अकबर और बीरबल की कहानी | Akbar Birbal Ki Kahani in Hindi Short Story

अकबर और बीरबल की कहानी (Akbar Birbal Ki Kahani) काफी प्रेरणादायक होती है। अकबर और बीरबल से जुड़ी सैंकड़ों कहानियाँ है। जिसके बारे में यह तो कह नहीं सकते कि कितनी सच्ची कहानी है। मगर हाँ, इसने बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इसके साथ ही भरपूर मनोरंजन भी होता है। जिससे वजह से लोग आज भी चाव लेकर इसको पढ़ते और एक दूसरे को सुनाते हैं।

अंधविश्वास अकबर और बीरबल की कहानी | Akbar Birbal Ki Kahani

सुबह का समय था। बादशाह अकबर बिस्तर पर लेटे-लेटे पानी मांग जा रहे थे। आस-पास उनका कोई सेवक मौजूद नहीं था। महल में कचड़ा साफ करने वाले एक मामूली से नौकर को अकबर बादशाह की आवाज सुनई दे रही थी।

वह पानी मांग रहे है। उससे रहा नहीं गया। वह बादशाह अकबर के लिए खुद ही पानी का गलास ले कर उनके पास पहुंच गया। बदशाह अकबर को इतनी प्यास लगी हुई थी की वह सफाई वाले के हाथों से पानी का गलास लेने से खुद को नहीं रोक पाए और पानी पी ली। तभी वहां बादशाह अकबर के खास सेवक आ गए। और उस नौकर को वहां से डांट कर भगा दिया।

दोपहर हुई तो बादशाह अकबर का पेट खराब हो गया। बादशाह को बहोत कमजोरी भी महसूस हो रही थी। तभी हकीम को बुलवाया गया। फिर भी महाराज अकबर की हालत में सुधार नहीं आई। फिर राज वेद जी आए और उनके साथ ज्योतषी भी आए।

उन्होंने कहा महाराज शायद आप पर किसी मनहुस व्यक्ति का साया पड़ा है। इसलिए ही आपकी तबियत खराब हुई है। और कोई भी दवाई आप पर असर नहीं कर रही है।

बादशाह अकबर को तुरंत उस कचड़ा साफ करने वाले नौकर का ख्याल आता है। और उन्होंने सोचा उसी मनहुस के हाथों से पानी पी थी तभी मेरी तबियत खराब हुई हैै।

बादशाह अकबर ने गुस्से में उसे सजाए मौत सुना दी। जब बीरबल को इस बारे में पता चला तो वह पहले उस नौकर के पास मिलने गए और उसे यह सहानुभूति दी की वह उसे वहां से बचा लेगें।

बीरबल उसके बाद बादशाह अकबर से मिलने उनके पास गए। और उनका हाल पूछा तब महाराज अकबर ने बताया की हमारे राज्य के सबसे मनहुस आदमी ने मुझे बिमार कर दिया।

बीरबल महाराज की बात सुन कर हंस पड़े। बीरबल को हंसता देख बादशाह अकबर बीरबल पर नाराज होते हुए बोले तुम मेरे इस हालत पड़ मजा ले रहे हो।

बीरबल ने कहा नहीं-नहीं महराज पर मैं आप से एक बार पूछना चाहता हूं। अगर में आपको उस नौकर से ज्यादा बड़ा मनहुस आपको इस राज्य में ढुढ़कर ले दू तो आप क्या करेगें।

क्या आप उस नोकर को सजाए मौत से मुक्त कर देगें। अकबर ने तुरंत बीरबल की बात मान ली। अब महाराज अकबर बीरबल से पूछते हैं उस नौकर से बड़ा मनहुस कौन है।

अब बीरबल बोले उस नौकर से बड़े मनहुस तो आप खूद है। उसके हाथ से पानी पीकर तो आपकी सीर्फ तबियत खराब हुई है। उस नौकर ने सुबह-सुबह आपकी प्यास बुझाने के चक्कर मै उसने आपकी शक्ल देखी। उसने आपकी मदद करने की कोशीस की पर उसने आपको पानी पीलाया तो उसे सजाए मौत मिली है।

इसलिए उस नौकर से बड़े मनहुस तो आप हुए। पर आप अपने आपको सजा मत दिजिएगा। हमलोग आप से बहुत प्यार करते है।  बीरबल की यह चतुराई वाली बातें सुन कर अकबर हंस पड़े।

उन्होंने उसी समय उस गरीब नौकर को सजाए मौत से रीहा कर अपने पास बुलबाया और उसे बहुत सारा ईनाम भी दिया। और उस ज्योतिषी को पन्द्रह दिनों तक घोडे़ के तबेले में सफाई और वही रहने की सजा अकबर बादशाह ने सुना दी।

बीरबल की चतुराई बैल का दूध | Akbar Birbal Story In Hindi

एक दिन की बात है। बादशाह अकबर अपने दरबार में बीरबल की समझदारी, चालाकी और उनकी होशियारी पर उन्हें साबासी दे रहे थे। तो दरबार में बैठे मंत्री और सभा पति सब महराज की बातों से सहमत थे। महाराज बीरबल को यहां तक कह रहे थे की इस राज्य में सबसे होशियार बीरबल है।

छरबार में बैठे सुखदेव सिंह महराज की हां में हां नहीं मिला रहा था। वह चुपचाप दरबार में बैठा था। महराज ने सुखदेव सींह का नाम लेकर उनसे पूछा की क्या वह गलत कह रहे है। जो वह खामौश बैठे है। वह कुछ बोल क्यूं नहीं रहे।

सुखदेव सींह ने महाराज को जवाब देते हुए बोला हुजूर आप कह रहे है। तो वह बेशक हो सकते है। पर मैं इस बारे में उन्हें नहीं जानता। अकबर ने नाराज होकर कहां क्या मतलब हैं कि आप नहीं जानते क्या आपने राज्य में उनके होशियारी के कारनामें नहीं सुनें।

सुखदेव सींह ने कहा महाराज माफी चाहती हूं पर मैं दूसरों की सुनी और कहीं बातों पर यकिन नहीं करता जब तक अपनी आंखों से देख और अपनी कानों से सुन ना लिया करू।

महाराज अकबर ने सुखदेव सींह को बोलते हैं। खैर मैंने बीरबल की होशियारी की कई बार परीक्षा ली हैं इसबार आपको यकीन दिलाने के लिए आप उनके सामने कोई भी चुनौती रख दें। हमें यकीन हैं वह जरूर कामयाब होगें।

बादशाह अकबर ने पूछा क्या सुखदेव सींह जी आपने बीरबल के लीए कोई चुनौती सोची है आपने, सुखदेव सींह बोलता है। हुजूर मैंने एक चुनौती सोची है।

अगर बीरबल मैरे लिए बैल का दूध ला दे तो मैं उन्हें मान लूंगा की वह सबसे हौशियार और चालाक है। बादशाह बोलते हैं क्या कहां बैल का दूध, लेकिन ऐ कैसे हो सकता हैं। सुखदेव ने बोला हुजूर आप ने ही तो कहां बीरबल के लिए कुछ भी नामुमकिंन नहीं है। और बैल का दूध लाना कोई बड़ी चुनौती नहीं है।

बादशाह अकबर बोलते हैं सच तो यह है। हम भी बीरबल को हय गुथी सुलझाते देखना चाहते है। क्या खयाल हैं बीरबल? बीरबल ने बोला अगर आप यही चाहते हैं हुजूर तो आपकी इच्छा तो पूरी करनी ही होगी।

बादशाह अकबर ने पूछा बीरबल कितना वक्त चाहिए आपको, बीरबल ने बोला र्सीफ एक दिन हुजूर कल यह चुनौती मैं सुलझा दूंगा। दरबार में बैठे सभी लोग महाराज, और बीरबल, सुखदेव की बातें सुन कर दंग हो रहे थे।

बादशाह अकबर ने बीरबल से कहां कल एक दिन में हो तो जाएगा ना। बीरबल ने कहाजी हुजूर अकबर ने कहा ठिक है। कल दरबार में हमें बेशबरी से इंजतार रहेगा।

उसी रात जब महाराज अकबर सोने जा रहे थे तो महल के बाहर बहुत शोर हो रही थी। थोड़ी देर महाराज उस शोर को बर्दास्त करते रहे उसके बाद उन्होंने एक सीपाही को भेजकर महाराज ने शोर बंद करने का आदेश दिया। सीपाही ने देखा एक बच्ची लकड़ी काट रही थी बहुत शोर हो रहा था। सीपाही ने उस बच्ची को समझाया की महाराज सोने जा रहे है पर तुम्हारी इस आवाज के कारन बादशाह अकबर सो नहीं पा रहे तुम इसे बंद कर दो।

थोड़ी देर आवाज बंद रहीं फिर से शोर होने लगा। अकबर गुस्से में सीपाही की भेजकर बाहर शोर मचाने वाले को पकड़कर लाने का आदेश दिया।

सीपाही उसे पकड़ कर महल मैं ले आए, सीपाही ने अकबर को बोला वह एक छोटी बच्ची है। अकबर ने उस बच्ची को शोर मचाने की एक सही वजह पूछा नही ंतो उसे सजा मिलेगी।

बच्ची ने बोला मेरी मां माइके गई है। और मेरे पिताजी ने एक बच्चे को जन्मदिया है। उसके कपड़े धोने के लिए मुझे एक मजबूत लकड़ी की जरूरत थी।

अकबर ने बोला तुम क्या बोल रही हो मां माईके गई है। और पिताजी ने बच्चें को जन्म दिया है। ये कैसे हो सकता हैं? बच्ची ने बोला आपके राज्य में कुछ भी हो सकता है। महाराज जब बैल दूध दे सकता हैं तो कुछ भी हो सकता है।

महाराज को समझ में आ गयी उस बच्ची की बात। महाराज अकबर ने उस बच्ची को सीपाही द्वारा उसके घर पहुंचाने का आदेश दिया।
और उसे पहले बाबर्ची खाने से कुछ मिठाईया और उपहार में उन्होंने बच्ची को अपने गले से एक मोतीयां का माला भेट किया बच्ची बहुत खुश हुई।ं

सुबह दरबार लगी तो सुखदेव दरबार मै लेट पहुंचा और लेट पहुंचने की क्षमा मांगी कल रात वह सो नही पाया कीसी आवाज के कारन महाराज अकबर ने कहा वह बैल का दूध देने की आवाज थी।

आप चाहे तो इस राज्य में रोज बैल दूध देगा, पर वह आंधी रात से सुबह तक, सुखदेव को सब दरबार में देखकर हंसने लगें सुखदेव ने अपनी गलती की क्षमां मांगी बीरबल से।

और वह सचमुच सबसे ज्ञानी और होशियार है। सुखदेव ने मान लिया। महाराज ने सुखदेव को कहां बीरबील को मैं यूंही राज्य का सबसे हौशियार व्यक्ति नहीं मांनता सब अपनी गलती की क्षमा खूद ही मांग लेते हैं बीरबल को बीना कुछ बोले।

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