Inspiration story for students in hindi | छात्रों के लिए प्रेरणा कहानी हिंदी में

छात्रों के लिए प्रेरणा कहानी (Inspiration story for students in hindi ) हिंदी में पढ़िए। जिसमें हम आपके लिए यहाँ दो अलग-अलग कहानियां लेकर आये हैं ।

Inspiration story for students in hindi:

अमर अमीर ना बन सका

किसी गांव में एक अमर नाम का व्यक्ति रहता था। उसकी एक बहुत सुंदर पत्नी जिसका नाम सुमन और एक बहुत ही प्यारी बेटी जिसका नाम केसर था। अमर बहुत गरीबी में अपना और अपने परिवार का गुजारा कर रहा था।

वह सुबह उठ कर अपने खेत में काम करने जाया करता था। उसकी पत्नी घर का काम खत्म करने के बाद अमर के साथ खेत में भी काम करती थी। दोनों बहुत मेहनत करते थे, फिर भी उनका जीवन में रोज कुआं खोदो, रोज पानी पीओ वाले ढर्रे पर चल रही थी। अमर दुनिया के तमाम लोगों की तरह वह भी अमीर होने का सपना देखता था।

एक दिन की बात है अमर और उसकी पत्नी सुमन जब खेत से काम कर लौट रहे थे। तो गांव के किसी व्यक्ति से पहाड़ी पर बनी किसी मंदिर के बारे में बात करता सुना की उस मंदिर में जो भी अपनी मन की मुराद लेकर जाता है। उसकी मुराद पहाड़ी वाली मंदिर से पुरी हो जाती है।

फिर क्या था अमर और सुमन घर जाने के बाद उस मंदिर में सुबह जाने का फैसला लेते है। अब तो मानों ये रात जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। दोनों पूरी रात नहीं सोते हैं, क्योंकि वो अपनी इस गरीबी से आजाद होना चाहते थे।

सुबह हुई तो मंदिर जाने के लिए तैयार होते हैं। पहाड़ी की चढ़ाई काफी ऊंची थी तो कभी अमर केसर को गोंद में लेता तो कभी सुमन, देखते-देखते वो पहाड़ी पर चढ़ गए। फिर तीनों ने मंदिर के दर्शन किए और जैसा उन्होंने सुना था अमर और सुमन के सामने भगवान प्रकट हुए और बोले, बोलो तुम्हें क्या चाहिए? तुम दो वरदान मांग सकते हो?

अमर ने भगवान को उत्तर दिया, “अच्छा रहेगा कुछ भी वरदान मांगने से पहले अपनी पत्नी से विचार-विमर्श कर लूं”।

अमर और उसकी पत्नी के बीच इस बात पर काफी बहस हुई कि आखिर क्या मांगा जाए। अमर कहता खजाना मांग लूँ तो पत्नी कहती कि सदा पैदावार होने वाला धान का खेत मांग लो। अमर कहता हीरे-जवाहरात मांग लूं तो पत्नी कहती कि नहीं सदा मछलियों से भरा रहने वाला तलाब मांग लो।

कुल मिलाकर ये कि वे किसी भी बात पर उनकी मत एक नहीं हो सके। इस पर बहसबाजी से झुंझलाकर अमर ने कहा, ‘मैं तो चाहता हूं कि ईश्वर तुम्हें बंदर बना दे।’

अमर के कहने की देर थी कि उसकी पत्नी बंदर बन गई। ये देखकर अमर घबर गया और बोला, ‘हे ईश्वर! ये क्या हो गया, मैं यह नहीं चाहता था। इसे फिर से पहले जैसा का दो’।

उसकी यह इच्छा भी तुरंत पूरी हो गई लेकिन उसका दो वरदान मांगने का मौका व्यर्थ चला गया। अमर और उसकी पत्नी पहाड़ी वाले मंदिर से वापस लौट आते है।

जीवन में एक ही अवसर बार-बार नहीं मिलता और अवसर मिलने पर उसका सही उपयोग न करना केवल पछतावा ही छोड़ जाता है।

हाजी अरमान की चालाकी काम न आई | Haji Arman Hindi Story

हाजी अरमान की चालाकी: एक शहर में अरमान नाम का एक व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ रहता था। अरमान गरीब जरूर था मगर उसे दोनों समय में चावल और मछली पेट भर खाने को मिलता था। अरमान रोज रात को सोने के लिए लेटता तो सोचता उसे अच्छा खाना खाए तो अरसा हो गया है। उसे बढ़िया पके हुए खीर-पुरी और नारियल के बने व्यंजनों की याद आती तो उसके मुंह में पानी भर उठता।

अरमान के ससुराल वालों की आर्थिक स्थिति अच्छी थी। वह अपनी पत्नी से कहता कि वहां से कुछ अच्छे पकवान ले आओ। उसकी पत्नी इस पर सवाल करती कि इस मछली-चावल में क्या बुराई हैं?

ये तो तुम अपनी मेहनत से पाते हो। पराये मालपुओं से तो घर की रूखी रोटी भली। समझाने का क्या असर होता है? मन तो व्यंजन पर अटका हुआ था। अरमान को एक तरकीब सूझ ही गई। उसे पता था उसके ससुर हाजियों का बड़ा आदर-सत्कार करते हैं। अरमान ने हाजी बनकर वहां जाने की ठानी। सफेद कपड़े पहने, टोपी लगाई, सफेद दाढ़ी भी चिपका ली।

जैसा कि उसे अनुमान था ससुराल में बढ़िया भोजन मिला। अच्छी किस्म के चावल, पनीर की सब्जी, दूघ से बने मिठे व्यंजन, नारियल से बने स्वादिष्ठ पकवान मिले। अरमान ने जमक र खुब खाया फिर धन्यवाद देते हुए बताया कि मैं कोई हाजी-वाजी नहीं मैं तो आपका दामाद अरमान हूं। इस तरह धोखा दिए जाने पर ससुर को बड़ा गुस्सा आया लेकिन वे उस समय कुछ नहीं बोले।

कुछ दिनों के बाद अरमान को फिर अच्छे व्यजनों की हुड़क उठी। हाजी बन क रवह फिर जा पहुंचा ससुराल। जाहिर तो नहीं होने दिया लेकिन इस बार ससुर जी पहचान गए कि हाजि जी कौन हैं?

खूब स्वागत हुआ। इस बार उनके लिए बकरी काटी गई। भरपेट खाकर खुशी-खुशी काबयान घर लौटे तो देखा कि बाड़े में बंधी रहने वाली उनकी बकरी गायब है। पत्नी से पूछा तो पता चला कि जिस बकरी को वे चटकारे लेकर खाकर लौटे हैं वह तो उनकी ही बकरी थी।

ससुर जी ने अपना नौकर भेजकर अरमान के घर से बकरी मंगवाली थी। ऐसा उनहोंने अरमान सबक सिखाने के लिए किया था।

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