Jungle Book Story in Hindi | जंगल बुक स्टोरी इन हिंदी | शेर और जंगली बिल्ली की कहानी: सालों पहले एक जंगल में एक बड़ी होशियार बिल्ली रहती थी। उस जंगल का नाम नील था।
उस जंगल का हर कोई उससे ज्ञान प्राप्त करना चाहता था। जंगल के सारे जानवर उस बिल्ली को मौसी कहकर पुकारते थे। कुछ जानवर उस बिल्ली मौसी से पढ़ने के लिए भी जाते थे।
एक दिन बिल्ली मौसी जब कुछ जानवरों को शिक्षा दे रही थी, तभी उसके पास एक शेर आया। उसने कहा, “मुझे भी आपसे शिक्षा चाहिए, मैं आपका छात्र बनकर आपसे आपकी सारी ज्ञान सीखना चाहता हूँ, ताकि मुझे अपने जीवन में आगे कोई दिक्कत ना हो।”
बिल्ली शेर की बात पहले तो घ्यान से सुनती रही, कुछ देर सोचने के बाद बिल्ली बोली, “ठीक है, तुम कल से शिक्षा प्राप्त करने के लिए आ जाना, पर तुम मुझसे वादा करों की तुम यहां क्लाॅस में उपस्थित किसी भी जानवर को नुकसान नहीं पहुंचाओगें।।”
शेर ने भी बिल्ली मौसी से वादा किया की वह ऐसा कुछ नहीं करेगा, वह सीर्फ ज्ञान प्राप्त करने आएगा। अगले हि दिन से शेर रोजाना सुबह-सुबह बिल्ली मौसी के यहाँ ज्ञान प्राप्त के लिए आने लगा।
बिल्ली एक महीने बितने के बाद शेर से कहती है- “अब तुम मुझसे सब कुछ सीख चुके हो। तुम्हें कल से शिक्षा लेने के लिए आने की जरूरत नहीं है। तुम मेरे द्वारा दि गई शिक्षा की मदद से अपने जीवन को आसानी से जंगल में जी सकते हो।”
शेर ने बिल्ली से पूछा, “आप सच कह रही हैं, मुझे अब सब कुछ आ गया है, क्या?”
बिल्ली ने जवाब दिया, “हाँ, मैं जो कुछ भी जानती थी, मैंने सब कुछ तुम्हें सीखा दिया है।” और तुम उसे अच्छी तरह सीख चूके हो।
शेर बिल्ली की बात सुन कर जोर से दहाड़ते हुए कहा, “चलो फिर क्यों ना आज तुम्हारी दि गयी विद्या को तुम पर ही आजमा कर देख लिया जाए। इससे मुझे पता चल जाएगा कि तुम से मुझे कितना ज्ञान मिला है।”
बिल्ली शेर की बात सुन डर के मारे सहम जाती है, फिर बिल्ली मौसी ने कहा, “बेवकूफ, मैं तुम्हारी गुरु हूँ। मैंने तुम्हें शिक्षा दी है, तुम इस तरह मेरे ऊपर प्रहार नहीं कर सकते हो।”
शेर ने बिल्ली की एक न सुनी और उसपर झपट ने के लिए उसकी ओर दौड़ पड़ा।
बिल्ली अपनी जान बचाने के लिए तेजी से दौड़ने लगी। दौड़ते-दौड़ते वह पेड़ पर चढ़ गई।
बिल्ली को पेड़ पर चढ़ा हुआ देखकर शेर पेड़ के नीचे खड़ा हो जाता है। और बिल्ली से कहता है, “तुमने मुझे पेड़ पर चढ़ना नहीं सिखाया। तुमने मुझे पूरा ज्ञान नहीं दिया?
पेड़ पर चढ़ने के बाद बिल्ली राहत की साँस लेते हुए शेर को जवाब देती है, “मुझे तुम पर पहले दिन से ही विश्वास नहीं था। मैं जानती थी कि तुम मुझसे सीखने के लिए तो आए हो, लेकिन मेरे ही जीवन के लिए आफत बन सकते हो।
इसी कारण से मैंने तुम्हें पेड़ पर चढ़ना नहीं सिखाया। अगर मैंने तुम्हें यह ज्ञान भी दिया होता, तो आज मुझे मार डालते। बिल्ली गुस्से में बोली, तुम आज के बाद मेरे सामने कभी मत आना।
बिल्ली की बात सुनकर शेर को भी गुस्सा आया, लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, क्योंकि बिल्ली पेड़ पर थी। गुस्से को मन में लेकर शेर वहाँ से दहाड़ते हुए चला गया।
इस कहानी से यह सीख मिलती हैं कि किसी पर भी आँखें मूँदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। जीवन में हर किसी से सतर्क रहने पर ही आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।
हाथी की कहानी।
किसी गांव में छः लड़के रहते थे। वो छः लड़के अंधे थे। इस वजह से उनलोगों में काफी अच्छी दोस्ती थी। वह आपस में एक दूसरे की मदद भी किया करते थे।
एक दिन किसी गाँव वालें ने उन्हें बताया की आज उनके गांव में दूसरे शहर से एक हाथी आया है।
उन्हें जैसे ही हाथी के बारे में सुना तो वो सभी दोस्त खुश हो गए। उन्होंने अब तक हाथी के बारे में सिर्फ सुन रखा था। हाथी बहुत ही विशाल और बड़ा जानवर होता हैं उनकी लम्बी सुंड होती हैं।
उनके मन में हाथी को छू कर महसूस करने की इच्छा हुई और वह सभी दोस्त इस पर विचार करने लगें। कोई कहा हमें हाथी को छूना चाहिए, तो कोई कहता पागल मत बनों मैंने सुना हैं कि हाथी जब गुस्से में होता हैं तो अपनी सूंड से लोगों को उठा-उठा कर दूर फेंक देता हैं।
कोई कहता भले ही हम हाथी को देख नहीं सकते पर आज हम सब चल कर उसे महसूस तो कर सकते हैं ना ?”
फिर सब ने हाथी को छू कर महसूस करने का फैसला लिया और जहां हाथी आया हुआ था। वो सभी दोस्त उस दिशा में चले गए।
सभी दोस्त हाथी जहां मौजूद था वहां आ गए और हाथी को छूने की इच्छा लिए उसकी ओर बढ़ने लगे।
हाथी अचानक उस दोस्तों को अपनी ओर आता देख पहले तो अपनी सूंड़ उठाकर जोर से चिल्लाया, सभी गांव वाले अचानक हाथी को गरजते देख अपनी जगह से पीछे हो गए। जिसके बाद वो इन दोस्तों को हाथी के करीब जाने के लिए रोकने लगे, आवाज देकर कहा मत जाओ, मत जाओ उस हाथी के पास।
मगर वो छः व्यक्ति नहीं रूके और हाथी के नजदीक जाकर उसे छूने लगें।
पहले मित्र ने “सचमूच हाथी एक खम्भे की तरह होता है”, हाथी का पैर छूते हुए कहा।
दूसरे मित्र ने “अरे नहीं, हाथी तो रस्सी की तरह होता है”, पूँछ पकड़ते हुए कहा।
तीसरे मित्र ने कहा, “ये तो पेड़ के तने की तरह है”, हाथी के सूंढ़ पकड़ते हुए कहा।
हाथी समझ गया कि ये लोग उसे छूने आए हैं हाथी जमीन में बैठ गया।
तभी चौथे मित्र ने “तुम लोग क्या बात कर रहे हो, हाथी एक बड़े हाथ के पंखे की तरह होता है”, उसके कान छूते हुए कहा।
गांव वाले दूर खड़ा इन दोस्तों की बातें सुन कर आपस में हंस रहे थे।
पांचवे मित्र ने “नहीं-नहीं, हाथी तो एक दीवार की तरह है”, उसके पेट पर हाथ रखते हुए कहा।
छठे व्यक्ति ने “हाथी तो एक कठोर नली की तरह होता है”।
उसके बाद सभी दोस्त आपस में बहस करने लगे और खुद की बात सही साबित करने के लिए।
तभी उस भीड़ में से एक व्यक्ति सामने आया और उन सभी दोस्तों को समझाया कि तुम लोगों ने हाथी के शरीर की अलग-अलग हिस्सों को छुआ हैं।
तभी तुमलोगों को उसके आकार और शरीर के बनावट में फर्क दिख रहा हैं पर अगर तुम छः दोस्तों की बनावट मिला दी जाए तो हाथी का आकार बिल्कुल वैसा ही है जैसा तुम लोगों ने उसे छू कर महसूस किया हैं। सभी मित्रों ने एक साथ बोला अच्छा। उसके बाद कोई विवाद नहीं हुआ और सभी खुश हो गए।
शिक्षा: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कई बार ऐसा होता है कि हम अपनी बात को लेकर अड़ जाते हैं कि हम ही सही हैं और बाकी सब गलत है. लेकिन यह संभव है कि हमें सिक्के का एक ही पहलु दिख रहा हो और दूसरा पहलू हम देख नहीं पा रहे हों। इसलिए किसी से बहस करने से पहले आपस में चीजों को सुलझा लेना चाहिए।
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