कौआ और सांप की कहानी | Kauwa Aur Saap Ki Kahani in Hindi: एक पीपल के पेड़ पर कौआ और कौवी अपने परिवार के साथ रहता था। उसी पीपल के पेड़ की जड़ में एक दुष्ट सांप भी रहता था। कौवी जब भी अण्डे देती, सांप चुपके से ऊपर चढ़कर उनके अण्डों को खा लेता था।
कौआ और कौवी उनकी इस हरकतों के कारण खुब रोते, मगर उस सांप का कुछ बिगाड़ न पाते। आखिर सांप ताकतवर था, उसका ये पंक्षी क्या बिगाड़ पाते। जब कई बार ऐसा हुआ तो कौवी को अब उस सांप पर गुस्सा आने लगा। उसने सोचा अब इस सांप का कुछ करना होगा। हर बार यह मेरा अण्डा नष्ट कर देता है। कौवी को परेशान देकर कौआ बोला, तुम चिंता मत करो बगल वाले जंगल में मेरी मौसी रहती है। मैं उनसे इसके बारे में सलाह लूंगा।
दूसरे दिन ही कौआ सुबह-सुबह अपनी मौसी के घर रवाना हो गया। कौआ अपनी मौसी के घर जा कर उन्हें अपनी सारी बातें बताई। मौसी काफी बूढ़ी और अनुभवी थी। उसने कौआ को दिलासा दिया और कहा- तुम परेशान मत हो, मैं कल सुबह तक तुम्हें इस परेशानी से निकालने का रास्ता ढूढ़ लूंगी।
अगले दिन शाम तक कौआ जंगल से वापस अपने घर लौट आता है। वह कौवी को बताता है कि तुम चिंता मत करो। मौसी ने मुझें इस सांप से छुटकारा पाने का रास्ता बता दिया है।
तीसरे दिन कौवा सुबह-सुबह राजमहल की ओर चल देता है। मौका मिलते ही कौवा राजमहल में घुसकर रानी के गले से हार झपटकर ले उड़ता है। रानी ने फौरन अपनी हार के खातिर राजमहल से सैनिक को उस कौआ के पीछे लगा दिया। कौआ जल्दी-जल्दी उड़कर उस हार को लाकर सांप के बिल में डाल देता है। रानी के सैनिक कौवा को ऐसा करते देख लेते हैं।
जब सैनिक सांप के बिल से हार निकालने की कोशिश करते हैं तो सांप फुफकार मारने लगता है, मगर सैनिक भला कहां डरने वाले थे। उन्हें तो वह हार किसी तरह से उस सांप से लेना होता है, इसलिए उन्होंने अपने भालें से उस सांप के टुकड़े-डुकड़े कर दिए और हार लेकर महल से वापस लौट जाते है।
इस तरह कौआ और कौवी उस सांप को मरते देख बहुत खुश होते है।
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