Best hindi story for child for class 1 | राजा का बकरा की हिंदी कहानी

आज हम आपके लिए राजा का बकरा की हिंदी कहानी (Best hindi story for child for class 1) प्रस्तुत करने जा रहे हैं. जिसमें राजा का बकरा, मुर्गे की ताकत, लालची लोमड़ी आदि प्रमुख हैं. जिसके माध्यम से आपको काफी अच्छी जानकारी देने को कोशिश की हैं. आइये एक एक कर पढ़ते हैं.

राजा का बकरा | Moral stories in hindi

बहुत समय पहले की बात है. किसी राजा के पास एक बकरा था. एक बार राजा ने ऐलान किया कि जो कोई इस बकरे को जंगल में चराकर तृप्त करेगा. मैं उसे आधा राज्य दे दूंगा. किंतु बकरे का पेट पूरा भरा है या नहीं, इसकी परीक्षा मैं खुद करूंगा.

इस ऐलान को सुनकर एक मनुष्य राजा के पास आकर कहने लगा कि बकरा चराना कोई बड़ी बात नहीं है. वह यह काम करके दिखायेगा. वह बकरे को लेकर जंगल में गया और सारे दिन उसे घास चराता रहा. शाम तक उसने बकरे को खूब घास खिलाई और फिर सोचा की सारे दिन इसने इतनी घास खाई है, अब तो इसका पेट भर गया होगा. अब इसको राजा के पास ले चलूं. बकरे के साथ वह राजा के पास गया.

इसके बाद शर्त के अनुसार राजा ने थोड़ी सी हरी घास बकरे के सामने रखी तो बकरा उसे खाने लगा. इस पर राजा ने उस मनुष्य से कहा कि तूने उसे पेट भर खिलाया ही नहीं वर्ना वह घास क्यों खाने लगता. इस तरह से बहुत जनों ने बकरे का पेट भरने का प्रयत्न किया. किंतु ज्यों ही दरबार में उसके सामने घास डाली जाती तो वह फिर से खाने लगता.

एक विद्वान ब्राह्मण ने सोचा इस ऐलान का जरूर कोई तो रहस्य है. मैं युक्ति से काम लूंगा. वह बकरे को चराने के लिए राजा के पास पहुंचा और बकरा को लेकर जंगल गया. जब भी बकरा घास खाने के लिए जाता तो वह उसे लकड़ी से मारता. सारे दिन में ऐसा कई बार हुआ. अंत में बकरे को समझ में आ गया कि “यदि मैं घास खाने का प्रयत्न करूंगा तो मार खानी पड़ेगी”. शाम को वह ब्राह्मण बकरे को लेकर राजदरबार में लौटा.

बकरे को तो उसने बिलकुल घास नहीं खिलाई थी फिर भी उसने राजा से कहा मैंने इसको भरपेट खिलाया है. अत: यह अब बिलकुल घास नहीं खायेगा. उन ब्राह्मण ने कहा कि महाराज आप परीक्षा कर लीजिये. जब राजा ने घास डाली तो उस बकरे ने उसे खाया तो क्या देखा और सूंघा तक नहीं. बकरे के मन में यह बात बैठ गयी थी कि अगर घास खाऊंगा तो मार पड़ेगी. अत: उसने घास नहीं खाई. इस तरह से ब्राह्मण जीत गया. जिसके बाद ईनाम स्वरूप राजा को अपना आधा राज-पाठ देना पड़ा.

तो दोस्तों, इस कहानी से क्या शिक्षा मिलता है. यह बकरा हमारा “मन” ही है”. बकरे को घास चराने ले जाने वाला ब्राह्मण “आत्मा” है, राजा “परमात्मा” हैं. अपने मन को मारिये नहीं, मन पर अंकुश रखिये. मन सुधरेगा तो जीवन भी सुधरेगा. अतः मन को “विवेक” रूपी लकड़ी से रोज पीटिए. अगर कहानी प्रेरणादायक लगे तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखेंगे. धन्यबाद.

मुर्गे की ताकत | Hindi story for kids

एक दिन किसी बात को लेकर दो मुर्गे आपस में लड़ रहे थे। एक मुर्गे ने कहां में तुमसे ज्यादा ताकतवर हूं। यह सुन दूसरा मुर्गे बोलने लगा, तुमसे ज्यादा में ताकतवर हूं।

दोनों अपनी-अपनी अकर में बोले जा रहे थे। बहस काफी देर तक चली पर दोनों में से कोई चूप होने का नाम ही नहीं ले रहा था।
फिर दोनों की एक राय बनी की चलों मैदान में देखते कौन ज्यादा ताकतवर हैं।

दोनों मैदान में आए दोनों की लड़ाई काफी देर तक चली। पहले मुर्गे ने दूसरे मुर्गे को अपनी चोंच से बहूत मारा दूसरा जमींन पर गिर पड़ा।

पहला मुर्गे जीत गया। मगर दूसरे मुर्गे को वह अपनी डींग सुनाए जा रहा था। बजाय उसकी मदद करने की, इतने में एक चील आकाश से बहुत तेजी से उड़ कर जमींन पर आता हैं। और पहले मुर्गे को अपनी चोंच में दबा कर अपने साथ ले जाता हैं।

हमें इस कहानि से यह शीक्षा मिलती हैं। अगर आपके पास ताकत हैं तो अच्छी बात हैं उसे दूसरों की मदद करनी चाहिए ना की आपस में लड़ना, अगर आपस में लड़ोंगे तो हमेशा आपका फायदा कोई और उठाएगां।

लालची लोमड़ी | Moral Stories for childrens in Hindi |

नदी के किनारे एक गांव बसी हुई थी। और नदी के दूसरी ओर एक जंगल था। गांव में आए दिन कोई ना कोई जानवर जंगल से आ जाया करता था।

जंगली जानवरों के डर से गांव के लोग अंधेरा होने से पहले ही अपने-अपने घरों में आ जाया करते थे। एक दिन दोपहर के वक्त ही एक लोमड़ी नदी के रास्ते गांव में चुप-चाप आ जाती है। लोगड़ी को भूख भी लगी थी।

भूखी लोमड़ी गांव में दबे पांव कुछ खाने को ढुढ़ रही थी। तभी उसकी नजर एक घर के दरवाजे के तरफ पड़ी, दरवाजा खुला था। लोमड़ी उस घर में चुपचाप दाखिल हो जाती है।

लोमड़ी रसोई में पहुंचती है तो उसको रसोई में रोटी दिखाई देती है। जैसे ही लोमड़ी रोटी अपने मुंह में उठाती है। तभी उस घर का एक सदस्य वहां आ जाता है।

लोमड़ी मुंह में एक रोटी ले वहां से भाग जाती है। लोमड़ी उस रोटी को तसल्ली से खाना चाहती हैं। तो उसने सोचा क्यों ना रोटी अपने जंगल वापस ले जाकर खाया जाए। जैसे ही लोमड़ी रोटी को लेकर पानी में जाती है। उसे पानी में अपनी ही परछाई नजर आती है।

लोमड़ी के मन में लालच आती है, उसे लगता हैं क्यों ना मैं इसकी रोटी भी छिनकर अपने साथ ले जाउं, वह अपनी ही परछाई से रोटी छिनने को मुंह खोलती है। उसके मुंह की रोटी नदी में गिर जाती है। रोटी नदी में गिरते ही पानी में बह जाता है। लालची लोमड़ी भूखी रह जाती है।

इसलिए लालच नहीं करना चाहिए, आपके पास जो कुछ भी हो उसी में खुश होना चाहिए।

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