेकर खाकर लौटे हैं. यह उनकी ही एकमात्र बकरी थी. उनके ससुर जी ने नौकर भेजकर मंगा ली थी. असल में उन्होंने ऐसा गोनू ओझा को सबक सीखने के लिए किया था वरना उनके पास भेड़-बकरियों की कोई कमी नहीं थी. इसके बाद गोनू ओझा बहुत ही पछताया कि आगे से ऐसा कभी नहीं करूंगा.
दोस्तों इस कहानी से क्या सीख मिलता है. जी हां, इससे यह सीख मिलता है कि आप किसी को धोखा देकर हमेशा लाभान्वित नहीं हो सकते हैं. हमें हमेशा कोशिश करना चाहिए कि लोगों का विश्वास जीत सकें. क्योंकि धोखा देने से आपकी आदत बन जाती है. इससे शायद कुछ पल के लिए तो शायद आप लाभ उठा लेते हैं, मगर कुछ ही समय में लोग आपको पहचान जाते हैं. जिसके बाद आप अकेला हो जाते हैं.

भेड़िया आया भेड़िया आया | Best Hindi Story

एक गड़ेड़िया का बेटा था। उसका नाम रामू था। गड़ेड़िया काफी बिमार रहने लगा था। बिमारी के कारण वह जानवरों को चाड़ा दिलवाने पहाड़ों पर नहीं ले जा पा रहा था। एक दिन रामू ने अपने पिताजी को बोला आप घर पर रह कर आराम करों में जानवरों को इक्ठा कर उसे चाड़ाने ले जाया करूंगा।

गड़ेड़िया भी मन ही मन यहीं चाहता था। पर वह रामू को बोल नहीं पा रहा था। रामू सुबह-सुबह उठकर सारे गांव वालोें के बकरी, बछरे, भेड़ को लेकर पहाड़ों पर जाता और शाम तक उनको चराता और अंधेरा होने से पहले गांव वालों को उनके जानवर वापस कर देता।

इसके बदले गांव वाले रामू और उसके परिवार को अनाज और सब्जियां, थोड़े पैसे दे दिया करते थे। जिससे रामू के परिवार का गुजारा होता था।

रामू को एक दिन मस्ति सूझी उसने जोर-जोर से अचानक पहाड़ों पर से चिल्लाना शुरू कर दिया। भेड़िया आया, भेड़िया आया सारे गांव वाले रामू की आवाज सुन अपने खेतों और घरों का काम छोड़कर पहाड़ी की ओर भागे-भागे गए।

जब गांव के लोग पहाड़ी पर गए तो, रामू हंसने लगा और बोला, मैं तो यूहीं मस्ति कर रहा था। गांव वालों ने रामू को कुछ नहीं बोला और चुप-चाप पहाड़ी से वापस आ गए।

रामू कुछ दिनों के बाद फिर एक दिन चिल्लायां भेड़िया आया, भेड़िया आया। गांव वालों ने फिर रामू की आवाज सुन कर पहाड़ी के तरफ भागे-भागे गए। रामू जोर-जोर से हंसने लगा। इस बार गांव वालों को गुस्सां आया, रामू की हरकत पर सब ने रामू को डांट और फटकार भी लगाई।

शाम को रामू सभी जानवरों को गांव वालों को वापस कर जब घर गया तो रामू बहुत उदास था। रामू का यू उदास चेहरा देखकर रामू के पिता ने उसकी उदासी की वजह पूछी तो रामू ने सारी बातें बता दी उसके बाद रामू के पिता ने रामू को समझाया। ऐसा नहीं करना चाहिए। ऐसा करोगें तो तुम लोगों का विश्वास खो दोगें।

रामू भी पूरी रात यहीं सोचता रहा कि अब वो ऐसी मस्ति कभी नहीं करेगा। अगले दिन रामू सभी जानवरों को इक्ठा कर फिर पहाड़ी पर गया। जैसे हि दोपहर का टाईम हुआ। पहाड़ों पर से बचाओ-बचाओं भेड़िया आया, भेड़िया आया की आवाज आने लगी।

आज गांव वाले हंस रहे थे, और आपस मैं बाते कर रहे थे यह नहीं सुधरेगा, फिर चिल्ला रहा हैं। रामू की आवाज धीरे-धीरे और तेज होने लगीं।
भेड़िया आया, भेड़िया आया कुछ गांव वाले आवाज सुन कर पहाड़ी पर खुद को जाने से नहीं रोक पाए।

गंवा वाले आज डंडा- लाठी लेकर पहाड़ी पर गए थे। अगर आज भेड़िया नहीं होगा तो इसी लठ से रामू की पिटाई करेगें। जब वह पहाड़ी पर जाते हैं तो देखते हैं सचमुच भेड़ियों का एक झुंड आया हुआ हैं।

रामू अकेले ही उनसे लड़कर जानवरों को बचाने की पूरी कोर्शिश का रहा हैं। गांव वालों को आता देख कर भेड़ियां वहां से भाग गया। रामू और कुछ जानवरों को भेड़ियां ने नोज लिया मगर किसी की जान नहीं गई।

रामू को अपनी झुठ का बहुत पचतावा हुआ। रामू के झुठ के कारण गांव वाले उसकी मदद को देर से पहुंचे थे। गांव वालों को रामू पर जो गुस्सा था वह खत्म हो गया। क्यों आज रामू बहादूरी के कारण जानवरों की जान बच गई।

इस कहानि से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि कभी झुठ नहीं बोलना चाहिए। किसी का विश्वास खोना आसान हैं, पर पाना मुस्किल बहुत ही मुस्कील होता है।

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