Short Inspirational Story for Child in Hindi | वाणी का अर्थ

Short Inspirational Story for Child in Hindi: वाणी का अर्थ – एक गांव में एक धोबी रहता था। उसके पास एक शक्तिशाली गधा था। धोबी बहुत ही सीधा-साधा था। हर दिन धोबी के पास गांव के लोग आया जाया करते थे।

उसके गांव में जब भी किसी को बाजार से सामन लाने की जरूरत होती तो, धोबी से लोग गधे को थोड़ी देर के लिए मांग आते और अपना काम निकाल लिया करते थे।

बेचारे गधे को सीधा मालिक होने का बहुत नुकसान होता। लोग गधे को भूखा पेट ही काम करवाते, काम हो जाने के बाद धोबी को गधा वापस कर आते।

कुछ समय बाद बेचारा गधा बीमार रहने लगा और वह धीरे-धीरे कमजोर हो गया। धोबी को गधे की हालत देखकर बहुत दुःख हुआ। जब उसका गधा बीमार रहने लगा तो गांव वालो का उसके घर धीरे-धीरे आना जाना कम हो गया।

धोबी के पास इतने पैसे भी नहीं था कि अब वह गधे को भर पेट भोजन भी करा सके। धोबी उस गधे को भर पेट भोजन भी नहीं करा पा रहा था। इसके कारण गधा दिन-प्रतिदिन और कमजोर होता जा रहा था। क्यों कि अब गधा बीमार होने से धोबी कि आमदानी भी कम हो गयी।

एक दिन धोबी जंगल के रास्ते घर जा रहा था। तभी रास्ते में उसे एक बाघ मरा हुआ दिखा। धोबी ने उसी समय मन में एक योजना बनाई कि मैं इसकी खाल उतार कर अपने गधे को पहना दूंगा, उसके बाद गधे को रात में आराम से किसी के खेत में छोड़ दिया करूगां। गांव वाले इसे बाघ समझ कर इसके पास नहीं आएगें।

मेरा गधा इन्हीं लोगों के कारण बीमार हुआ हैं और अब में इनसे इसी तरह जुर्मना लूंगा? धोबी यहीं सोचकर बाध की खाल उतार कर अपने साथ घर ले आया।

रात होते ही धोबी ने गधे के उपर बाघ की खाल डाल दी और गधे को ले जाकर पास के एक खेत में छोड़ आया। धोबी ने जैसा सोचा था बिल्कुल वैसा हुआ हि उस गधे को खेत का मालिक, बाघ समझ कर अपने खेत से निकल कर गांव की ओर भाग गया।

इस प्रकार गधा बाघ का रूप धारण कर बड़े आनंद से लोगों की फसलें खाने लगा। कुछ ही दिनों में वह मोटा-ताजा हो गया।
धोबी अब उस गधे को खाल नहीं पहनाना चाहता था। मगर गधा जमींन पर बैठ जाता तब तक वह जमींन से नही उठता, जब तक धोबी उसके उपर बाघ की खाल नहीं डाल देता।

धोबी उस गधे को समझाता की अब वह पहले की तरह मजबूत हो गया हैं, अब खाल मत पहनकर जाओं कोई तुम्हें पहचान ना लें।
मगर गधा तो गधा है उसे धोबी की बात समझ में नहीं आती। गधे को उसे देखते ही लोग डरते थे। जिधर भी वह निकल जाता, सभी लोग भाग खड़े होते थे। यह देकर उसे बहुत आंनद आता था।

एक दिन की बात हैं उस गधे ने चरते-चरते एक गधे को देखा तो अपनी भाषा में हींचू-हींचू करने लगा। खेतों में रखवाली करने वाले ने जब सुना तो, उनके समझ में आ गया की बाघ की खाल में गधा है।

बस फिर क्या था? उन किसानों ने गुस्से में गधे को चारों ओर से घेर लिया और लाठी मार-मार कर वहीं मार डाला।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि लालच नहीं करना चाहिए लालच की वजह से वह गधा अपनी जान से हाथ धो बैठता है।

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