छोटे बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ | Hindi story for kids with moral

आज आप हमारे इस पोस्ट के माध्यम से छोटे बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ (hindi story for kids with moral) पढ़ेंगे। जिसको आप बच्चों को सुनाये ताकि उनका मनोरंजन के साथ ही उन्हें कुछ सीख भी मिल सकें।

छोटे बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ | Hindi story for kids with moral

आज हम अपने इस पोस्ट में देश के आजादी के संघर्ष की कहानी पढ़ेंगे। जिसमें हम फ्रीडम फाइटर श्री चंद्रशेखर आजाद की कहानी जानेंगे। जिससे आपको कुछ सिखने के साथ ही प्रेरणा मिलेगी।

आजादी की राह पर | Childhood story in hindi

बात उस समय की है जब भारत में अंग्रेजों का राज्य था। जागरूक भारतीय भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे थे। अंग्रेज़ों से देश को स्वतंत्र कराना चाह रहे थे।

ऐसे लोगों को अंग्रेज़ सरकार दमन की चक्की में पीस देने को उतारू थी। अंगे्रज़ों के गुर्गे स्वतंत्रता की माँग करने वालों पर डंडे बरसाते थे। उन पर गोली चला देते थे और फिर कारागार में बंद कर देते थे।

जे कोई भी भारतमाता की जयघोष करता था, उनको अपराधी माना जाता था और उसे दंड दिया जाता था। आजा़दी की राह पर चलने वालों में से एक साहसी और देश की बलिवेदी पर न्योछावर हो जाने वाला एक बालक भी था। उसका नाम था चंद्रशेखर आजाद।
उन दिनों आजाद की आयु केवल चैदह बरस की थी। चंद्रशेखर ’’भारतमाता की जय‘‘ का नारा लगा रहा था कि पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया। बालक को जज के सामने प्रस्तुत किया गया। पुलिस ने कहा-’’यह भारतमाता की जय‘ बोलता हुआ लोगों को भड़का रहा था। यह बहुत शैतान है और जितना छोटा है उतना ही खोटा भी है।‘‘

बालक की उम्र और पुलिस की शिकायत पर जज हैरान। बालक को सिर से पैर तक देखकर उसने पूछा-’’पुलिस वाले जो कुछ कह रहे हैं, क्या वो सच हैं?‘‘
’’यह सच है कि मैं भारतमाता की जय बोल रहा था। मैं नहीं समझता कि मैं किसी को भड़का रहा था।‘‘ चंद्रशेखर आजाद ने उत्तर दिया। जज साहब ने पूछा-’’तुम्हारा नाम क्या हैं?‘‘ ’’मेरा नाम आजाद है।‘‘ चंद्रशेखर ने कहा। जज ने फिर कहा- ’’अपने पिता का नाम बताओ।‘‘ ’’भारत।‘‘ चंद्रशेखर ने उत्तर दिया। जज ने फिर प्रश्न किया- ’’क्या काम करते हो?‘‘
’’आजादी का दीवाना हूँ, इसलिए आजा़दी की राह पर चलता हूँ।‘‘ चंद्रशेखर ने कहा।

जज ने पूछा-’’तुम उम्र में बहुत छोटे हो। नादानी छोड़ों और क्षमा माँग लो। तुम्हें रिहा कर दिया जाएगा।‘‘
’’वाह! उलटा चोर कोतवाल को डाँटे! क्षमा क्यों माँगू? क्षमा वे लोग माँगें जिन अंगे्रज़ों ने हमारे देश पर अधिकार जमा रखा है।‘‘
जज बौखला गया। उसने कड़ी आवाज में कहा-‘‘इस बालक को दस कोड़े लगाए जाएँ।’’ चंद्रशेखर ने नारे लगाना फिर से शुरू किया-‘‘भारतमाता की जय’’।

बालक को पहला कोड़ा लगा और वह और जोर-जोर से नारे लगाने लगा। ‘‘भारतमाता की जय’’। उसी तरह उसे दस कोड़े लगे औैर उसकी आवाज यूहीं तेज रहीं उसके बाद जब चंद्रशेखर आजाद कोर्ट से बाहर निकले तो हजारों भीड़ उसके स्वागत मैं खड़ी थी। उसके बाद सब ने मिलकर ‘‘भारतमाता की जय’’ के नारे लगाए।

शेर और चूहे की कहानी (Best Hindi Story)

गर्मी के दिन थे. दोपहर में एक शेर पेड़ की छाया में सो रहा था. उसी पेड़ के पास बिल में के चूहा रहता था. वह खेलने के लिए बिल से निकला और सोए हुए शेर के इधर-उधर दौड़ने लगा. चूहे के इस धमाचौड़ी से शेर की नींद खुल गई. वह गुस्सा करते हुए चूहे को अपने पंजे में दबोच लिया.

बेचारा चूहा भय से कांपने लगा. उनसे चूं-चूं करते हुए शेर से कहा, “हे जंगल के राजा, कृपया मुझे माफ़ कर दीजिये. मुझ पर दया कीजिए. मुझे छोड़ दीजिये. इस अहसान का बदला एक दिन मैं जरूर चूका दूंगा.”

उस नन्हे चूहे के ये शब्द सुनकर शेर जोर से हंस पड़ा. उसने हंसते हुए कहा, “बड़ी मजेदार सूझबूझ है तुम्हारी नन्हे चूहे. इतना सा तो है तुम और मुझ जैसा ताकतवर जंगल के राजा की तू क्या मदद करेगा?” फिर भी शेर को चूहे पर दया आ गई. उसने बिना नुकसान पहुंचाए उस चूहे को छोड़ दिया.

कुछ दिन बीत गए. एक दिन चूहे ने शेर की दर्द भरी दहाड़ सुनी. शेर की आवाज सुनते ही वह फ़ौरन बिल से बाहर निकल आया. उसने देखा कि सचमुच शेर संकट में फंस गया है. शेर शिकारी के द्वारा बिछाये जाल में फंस चूका था. उसने जाल से निकलने की भरसक कोशिश की, पर उसकी सारी कोशिशे बेकार हो गई. तभी चूहा दौड़ता हुआ शेर के पास आया.

उसने जंगल के राजा शेर से कहा, “महाराज आप परेशान न हों, मैं अपने तेज दांतों से इस जाल को काट कर अभी आपको आजाद कर देता हूं.” इसके साथ ही चूहे ने फ़ौरन ही जाल को काट दिया. थोड़े ही समय में शेर जाल से आजाद हो गया. शेर ने चूहा को धन्यबाद दिया और अपने गुफा की ओर चल दिया.

हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अपने से छोटे को अपने से काम नहीं आंकना चाहिए. कभी-कभी छोटे समझे जाने वाले कम ताकत के लोग या जीव कुछ ऐसा काम कर जातें हैं जो कि शायद आप या हम से न हो पाए.

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