Majedar Kahaniya | मजेदार कहानियां

Majedar Kahaniya | मजेदार कहानियां: मूर्ख कौन- एक राहगीर जब जंगल से गुजर रहा था तो उसकी नजर एक पक्षी पर पड़ी। वह देखने में बहुत सुंदर और प्यारी लग रही थी। उस राहगीर की नजर मानों उस पक्षी पर टीक गई। तभी उस पक्षी ने सोने की बीट कर दिया। वह राहगीर यह देखकर आश्चर्य रह गया। जब वह नजदीक के गांव पहुंचा तो उसने यह बात वहां रहने वालों को यह बात बताई। यह जानकर लोगों को भी बड़ा आश्चर्य हुआ।

उसी गांव में एक कालू नाम का बहेलिया भी रहता था। उसने जब पक्षी के बारे में सुना तो उसके मन में लालच आ गया। तभी उसने सोच लिया की वह उस पक्षी को पकड़ेगा। दूसरे ही दिन वह अपना जाल और दानें लेकर जंगल में चला गया। जंगल पहुंच कर कालू ने सबसे पहले उस पेड़ की तलाश की जहां सोने के बीट करने वाली पक्षी रहती थी। इसमें उसे ज्यादा देर ना लगी, उसने दूर से चमकते सोने के जैसा देखकर यह अंदाजा लगा लिया कि यही वह पेड़ हो सकता है, जिस पर सोने की बीट करने वाला पक्षी रहता होगा।

कालू ने उस पेड़ के नीचे जाल डालें और दानें बिखेरे कर वहीं छिपकर बैठ गया, पलक झपकते ही पंक्षी उस जाल में फंस गई। यह देखकर कालू झूमने लगा और उस पक्षी को पकड़ अपने साथ गांव ले आया।

परिवार के लोगों ने जैसे ही सोने की बीट करने वाली पक्षी को देखा तो सब खुश हो गए उनलोगों ने सोचा अब सोने की बीट करने वाली पक्षी उसकी है कुछ ही दिनों में वे सबसे अमीर बन जाएगें। हुआ भी यही पहले तो कालू जंगल से सारा सोना उठाकर अपने घर ले आया और धीरे-धीरे और रोज सोना जमा करने लगा। कालू को इस बात का डर होने लगा की कहीं राजा के कानों में यह सोने की बीट करने वाली पक्षी का पता चल गया, और मेरे पास इतना सोना जमा है तो वह सारा सोना उठाकर ले जाएगा और मेरी जान भी ले सकते हैं।

इसी डर के कारण शिकारी ने फैसला किया कि वह इस सोने की बीट करने वाले पक्षी को राजा को दे देगा, क्योंकि अब उसके पास काफी सोना जमा हो गया था। दूसरे ही दिन पक्षी को लेकर कालू दरबार में जा पहुंचा। उसने राजा के सामने उस पक्षी को पेश करते हुए कहा- महाराज, यह आपके लिए है, कालू के बच्चे, तुझे शर्म नहीं आती, इस प्रकार का भेंट करते हुए, क्या तुम इतने पागल हो गए हो। जो यह भी नहीं जानते कि राजाओं को केवल सोना, चांदी या कुछ अनोखी भेंट देते हैं।

कालू ने कहा- महाराज यह कोई साधारण पक्षी नहीं है, बल्कि स्वयं सोने की खान है। यह पक्षी सोने की बीट करती है महाराज! दरबार में उपस्थित सभी लोग उस पक्षी की ओर आश्चर्य चकित से देखने लगें।
महाराज ने बोला- सोने की बीट करने वाली पक्षी, थोड़ी देर में राजा के सामने सोने की बीट कर दी तो राजा की हैरानी की कोई सीमा न रही। वह सोच में पड़ गया कि क्या ऐसा भी संभव हो सकता हैं?
राजा ने उसी समय अपने प्रधानमंत्री को बुलाकर बताया- मंत्री जी! यह पक्षी सोने की बीट करता हैं।
राजा की बात सुनकर महामंत्री हंसने लगे।

मंत्री की हंसी देखकर राजा क्रोधित हो उठा, मंत्री ने कहा-क्षमा करें महाराज में आपके भोलेपन पर हंस रहा हूं। आपने एक शिकारी की बात पर विश्वास कर लिया, मगर इसने हमारी आंखों के सामने सोने की बीट की थीं।
मंत्री ने बोला- यदि यह बात मान ली जाए तो भी हमें एक बार सोचना चाहिए कि यह आदमी कौन-सी चाल चलकर हमें सोने की बीट करने वाली पक्षी देने आया हैं। भला कौन ऐसा मूर्ख होगा जो साने की बीट करने वाली पक्षी अपने साथ घर ना ले जाकर राजा को उपहार के रूप में देने आएगा।

मंत्री की बात सुनकर राजा भी सोच में पड़ गया और मंत्री की ओर देखकर बोला- आप ठीक बोला रहे हो, असल में मैं ही मूर्ख हूं। जो इस आदमी की बातों में आ गया, अब तो हमारे पास एक ही रास्ता हैं, इससे उपहार में पक्षी लेकर उस पंक्षी को पिंजरे से आजाद कर दें।
मंत्री ने बोला- अती उत्तम महाराज इससे उपहार भी ले लेगें और किसी से बेवकूफ भी नहीं बनेगें।

राजा ने कालू के हाथों से पिंजरे अपने पास मंगवाया और उस पंक्षी को आजाद कर दिया, पंक्षी पिंजरे से निकल एक खिड़की पर जा बैठी और बोली- तुम सब के सब मूर्ख हो। तुममें से पहला मूख तो यह शिकारी है, जो सोना देने वाली पंक्षी को भेंट में देने आया। दूसरा मूर्ख यह राजा है, जिसने मुझें सोने का बीट करते देख फिर भी इस मंत्री से सलाह ली। सबसे बड़ा मूर्ख यह मंत्री है, जिसने सोना देने वाली पक्षी को छोड़ देने की सलाह दी। इतना कहते ही पंक्षी वहां से उड़ गई।

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